जानिए... आतंकी फंडिंग करने वाले मु. गुलाम का भागलपुर से क्या है कनेक्शन Bhagalpur News
बेंगलुरु में पांच दिन पूर्व आरपीएफ की छापेमारी में गुलाम मुस्तफा का नाम सामने आया था। भुवनेश्वर से उसकी गिरफ्तारी हुई। मुस्तफा ने भागलपुर के दो लोगों जुनैद और इमरान के नाम लिए थे।
भागलपुर [रजनीश]। अवैध रूप से रेलवे में ई-टिकट काटकर हवाला, आतंकी फंडिंग करने वाले गिरफ्तार माफिया गुलाम मुस्तफा का भागलपुर से वर्षों पुराना कनेक्शन है। यहां के कई साइबर संचालकों से उसके अच्छे संबंध थे। जिले से हर महीने मोटी रकम भेजी जाती थी। 20 जनवरी को अवैध रूप से ई-टिकट का धंधा करने के मामले में आरपीएफ गिरफ्त में आए मु. जुनैद राज और मु. इमरान ने यह कबूला है। अब आरपीएफ उन दोनों के बैंक एकाउंट खंगालने में जुट गई है। एकाउंट डिटेल आने के बाद स्पष्ट होगा कि उन दोनों ने मुस्तफा को अबतक कितनी फंडिंग की है।
दरअसल, बेंगलुरु में पांच दिन पूर्व आरपीएफ की छापेमारी में गुलाम मुस्तफा का नाम सामने आया था। इसके बाद भुवनेश्वर से उसकी गिरफ्तारी हुई। गिरफ्तारी के दौरान मुस्तफा ने भागलपुर के दो लोगों मु. जुनैद राज और मु. इमरान के नाम लिए थे। उसकी निशानदेही पर भागलपुर आरपीएफ इंस्पेक्टर अनिल कुमार सिंह ने स्थानीय मोजाहादिपुर थाना क्षेत्र से मु. जुनैद राज और जगदीशपुर थाना क्षेत्र के पुरैनी गांव से मु. इमरान को गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के बाद उन दोनों ने बताया कि मुस्तफा से कई वर्षों से उनके संबंध हैं। ई-टिकट के धंधे से आने वाले पैसों को मुस्तफा के एकाउंट पर भेजा जाता था।
मुस्तफा को एक टिकट पर एक हजार देता था
आरपीएफ की पूछताछ में दोनों ने बताया कि वह एक टिकट पर (पीएनआर) मुस्तफा को एक हजार रुपये दिया करते थे। दोनों अमूमन महीने में सौ से डेढ़ सौ टिकटें काटते थे। हर महीने मोटी रकम एकाउंट के जरिये भेजा जाता था। आरपीएफ इसके सभी आइडी की जांच कर रही है।
मुस्तफा ने ही 'एएनएमएस' सॉफ्टवेयर कराया था उपलब्ध
हवाला और आंतकियों को फंडिंग करने वाले गुलाम मुस्तफा ने ही भागलपुर के दोनों साइबर संचालकों को 'एएनएमएस' सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराए थे। लेकिन उसके इस्तेमाल का तरीका पता नहीं होने के कारण मु. जुनैद राज और मु. इमरान उस सॉफ्टवेयर से टिकटें नहीं काट सके। आरपीएफ ने यह कार्रवाई इस संबंध में बेंगलुरु की आरपीएफ से मिली इनपुट के आधार पर की।
घर पर साइबर कैफे की आड़ में चल रहा था धंधा
मु. जुनैद राज और मु. इमरान साइबर कैफे की आड़ में ई-टिकट का धंधा करते थे। उन दोनों ने कई फर्जी नामों से ई-टिकट काटने के लिए कई आइडी बना रखी थी। गुलाम मुस्तफा ही उसे आइडी बनाकर उपलब्ध कराता था। वे दोनों घर से ही वर्षों से यह धंधा चला रहे थे।
लैपटॉप और कई टिकटें भी हुए थे बरामद
आरपीएफ ने दोनों के पास से कटे हुए कई आरक्षित टिकट, लैपटॉप, मोबाइल और एक सॉफ्टवेयर जब्त किए हैं। रेल पुलिस ने उन दोनों के खिलाफ रेलवे एक्ट के तहत मामला दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया है।