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सुरक्षित मातृत्व प्रसव योजना को भी धरातल पर उतारने में परेशानी, जानिए क्‍या है संकट

सरकार लाख महिला को सुविधाएं देने की बात कर ले पर कटिहार जिले में महिला चिकित्‍सकों की कमी के कारण यहां सुरक्षित मातृत्व प्रसव योजना को भी धरातल पर उतारना मुश्किल प्रतीत होता है। जिले के अधिकांश अनुमंडल रेफरल अस्पताल और पीएचसी में महिला चिकित्सकों की कमी

By Amrendra TiwariEdited By: Updated: Wed, 23 Dec 2020 12:49 PM (IST)
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गर्भवती महिलाओं की एएनसी जांच एवं टीकाकरण भी समुचित तरीके से नहीं हो पाना बड़ी समस्‍या

जागरण संवाददाता, कटिहार । सुरक्षित मातृत्व प्रसव योजना को लेकर सरकार द्वारा पहल की जा रही है। कुपोषण दूर करने को लेकर पोषण माह का आयोजन किया जा रहा है। जिले के अधिकांश अनुमंडल, रेफरल अस्पताल और पीएचसी में महिला चिकित्सकों की कमी के कारण यह योजना धरात ल पर नहीं उतर पा रही है। ऐसे में पीएचसी में प्रसव कराने आने वाली महिलाओं का प्रसव ए ग्रेड एएनएम व आशा कार्यकर्ताओं द्वारा ही कराया जाता है। महिला चिकित्सक की कमी के कारण गर्भवती महिलाओं की एएनसी जांच एवं टीकाकरण भी समुचित तरीके से नहीं हो पा रहा है।

आयरन व फोलिक एसिड सहित अन्य आवश्यक दवा देने पर भी उठ रहा सवाल 

सुरक्षित मातृत्व व प्रसव को लेकर आशा कार्यकर्ता एवं एएनएम द्वारा गर्भवती महिला को जागरूक करने के साथ ही आयरन व फोलिक एसिड सहित अन्य आवश्यक दवा देने संबंधी दावो पर भी सवाल उठ रहा है। आंकड़ों के मुताबिक अब भी लगभग 30 प्रतिशत प्रसूता सरकारी अस्पताल तक नहीं पहुंच पा रही है। ग्रामीण इलाकों में अब भी घर में प्रसव कराए जाने से संक्रमण का खतरा बना रहता है। सदर अस्पताल स्थित एसएनसीयू में ही प्रतिमाह औसतन चार दर्जन से अधिक संक्रमित नवजात को भर्ती कराया जाता है। इनमें कम वजन, न्यूमोनिया, पीलिया तथा सांस लेने में परेशानी से ग्रसित नवजात शामिल होत े हैं।

इन बच्चों में होता है संक्रमण का खतरा

गर्भवती मां को समुचित पोषण नहीं मिलने, समय पर उनकी जांच नहीं होने, पूरक आहार सहित टीकाकरण की कमी के कारण इसका प्रभाव नवजात पर होता है। मुख्य रूप से अंडर वेट बच्चों में संक्रमण का खतरा सबसे अधिक रहता है। इसके साथ ही प्रसव के दौरान साफ-सफाई का अभाव, कुशल चिकित्सक व दाई के बिना प्रसव कराने, घर पर प्रसव कराने और समय से पूर्व जन्म लेने वाले बच्चों में संक्रमण की संभावना अधिक होती है। इसके साथ ही समय पर जांच व उचित देखभाल के अभाव में बच्चों के अंगों का पर्याप्त विकास नहीं हो पाता है। इन बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी के कारण नवजात संक्रमण का शिकार हो जाते हैं।

स्वस्थ बच्चों के लिए गर्भावस्था में रखें विशेष ध्यान 

सुरक्षित प्रसव और नवजात के लिए गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। इसके लिए शुरूआती समय से ही नियमित जांच और टीकाकरण आवश्यक है। गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं पर ही गर्भस्थ शिशु का विकास निर्भर करता है। इसके लिए खान पान व स्वास्थ्य की विशेष देखभाल के साथ जरुरी पोषण की आवश्यकता है। आंगनबाड़ी केंद्रों के साथ ही सरकारी अस्पतालों के माध्यम से मिलने वाली सुविधाओं का उपयोग करना चाहिए। हर हाल में प्रसव सरकारी अस्पताल व प्रशिक्षित नर्स से ही कराना चाहिए।

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