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भागवत कथा : बोले अनंताचार्य - अयोध्या की तरह मथुरा और काशी में भी बनेंगे मदिर

भागलपुर में स्‍वामी अनंताचार्य जी महाराज का प्रवचन सांतवें दिन संपन्‍न हो गया। चुनिहारी टोला स्थित राधा माधव मंदिर में अंतिम दिन काफी संख्‍या में लोग प्रवचन सुनने आए। उन्‍होंने कहा- मंदिर निर्माण के लिए पूरे देश में चलाया जा रहा संपर्क अभियान।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Updated: Mon, 30 Nov 2020 11:35 AM (IST)
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भागलपुर के चुनिहारी टोला में भागवत कथा सुनाते स्‍वामी अनंताचार्य जी महाराज।
भागलपुर, जेएनएन। चुनिहारी टोला स्थित राधा माधव मंदिर में चल रही श्रीमदभागवत कथा का रविवार को समापन हो गया। इस अवसर पर वृंदावन से आए कथावाचक स्वामी अनंताचार्य जी महाराज ने अयोध्या की तरह मथुरा और काशी में भी मंदिर निर्माण की इच्छा जताई।

उन्‍होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण भारतीय संस्कृति की जीत है। भारत धार्मिक और आध्यात्मिक देश है। संस्कृति ही यहां की विरासत है। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही काशी और मथुरा में भी मंदिर बनाए जाएंगे। यहां के भी मंदिरों को भी ध्वस्त कर दिया गया था। इसके लिए लगातार पूरे देश में संपर्क अभियान चलाया जा रहा है।

 

अंतिम दिन का प्रवचन

जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है। भगवान और गुरु के आगे कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए। उक्त बातें भागलपुर स्थित राधा माधव मंदिर चुनिहारी टोला में वृंदावन के संत अनंत श्री विभूति जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी अनंताचार्य जी महाराज भागवत कथा के दौरान कही। उन्होंने सुदामा चरित्र के माध्यम से भक्तों के सामने दोस्ती की मिसाल पेश की और समाज में समानता का संदेश दिया। साथ ही भक्तों को बताया कि श्रीमद् भागवत कथा का सात दिनों तक श्रवण करने से जीव का उद्धार हो जाता है, इसे कराने वाले भी पुण्य के भागी होते है।

 

स्वामी जी ने कहा कि अमृत से मीठा अगर कुछ है तो वह भगवान का नाम है,परमात्मा सत्यता के मार्ग पर प्राप्त होते हैं, मन-बुद्धि, ईन्द्रियों की वासना को समाप्त करना है तो हृदय में परमात्मा की भक्ति का दीप जलाना होगा। परमात्मा का नाम कभी भी लो , हर समय परमात्मा का चिन्तन करें, क्योंकि ईश्वर का प्रतिरूप ही परोपकार है।

 

स्वामी जी ने सुकदेव द्वारा राजा परीक्षित को सुनाई गई श्रीमद्भागवत कथा को पूर्णता प्रदान करते हुए कथा में विभिन्न प्रसंगों का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि शिशुपाल द्वारा श्रीकृष्ण का अपमान करने के पश्चात् श्री कृष्ण द्वारा सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध, गुरु भक्त सुदामा एवं श्री कृष्ण का द्वारिका में परम स्नेही मिलन, श्री कृष्ण का स्वधाम गमन एवं अंत में राजा परिक्षित को मोक्ष प्राप्ति के प्रसंगों को सुनाया। कृष्ण और सुदामा के मिलन को देखकर भक्त भावविभोर हो गए।

 

संगीत में भाव विभोर हुए श्रोता

कथा के दौरान  देखो- देखो ये गरीबी का हाल, कृष्ण के दरबार में विश्वास लेकर आया हूं। अरे द्वारपालो कन्हैया से कह दो दर पर सुदामा गरीब आ गया है... आदि श्रीकृष्ण के भक्तिमयी भजनों की प्रस्तुति से उपस्थित भक्त गण झूम उठे तथा दोनों हाथ ऊपर उठा कर श्रीकृष्ण भजनों पर झुमते हुए कथा एवं भजनों का आनंद लिया। स्वामी अनंताचार्य के स्वरचित भजनों को सुनकर भक्त भावविभोर हो गए। बमबम शास्त्री, सुरेश शास्त्री, भैरव झा शास्त्री और शिवानी शर्मा ने भी भजन गाए। कथा के समापन के बाद भंडारे का आयोजन किया गया। इस मौके पर कृष्णानंद चौबे, अंजनी कुमार चौबे, अवधेश कुमार तिवारी, विनय पांडे, विपिन तिवारी, उमेश शर्मा, धनंजय तिवारी आदि मौजूद थे।

 

गो की सेवा करें

स्वामी अनंताचार्य ने कहा कि जो गाय की सेवा नहीं करते या जिनका गाय के प्रति भक्ति नहीं है वह अपने मां के प्रति भी भक्ति नहीं कर सकते। मां तो सिर्फ अपने संतान को अमृत तुल्य दूध पिलाती है, लेकिन गाय तो समस्त चराकर को अमृत पान कराती है। इसलिए गाय की सेवा करना, गो पालन करना और गाय की रक्षा करना प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य होना चाहिए।

 

भंडारा व प्रसाद वितरण हुआ

यजमान सह मुख्य आयोजन अवधेश कुमार तिवारी ने कहा कि यहां सात दिनों से भागवत कथा का आयोजन हो रहा था। रविवार को इसका समापन हो गया। प्रतिदिन यहां भंडारा का आयोजन किया जाता था। प्रसाद वितरण किया गया। सुबह पूजन और हवन का कार्यक्रम होता है। कथा के दौरान आकर्षक झांकी निकाली जाती थी।

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