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Shravani Mela 2022 : अद्भुत है सुल्तानगंज से बाबा धाम और बासुकीनाथ तक की कांवर यात्रा, ऐसे सफल होती है डाक बम-डंडी बम की तपस्या

Sawan 2022- सावन शुरू होते ही विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले का आयोजन होता है। इस मेले को देश का सबसे बड़ा मेला कहा जा सकता है क्योंकि इसका दायरा लगभग 150 किमी है। कांवर यात्रा ही मेले की खास पहचान है। चलिए इस अद्भुत यात्रा के बारे में जानते हैं।

By Shivam BajpaiEdited By: Updated: Thu, 14 Jul 2022 04:05 PM (IST)
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Shravani Mela - सुल्तानगंज से देवघर और फिर दुमका तक की यात्रा।

आनलाइन डेस्क, भागलपुर: Sawan 2022, सावन के पावन महीने में बिहार के भागलपुर से झारखंड के देवघर और दुमका तक विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले का आयोजन होता है। इस मेले की खास बात ये है कि ये सबसे बड़े मेले के रूप में जाना जाता है। इसे अद्भत और अनोखा बाबा भक्त, कांवरिये और इन्हीं के जत्थे में शामिल डाक बम बनाते हैं। कांवर यात्रा या डाक बम की दौड़ देखते ही बनती हैं। नंगे पांव, जमीन पर लेटकर और दौड़ते हुए बाबा धाम जाकर बाबा बैद्यनाथ को जलाभिषेक करना, एक बड़ी ख्याति प्राप्त मान्यता है। इस अलौकिक कांवर यात्रा की शुरूआत उत्तरवाहिनी गंगा तट, सुल्तानगंज से होती है।

श्रावणी मेले और इस भक्तिभाव से परिपूर्ण यात्रा की शुरूआत का बड़ा भाग करीब सौ किलोमीटर बिहार में पड़ता है। इसके बाद 15 किलोमीटर का सफर झारखंड जिले में किया जाता है। परंपरा के अनुसार, महादेव के भक्त सुल्तानगंज के पावन गंगा नदी घाटों पर स्नान करते हैं, उसके बाद यहीं से जल भरते हैं। यहीं बाबा अजगैबीनाथ का मंदिर भी है। वहां श्रद्धालु पूरी श्रद्धा के साथ बाबा के दर्शन कर अपनी यात्रा को आगे बढ़ाते हैं। माने अजगैबीनाथ की पूजा कर यात्रा का संकल्प लेते हैं।

कौन हैं कांवरिये, डाक बम और डंडी बम

बिहार का लंबा सफर पार करते हुए गंगाजल को दो पात्रों में लेकर बहंगी में रखते हैं। इस बहंगी को ही कांवर कहा जाता है। इसे लेकर बाबा धाम तक जा रहे भक्तों को ही कांवरिया कहते हैं। इन्हीं में एक जत्था होता है डाक बम का। डाक बम संकल्प लेने के साथ ही सुल्तानगंज से दौड़ लगाना शुरू करते हैं। वे 24 घंटे के अंतराल में लगातार बिना रुके चलते और दौड़ते हैं और सीधे बाबा धाम पर जाकर रुकते हैं। इनकी ऊर्जा देखते ही बनती है। इन सबके बीच डंडी बम का भी जत्था होता है, जिनकी यात्रा सबसे कठिन मानी जाती है। डंडी बम सुल्तानगंज से जल भरने के बाद रास्तेभर दंडवत होते हुए बाबा धाम पहुंचते हैं। इनका हठ योग और पराकाष्ठा चौंकाने वाली होती है। डंडी बम को बाबा धाम पहुंचने में लगभग 25 से 30 दिन लगते हैं।

पावन होती है यात्रा: यहां से शुरूआत...

कांवरिये सुल्तानगंज से 13 किलोमीटर चलकर असरगंज पहुंचते हैं। यहां से तारापुर की दूरी 8 किलोमीटर और फिर रामपुर की दूरी 7 किलोमीटर है। इन पड़ावों पर कांवरिये थोड़ा विश्राम करते हैं। रामपुर से 8 किमी की यात्रा करने पर कुमरसार और फिर 12 किमी पर विश्वकर्मा टोला अगला पड़ाव होता है। आगे बढ़ने पर जलेबिया मोड़ है, ये मोड़ अपने नाम की तरह काफी घुमावदार है। खास बात ये है कि यात्रा के दौरान हर-हर महादेव, बोल बम, बम-बम के जयकारों से वातावरण पूरी तरह शिवमय हो जाता है।

यात्रा की बाधाएं भी हो जाती हैं फेल

जलेबिया मोड़ को पार करते हुए बाबा भक्त 8 किलोमीटर आगे सुईया पहाड़ की ओर बढ़ते हैं। यहां काफी नुकीले पत्थर होते थे। लेकिन अब सड़क मार्ग बन जाने के बाद रास्ता सुगम हो गया है। बाबा भक्त इसे पार करते हुए  अबरखा, कटोरिया, लक्ष्मण झूला और इनरावरन होते हुए गोड़ियारी पहुंचते हैं। करीब सौ किलोमीटर यात्रा के बाद वे बिहार के बाहर होते हैं। माने बांका-बिहार की सीमा यहां से समाप्त हो जाती है। इस दौरान अपने आराध्य के दर्शन की प्रबल इच्छा लिए कांवरियों में कई के पैरों में छाले भी पड़ जाते हैं तो कई के चोटें भी आती हैं लेकिन महादेव के प्रति असीम आस्था सभी कष्टों को छोटा कर देती है। बाबा के जयघोष से सभी का उत्साह दोगुना हो जाता है। फिर कदम अपने आप तेजी के साथ आगे बढ़ने लगते हैं।

झारखंड में एंट्री 

कांवरिये दुम्मा में विशाल गेट से झारखंड में प्रवेश करते हैं। यहां से 17 किमी चलकर बाबा भोलेनाथ की शरण में पहुंच जाते हैं। गोड़ियारी से कलकतिया और दर्शनिया होते हुए भी बाबा धाम जाने का रास्ता है। बाबा धाम में शिवगंगा का स्नान करना बेहद शुभ माना जाता है। यहां भक्त डुबकी लगाते हुए बाबा के दर्शन करते हैं और संकल्प किए हुए जल से बाबा बैद्यनाथ का जलाभिषेक करते हैं। हालांकि, ये यात्रा यहां पूरी नहीं होती है।

अंतिम पड़ाव है बासुकीनाथ धाम

देवघर में जलाभिषेक के बाद कांवरियों का जत्था आगे बढ़ता है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि बासुकीनाथ धाम में जलाभिषेक के बाद ही यात्रा पूरी होती है। देवघर से दुमका, 45 किलोमीटर दूर कांवरिये पैदल ही पहुंचते हैं। यहां जलाभिषेक और बाबा बासुकीनाथ के दर्शन के बाद कांवरियों की अलौकिक अद्भुत यात्रा पूरी होती है।

चौबीस घंटे मुफ्त खाना-पानी और दवाएं

बिहार-झारखंड में सरकार और प्रशासन द्वारा शिवभक्तों के लिए विशेष व्यवस्थाएं की जाती हैं। राहत शिविर, स्वास्थ्य शिविर के साथ-साथ भोजन की व्यवस्था होती है। इस यात्रा को सफल बनाने और पुण्य कमाने के लिए समाजसेवी और निजी संस्थाएं भी आगे आती हैं। 24 घंटे मुफ्त में खाना-पानी और दवाएं मुहैया कराई जाती हैं। सरकार द्वारा कांवरिया पथ का निर्माण भी करवाया गया है। बिहार में सुल्तानगंज-मुंगेर-बांका में इस बार खास व्यवस्थाएं हैं। आरओ के ठंडे पानी से लेकर प्याज-लहसुन मुक्त खाना भी श्रद्धालुओं को उपलब्ध कराने की पहल की गई है।

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