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भागवत कथा : बोले अनंताचार्य - समस्‍याओं के समय धैर्य बनाकर रखें, तभी मिलेगा अमृत

भागलपुर में स्‍वामी अनंताचार्य जी महाराज का प्रवचन हो रहा है। चौथे दिन चुनिहारी टोला स्थित राधा माधव मंदिर में काफी संख्‍या में लोग प्रवचन सुनने आए। यहां भंडारे का भी आयोजन किया गया है। इस दौरान भजनों पर श्रद्धालु जमकर थिरके।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Updated: Fri, 27 Nov 2020 09:20 PM (IST)
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भागलपुर के चुनिहारी टोला स्थित राधा माधव मंदिर प्रवचन करते स्‍वामी अनंताचार्य
भागलपुर, जेएनएन। भागलपुर में भागवत कथा का आयोजन किया गया है। सात दिवसीय इस आयोजन में कथा वाचन करने स्‍वामी अनंताचार्य जी महाराज आए हुए हैं। राधा माधव मंदिर चुनिहारी टोला में वृंदावन के संत अनंत श्री विभूति जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी अनंताचार्य जी महाराज को सुनने काफी संख्‍या में लोग पहुंच रहे हैं। मंदिर में सुबह के समय वैदिक रीति से पूजन पाठ किया जाता है। दोपहर बाद भागवत कथा का आयोजन होता है।

चौथे दिन कथा वाचन करते ​स्वामी अनंताचार्य ने कहा कि हमारे रिषी मुनियों का सिद्धांत लोककल्याण और भागवत प्राप्ति है। आज के कथा में उन्होंने प्रह्लाद के चरित्र प्रसंग की व्याख्या की। समुद्र मंथन का प्रसंग सुनाते हुए स्वामी अनंताचार्य ने कहा समुद्र ही संसार है। समुद्र को ज्ञानरूपी मथानी से मथा जाता है। इससे 14 रत्न निकले हैं। प्रथम विष निकला है। इस आशय है कि कोई भी शुभ कार्य करने के दौरान सबसे पहले बिघ्न—बाधा ही सामने आता है। इस कारण ऐसे लोगों को महादेव की तरह विषपान कर लेनी चाहिए। यहां विषपान का अर्थ है उसे गले में ही रखना। अगर मुंह से बाहर निकालेंगे को विवाद होगा और अगर पेट में चला गया गांठ बन जाएगा। इसलिए समस्याओं के समय धैर्य बनाए रखने की जरूरत है। इसके बाद कामधेनू की उत्पत्ति हुई। जो अमृत देने वाली है। इसका अर्थ है कि अमृत सिर्फ मां या गाय ही दे सकती है। इसलिए समस्त चराचर जीव को गौपालन करनी चाहिए। इसी क्रम में सबसे अंत में लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। अर्थात जीवन को सुखमय बनाने के लिए बिघ्न—बाधा से शुरुआत क्रम अंत में ऐश्वर्य की ओर तक जाता है। मनुष्य को चाहिए कि वे देवतारूपी क्षमाभाव में रहे। दानव रूप क्रोध को जन्‍म देगा।

भजनों पर थिरके भक्त

भागवत कथ के दौरान भजनों की प्रस्‍तुति होती रही। वाद्य यंत्र पर वादकों ने ऐसा समां बांधा कि दर्शक और श्रोता झूमने लगे। गायक और वादक बमबम शास्त्री, सुरेश शास्त्री, भैरव झा शास्त्री और शिवानी शर्मा आदि ने भी कई भजन गाए। स्वामी अनंताचार्य ने अपनी कई स्वरचित रचनाओं को वहां प्रस्तुत किया। किशोरी कर ​कमल कीर मोही किजै भजन सुनकर सभी भावविभोर हो गए। क्या ​भरोसा है इस जिंदगी का साथ देती नहीं है किसी का आदि भजनों की प्रस्तुति से भक्त झूम उठे। इस आयोजन के मुख्य आयोजक  सह यजमान अवधेश कुमार तिवारी 'बुद्धन जी' हैं।

कोरोना वायरस से बचाव

यजमान सह मुख्य आयोजनकर्ता अवधेश कुमार तिवारी ने कहा कि पूरा देश कोरोना वायरस के संक्रमण के गुजर रहा है। इस कारण कम संख्या में लोगों को भागवत कथा श्रवण के लिए बुलाया गया है। शारीरिक दूरी का पालन होता है। लोगों को मास्क लगाकर यहां आते हैं। साथ ही वैदिक रीति के कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए भी प्रयास किया जा रहा है। धूप, हवन, आरती आदि के प्रयोग से कोरोना वायरस का संक्रमण का खतरा कम होगा। 

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