भागलपुर के पीरपैंती में 21,400 करोड़ से स्थापित होगा 2400 मेगावाट का थर्मल प्लांट; जमीन अधिग्रहण का काम पूरा
भागलपुर जिले के पीरपैंती में 21400 करोड़ से 2400 मेगावाट का थर्मल पावर प्लांट स्थापित किया जाएगा। पीरपैंती थर्मल पावर के लिए 1020.60 एकड़ जमीन का अधिग्रहण हो चुका है। थर्मल पावर प्लांट का निर्माण एनएचपीसी व जेबी कराएगा। इसमें दोनों की आधी-आधी हिस्सेदारी रहेगी। पावर प्लांट के स्थापित होने के बाद पीरपैंती सहित पूरे जिले को बिजली की कमी नहीं होगी।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। पीरपैंती में 21,400 करोड़ से 24 मेगावाट क्षमता वाले थर्मल पावर का निर्माण होगा। इसे एनएचपीसी व जेबी मिलकर बनाएगा। इसमें दोनों की हिस्सेदारी आधी-आधी होगी। चार फेज में इसका निर्माण होगा। दो हजार करोड़ से 1020.60 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर लिया गया है।
कोल इंडिया के सहयोग से ताप विद्युत संस्थान की स्थापना की जाएगी। इस प्रोजेक्ट के स्थापित होते ही बिहार में बिजली की उपलब्धता बढ़ जाएगी। पीरपैंती सहित पूरे जिले को बिजली की कमी नहीं होगी। पीरपैंती व इससे सटे राजमहल में कोयले का अकूत भंडार है। इसका उपयोग पीरपैंती थर्मल पावर में किया जाएगा।
पीरपैंती थर्मल पावर का निर्माण होने से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। पीरपैंती प्रखंड का तेजी से विकास होगा। थर्मल पावर के आसपास की जमीन पर कॉलोनियां बसेंगी। झारखंड के साहेबगंज व राजमहल को भी फायदा होगा।
पहले सोलर बिजली घर लगाने का हुआ था निर्णय
पीरपैंती में 2400 मेगावाट कोयला आधारित बिजली संयंत्र की घोषणा 2008 में की गई थी। 1020.60 एकड़ जमीन का अधिग्रहण पांच मौजे सुंदरपुर, टुंडवा-मुंडवा, रायपुरा, श्रीमतपुर, हरिणकोल में 918 से अधिक किसानों से किया गया है। जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होते ही राज्य सरकार ने बक्सर के चौसा, लखीसराय के कजरा और भागलपुर के पीरपैंती में 660 मेगावाट की दो-दो यूनिट निर्माण किए जाने की योजना बनाई थी।
तकनीकी कारणों से कजरा व पीरपैंती में सोलर बिजली घर बनाए जाने का निर्णय लिया गया। कजरा में 150 मेगावाट सोलर बिजली प्लांट पर काम शुरू कर दिया गया, लेकिन पीरपैंती का मामला फंस गया। आकलन में पाया गया कि हरा-भरा क्षेत्र अधिक होने के कारण यहां मात्र 50 मेगावाट ही सोलर बिजली उत्पादित हो सकती है।
इस कारण ऊर्जा विभाग ने अब तय किया है कि पीरपैंती में थर्मल बिजली घर का निर्माण कराया जाएगा। फिर से जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो पाती कि 2017 में पता चला कि दो सौ करोड़ सृजन घोटाला की भेंट चढ़ गया।
इसके बाद विभाग ने सरकार से राशि की मांग की। सरकार से राशि प्राप्त होने के बाद अब जमीन अधिग्रहण का कार्य पूरा हुआ है। जमीन की घेराबंदी की जा रही है।
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