सृजन घोटाला: अमित-प्रिया की कई संपत्तियां जब्त, देश के लगभग सभी बड़े शहरों में करोड़ों का निवेश
सृजन महिला विकास सहयोग समिति की सचिव रजनी प्रिया व उसके पति अमित कुमार की संपत्तियों को जब्त कर लिया गया है। वहीं करोड़ों के घोटाले में संलिप्त सृजन महिला विकास सहयोग समिति का अस्तित्व आज भी बरकरार है। उसे खत्म करने में सक्षम प्राधिकार के हाथ कांप रहे हैं। अबतक कई जिला सहकारिता पदाधिकारी इस संस्थान को समाप्त करने को पत्र भेजा पर अबतक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।
By Jagran NewsEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Fri, 11 Aug 2023 11:18 AM (IST)
जागरण संवाददाता, भागलपुर : सीबीआई ने सृजन महिला विकास सहयोग समिति की सचिव रजनी प्रिया व उसके पति अमित कुमार की 13 चल व अचल संपत्तियों को जब्त करने की कार्रवाई की है। अमित कुमार ने 2009 में वार्ड नंबर 29 में तीन लाख 43 हजार रुपये में 155 स्वायर फीट दुकान की खरीद की थी।
30 लाख रुपये में खरीदी जमीन
वहीं, अमित ने वार्ड नंबर 33 में 3.908 डिसमल जमीन चार लाख 43 हजार रुपये, 2011 में 18 लाख 60 हजार रुपये में फ्लैट, फतेहपुर में 4.5 डिसमल जमीन चार लाख 50 हजार रुपये में खरीदी थी। इसके अलावा, 2014 में रजनी प्रिया ने फतेहपुर में 2.852 डिसमल 16 लाख रुपये, अमित कुमार और विपिन कुमार ने 22 लाख 54 हजार में 2.087 डिसमल जमीन, 2.466 डिसमल जमीन 30 लाख रुपये में खरीदी थी।
अमित कुमार ने 2015 में दोगच्छी में चार लाख 64 हजार रुपये में 11.75 डिसमल जमीन खरीदी थी. मनोरमा देवी ने 2015 में अमित और रजनी प्रिया को वार्ड नंबर 33 में 64 लाख रुपये की जमीन दान में दी। रजनी प्रिया ने गायत्री होम्स से 34 लाख 76 हजार रुपये में वार्ड नंबर 31 में फ्लैट की खरीद की।
रजनी प्रिया ने फतेहपुर में खरीदी जमीन
रजनी प्रिया ने 2016 में फतेहपुर में 3.8755 डिसमिल जमीन की खरीद सात लाख 76 हजार रुपये में की। इसके अलावा, रजनी ने फतेहपुर में 18 लाख 82 हजार रुपये में 9.4093 डिसमल जमीन खरीदी। रजनी प्रिया ने 2011 में न्यू विक्रमशिला कालोनी में एक लाख 45 हजार रुपये में मकान की खरीद की।
2012 में रजनी प्रिया ने नौ लाख 60 हजार रुपये में वार्ड नंबर 33 में जमीन की खरीद की। 2013 में अमित कुमार ने सबौर में 10.90 डिसमल जमीन की खरीद 21 लाख 80 हजार रुपये में की।
डीएम केपी रमैया ने जारी किया था पत्र
सीबीआई ने अमित-प्रिया के साथ-साथ पूर्व जिलाधिकारी केपी रमैया को भगोड़ा घोषित किया था। सीबीआई की चार्जशीट में बताया गया है कि सरकारी खातों को लूटने के लिए सृजन ने जो जाल बिछाया था, उसे डीएम रहते हुए केपी रमैया ने शह दी थी।
केपी रमैया ने सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं को अधिकृत पत्र जारी कर सृजन में पैसा जमा करने के लिए कहा था।सीबीआई का आरोप है कि तत्कालीन डीएम केपी रमैया ने 18 दिसंबर 2003 को जिले के सभी बीडीओ, ग्रामीण विकास, पंचायती राज व गैर सरकारी संस्थानों को पत्र लिखा था।पत्र के बाद 2004 से जिले के कई बीडीओ ने सृजन के खाते में राशि जमा की थी। पत्र में कहा गया था कि निरीक्षण के दौरान पाया कि सृजन का बैंक शाखा जिला केंद्रीय सहकारिता बैंक से संबद्ध है।
पूर्व के जिलाधिकारी और उप विकास आयुक्त द्वारा संपुष्ट है। समिति के बैंक में सभी तरह के खाता खोलकर प्रोत्साहित किया जा सकता है। डीएम रमैया ने यह पत्र (पत्रांक-1136 दिनांक 20 दिसंबर 2003 ) को लिखा था।सबौर ब्लाक परिसर स्थित ट्रायसेम भवन को भी 2004 में तत्कालीन डीएम के आदेश पर उस वक्त रहे सीओ ने सृजन को लीज पर दे दी।
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