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जूही कुमारी : गरीब बच्चों का करवाती थी नामांकन, बनी शिक्षक को स्‍कूल में किया ऐसा काम कि मिल गया राजकीय शिक्षक सम्‍मान

Teachers Day 2022 Juhi Kumari राजकीय शिक्षक सम्मान पुरस्कार से सम्मानित होंगी किशनगंज की शिक्षिका जूही कुमारी। वे किशनगंज के प्राथमिक विद्यालय डुमरिया की प्रभारी प्रधानाध्यापिका हैं। वे शिक्षक बनने के पूर्व से ही गरीब बच्‍चों को पढ़ाती हैं।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Updated: Mon, 05 Sep 2022 12:10 PM (IST)
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किशनगंज स्थित प्राथमिक विद्यालय डुमरिया की प्रभारी प्रधानाध्यापिका जूही कुमारी।
संवाद सहयोगी, किशनगंज। Teachers Day 2022 Juhi Kumari: राज्य स्तर पर शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर योगदान देने वाले 20 शिक्षक-शिक्षिकाओं का चयन राजकीय शिक्षक सम्मान पुरस्कार के लिए के लिए किया गया है। इन चयनित शिक्षकों को पांच सितंबर के दिन शिक्षक दिवस पर श्री कृष्ण मेमोरियल हाल पटना में प्रशस्ति पत्र, मोमेंटो, अंगवस्त्र और पंद्रह हजार रुपए के चेक के साथ सम्मानित किए जाएंगे। इनमें किशनगंज जिला मुख्यालय स्थित प्राथमिक विद्यालय डुमरिया की प्रभारी प्रधानाध्यापिका जूही कुमारी का चयन हुआ है।

प्रभारी प्रधानाध्यापिका जूही कुमारी बताती है कि समाज सेवा के क्षेत्र में कुछ विशेष करने की चाहत बचपन से ही मन मस्तिष्क में जागृत होती रही। लेकिन इसके लिए स्वयं भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ उच्च शिक्षा ग्रहण करना पहली प्राथमिकता रही। समाज शास्त्र से आनर्स की डिग्री हासिल करने के बाद समाज के गरीब, दलित और शोषित बच्चों को पढ़ाना शुरू की। साथ ही साथ इन बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोडऩे के लिए सरकारी स्कूलों में नामांकन करवा देती। समाज सेवा करते-करते ऐसा प्रतीत होने लगा कि शिक्षक बनकर बेहतर रूप से बच्चों को पढ़ाने के साथ मार्गदर्शन कर सकूंगी। शिक्षिका बनने के लिए कड़ी मेहनत की।

मेरी मेहनत रंग लाई और 15 दिसंबर 2006 में प्राथमिक विद्यालय डुमरिया में शिक्षिका बनकर छोटे-छोटे बच्चों को पढ़ानी शुरू की। देखा जाए तो गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक शिक्षा बच्चों के लिए काफी महत्व रखता है। पिछले कई वर्षों से प्राथमिक विद्यालय डुमरिया में प्रभारी प्रधानाध्यापिका के पद पर कार्य कर रही हूं। मेरी आत्मशक्ति बढ़ाने में पिता एकादश प्रसाद शर्मा और माता सत्यभामा देवी का सराहनीय योगदान रहा। जिस प्रकार मेरे पुत्र राज कृष्णा ने 2021 में यूपीएससी परीक्षा में 158वां रैंक लाने में सफल रहा और पुत्री सुष्मिता सुप्रिया डाक्टर बनकर समाज सेवा में लगी है। मेरी हर संभव कोशिश रहती है कि छोटे-छोटे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देकर उन्हें भी आइएएस, चिकित्सक, प्रोफेसर और इंजीनियर बनने की राह में अग्रसर कर सकूं। यह प्रयास मेरे जीवन के अंतिम सांस तक चलता रहेगा।

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