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भागलपुर: सृजन घोटाले में फरार आरोपी रजनी प्रिया साहिबाबाद से गिरफ्तार, भागने की फिराक में थी तभी CBI ने दबोचा

भागलपुर के सृजन घोटाल में फरार आरोपी रजनी प्रिया को सीबीआई की टीम ने गुरुवार को साहिबाबाद कोतवाली क्षेत्र के राजेंद्र नगर से गुरुवार को गिरफ्तार किया गया है। सीबीआई की टीम जब रजनी के घर पहुंची तब वह भागने की फिराक में थी तभी टीम ने दबोच लिया। रजनी को गाजियाबाद सीबीआई कोर्ट में पेश किया गया और दो दिन की ट्रांजिट रिमांड पर बिहार ले जाया गया है।

By Jagran NewsEdited By: Deepti MishraUpdated: Thu, 10 Aug 2023 07:50 PM (IST)
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सृजन घोटाले में फरार रजनी प्रिया को सीबीआई टीम ने साहिबाबाद से गिरफ्तार किया। प्रतीकात्‍मक फोटो
 जागरण संवाददाता, भागलपुर/गाजियाबाद: अरबों के सृजन घोटाले की खेवनहार रही मनोरमा देवी की बहू रजनी प्रिया को दिल्ली से सटे शहर साहिबाबाद कोतवाली क्षेत्र के राजेंद्र नगर से गुरुवार को गिरफ्तार किया गया है। इसके बाद रजनी को गाजियाबाद सीबीआई कोर्ट में पेश किया गया और दो दिन की ट्रांजिट रिमांड पर बिहार ले जाया गया है।

जानकारी के मुताबिक, सीबीआई की टीम जिस वक्त रजनी प्रिया को गिरफ्तार करने पहुंची, उस वक्त वह अपने बंगले से निकल कर कहीं जा रही थी।  गाजियाबाद में रजनी पहचान बदल कर रही थी। रजनी की गिरफ्तारी के दौरान उसके बंगले में रहने वाले दो स्टाफ से भी सीबीआई ने पूछताछ की। हालांकि, बाद में दोनों को छोड़ दिया।

अदालत ने जारी किया गिरफ्तारी के लिए वारंट

पटला स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने 28 फरवरी को भागलपुर से पूर्व जिलाधिकारी केपी रमैया और घोटाले की मुख्‍य आरोपी मनोरमा देवी के बेटे अमित कुमार और बहू रजनी प्रिया की गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी किया था। अरबों रुपये के इस घोटाले में 27 आरोपित हैं, इनमें से 12 आरोपी सलाखों के पीछे हैं।

रजनी को लेकर पटना रवाना हुई टीम

सीबीआई कोर्ट ने तीन आरोपियों केपी रमैया, अमित कुमार और रजनी प्रिया के खिलाफ कुर्की वारंट भी जारी किया था। इसके बाद, सीबीआई ने अमित और रजनी प्रिया की 13 चल व अचल संपत्ति की कुर्की भी कर चुकी है।

आरोपी रजनी को गुरुवार को सीबीआई की टीम ने साहिबाबाद से गिरफ्तार कर लिया है। गाजियाबाद सीबीआई कोर्ट से ट्रांजिट रिमांड मिलने के बाद टीम बिहार की राजधानी पटना के लिए रवाना हो गई है।

फरार आरोपी अब नहीं है जिंदा!

इस बीच, एक चौंकाने वाली बात चर्चा का विषय बनी हुई है। इसमें कहा जा रहा है कि सृजन घोटाले में फरार चल रहा रजनी का पति अमित कुमार अब जीवित नहीं है। हालांकि, इस बारे में भी अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

डुगडुगी पिटवाई, इश्‍तहार चिपकाए गए

सीबीआई के अधिकारियों ने 29 नवंबर 2022 को रजनी प्रिया के तिलकामांझी स्थित आवास पर इश्तेहार चिपकाए थे। सीबीआई केस आरसी संख्या 12-ए 2017 में सीबीआई के इंस्पेक्टर योगेंद्र शेहरावत के नेतृत्व में पहुंचा। सीबीआई की टीम ने सीबीआई की विशेष अदालत से 30 अगस्त 2022 को फरार आरोपित रजनी प्रिया के विरुद्ध जारी इश्तेहार चिपकाने की कार्रवाई तब की थी।

इसके बाद, टीम के सदस्यों ने तिलकामांझी थाना क्षेत्र के न्यू विक्रमशिला कॉलोनी के प्राणवती लेन स्थित मकान के आगे बाकायदा डुगडुगी पिटवाई और इश्तेहार चिपकाए थे। सीबीआई की टीम भागलपुर रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड समेत पांच सार्वजनिक जगहों पर इश्तेहार चिपका कर लोगों से आरोपियों के बारे में सूचना देने की अपील की।

इस अहम पद पर थी रजनी

अरबों रुपये के सृजन घोटाले की जिस सृजन महिला विकास सहयोग समिति नामक संस्था के जरिये नींव रखी गई थी। उसके दस अहम पद धारकों में एक रजनी प्रिया भी थी।

सृजन संस्था की जनक और घोटाले की मास्टर माइंड रही मनोरमा देवी ने जीवित काल में ही अपने बेटे अमित कुमार और बहू रजनी प्रिया के हाथों अप्रत्यक्ष रूप में संस्था पर नियंत्रण दे दिया था।

मौत से पहले मनोरमा गंभीर रूप से बीमार थी, तब अमित और रजनी प्रिया ही उसे भागलपुर से एयर एंबुलेंस से उपचार के लिए ले गए थे। मनोरमा ने  अपने जिंदा रहते ही संस्था के दस अहम पद धारकों में अपनी बहू रजनी को शामिल कर लिया था।

रजनी के अलावा संस्था की अहम पद धारकों में शुभ लक्ष्मी प्रसाद, सीमा देवी, जसीमा खातून, राजरानी वर्मा, अपर्णा वर्मा, रूबी कुमारी, रानी देवी, सुनीता देवी सुना देवी को भी शामिल किया था। इनमें रजनी, जसीमा, अपर्णा, राजरानी तो काफी चर्चा में रही थी।

जिला पदाधिकारी ने 22 अगस्त 2017 को आदेश दिया था, जिसके बाद रजनी पर अन्य पद धारकों की तरह तथ्यों को छिपाने, बैंकों के साथ किए जा रहे संव्यवहार का आंशिक तथ्य रखने आदि जैसे आपराधिक कार्य करने और एके मिश्रा एण्ड एसोसिएट की तरफ से किए गए वैधानिक अंकेक्षण प्रतिवेदन के आलोक में जानबूझ कर फर्जी विवरण बनाने,  झूठी जानकारी देने, प्राधिकृत व्यक्ति को अपेक्षित जानकारी नहीं देने के मामले के केस दर्ज किया गया।

इसके बाद, आलोक में सबौर थानाध्यक्ष ने 23 अगस्त 2017 को धोखाधड़ी समेत कई गंभीर आरोपों में केस दर्ज किया।

मनोरमा ने बहू का नहीं लिखा था पता

सृजन घोटाले की मुख्‍य आरोपी मनोरमा देवी ने बहू रजनी प्रिया किसी तरह की परेशानी न हो, इसलिए रजनी का पता सृजन संस्था में अहम पद धारक बनाने के बाद भी नहीं दर्शाया था।

इससे बहू पर सास मनोरमा के न रहने के बावजूद कोई आंच न जा जाए। उसने रजनी और अपनी करीबी रही जसीमा खातून, अपर्णा वर्मा और राजरानी वर्मा का भी पता वाले कॉलम में मालूम नहीं लिखकर छोड़ दिया था।

इस गंभीर अपराध को देखते हुए जिला पदाधिकारी ने भारतीय दंड संहिता 1860 के तहत वैधानिक प्रक्रिया का पालन करते हुए आपराधिक मुकदमा दर्ज करने की शक्ति का इस्तेमाल कर केस दर्ज कराया था। सीबीआई ने तब रजनी प्रिया, जसीमा, अपर्णा, राजरानी समेत दस आरोपियों के खिलाफ 31 दिसंबर 2020 को ही आरोप पत्र सौंप दिया था।

क्या है सृजन घोटाला?

भागलपुर में साल 2003 में जिलाधिकारी रहते हुए केपी रमैया ने सभी सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं को पत्र जारी कर सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड के बैंक खाते में रुपये जमा कराने के लिए कहा था। इसके बाद इस एनजीओ के बैंक खाते में रुपये जमा कराए गए थे।

सृजन एनजीओ की सचिव मनोरमा देवी ने अपनी मौत से पहले ही बहू रजनी प्रिया को एनजीओ का सचिव बना दिया था। इससे खफा लोगों ने सृजन के बैंक खाते में जमा रुपये वापस नहीं किए और भू-अर्जन का खाता बाउंस हो गया। तत्कालीन जिलाधिकारी आदेश तितरमारे ने शक के आधार पर जांच कराई तो अरबों का घोटाला सामने आया।

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