सुरेश्वाचार्य, श्रृंगी मठ और द्वारिका मठ के प्रथम आचार्य थे पंडित मंडन मिश्र बने, शंकराचार्य में हुआ था शास्त्रार्थ
बिहार के सहरसा में धर्मसभा चल रहा है है। गोवर्धन पीठाधीश्वर जगन्नाथ धाम के जगतगुरु शंकराचार्य निश्चलानन्द सरस्वती ने कई महत्वपूर्ण जानकारी दी है। पंडित मंडन मिश्र थे सुरेश्वाचार्य श्रृंगी मठ और द्वारिका मठ के थे प्रथम आचार्य। मंडनधाम के विकास के लिए सीएम व पीएम को भेजा जाएगा संदेश।
By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Updated: Tue, 05 Apr 2022 07:23 AM (IST)
जागरण संवाददाता, सहरसा। गोवर्धन पीठाधीश्वर जगन्नाथ धाम के जगतगुरु शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि महिषी में पंडित मंडन मिश्र व आदिगुरु शंकराचार्य के बीच शास्त्रार्थ हुआ था। इस संबंध में किसी प्रकार की भ्रांति नहीं है। महिषी के मंडनधाम में धर्मसभा में भाग लेने पहुंचे निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि शास्त्रार्थ नहीं होने के संबंध में किसी भी विद्वान का मत गलत है। शास्त्रार्थ का पूरा उल्लेख जीवन चरित्र शंकर दिग्विजय नामक पुस्तक में उनके द्वारा की गई है। जिसमें शास्त्रार्थ के स्वरूप पर भी चर्चा है।
जगतगुरु ने कहा कि मिथिला की भूमि में उनका आगमन हिंदुओं के अस्तित्व की रक्षा, देश की सुरक्षा व अखंडता के लिए प्रतिबद्धता, समाज की रचना में सहभागिता के लिए हुआ है। मंडनधाम के विकास पर उन्होंने कहा कि सरकार के ऊपर निर्भर रहने से कुछ नहीं होगा। सरकार के साथ अपनी शक्ति लगाकर विकास करना होगा। पहले जब मंडन धाम में कार्य प्रारंभ हुआ तो आपस में ही लोग झगड़ गये जिस कारण विकास नहीं हो सका। सरकार के साथ-साथ लोगों को अपने दायित्व का निर्वाह भी करना चाहिए ताकि मंडनधाम का विकास हो।
मंत्री ने निश्चलानंद से की मुलाकात
बिहार सरकार के कला संस्कृति व खेल मंत्री डा. आलोक रंजन ने जगतगुरु निश्चलानंद सरस्वती से मुलाकात कर उनसे आर्शीवाद लिया। इस दौरान मंत्री ने मंडनधाम के विकास के लिए उनके द्वारा किये जा रहे प्रयास की जानकारी दी। मैथिली भाषा में जगतगुरु ने मंत्री से बात करते हुए समाज की रचना में सहभागिता की बात कही। इस अवसर पर मंत्री ने भी कहा कि उनके यहां आगमन से इलाके के लोग धन्य हैं। उल्लेखनीय है कि जगतगुरु का जन्म बिहार के ही मधुबनी जिला में हुआ था और यहां रहकर प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की थी।
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