नौ साल बाद सरायगढ़-आसनपुर और राघोपुर के बीच ट्रेने के दौड़ेने की जगी उम्मीद, यहां तक पहुंचा काम
सहरसा से सरायगढ़-आसनपुर और राघोपुर तक ट्रेन परिचालन शुरू करने की कवायद शुरू हो गई है। यहां 2012 से ट्रेन परिचालन बंद है। लेकिन सोमवार को यहां पर ट्रायल किया गया। ट्रायल इंजन के पहली बार पहुंचने पर लोगों में रेल परिचालन की आस जग गई है।
जागरण संवाददाता, सुपौल। नौ वर्ष बाद सोमवार को प्रतापगंज में ट्रेन की सीटी गूंजी। इस सीटी से सस्ता व सुलभ यात्रा की हसरत लिए बैठे लोग ट्रायल इंजन के पहुंचते ही खुशी से झूम उठे। लोग स्टेशन की ओर दौड़ पड़े। बता दें कि यहां 20 जनवरी 2012 से ट्रेन परिचालन बंद है। इससे यहां पर ट्रेन के चलने की कवायद शुरू हो गई है।
इधर ट्रायल इंजन के पहली बार पहुंचने पर लोगों में रेल परिचालन की आस जग गई है। लोगों को अब लगने लगा है कि अब जल्द ही रेल पर चढऩे का सपना पूरा होगा। रेल परिचालन के लिए उत्सुक लोग एक-दूसरे से पूछ रहे थे कि कब से रेल का परिचालन प्रारंभ होगा। पिछले वर्ष सहरसा से सरायगढ़-आसनपुर और राघोपुर तक ट्रेन परिचालन होने के बाद राघोपुर से फारबिसगंज तक धीमी गति से चल रहे आमान परिवर्तन कार्य में तेजी आई। नतीजा हुआ कि दोपहर 1.30 बजे सहरसा से चल कर ट्रायल इंजन प्रतापगंज स्टेशन पहुंची। ट्रायल का जायजा लेने पहुंचे रेल के डिप्टी चीफ इंजीनियर संजय कुमार से जब फारबिसगंज तक रेल परिचालन के संदर्भ में पूछा गया तो उन्होंने मार्च-अप्रैल तक परिचालन की संभावना जताई। उन्होंने बताया कि मार्च-अप्रैल तक ललितग्राम तक आमान परिवर्तन का कार्य पूरा कर ट्रेनों का परिचालन किया जा सकता है। ललितग्राम से फारबिसगंज के बीच भी तेजी से कार्य किया जा रहा है। इस मौके पर एईन आरके मिश्रा, पीडब्लूआइ सीबी राय, आइओडब्ल्यू अमितेश कुमार सहित ट्रायल इंजन के मुख्य चालक एसएन सहाय, सहायक चालक राजीव रंजन और गार्ड राजेश कुमार आदि मौजूद थे।
लंबे समय से ट्रेन चलने की हो रही मांग
सहरसा से सरायगढ़-आसनपुर और राघोपुर तक ट्रेन परिचालन की मांग लोग लंबे समय से कर रहे थे। ट्रेन का परिचालन शुरू नहीं होने से इस इलाके के लोगों को आवागमन में काफी सहूलियत हो जाएगी। अभी यहां से बस और निजी वाहन ही आवागमन का सहारा है। ट्रायल के शुरू हो जाने के बाद यहां के लोगों को जल्द इस ट्रेन के परिचालन की उम्मीद है।