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Vikramshila Setu पर मंडरा रहा खतरा, रोजाना चलती हैं 15-20 हजार गाड़ियां; राज्य पुल निर्माण निगम तक पहुंचा पत्र

विक्रमशिला सेतु की हालत खस्ता है। सेतु पर खतरा मंडरा रहा है। भारी वाहनों के चलते हर दिन खतरा बढ़ गया है। पुल के कई हिस्सों में गैप बढ़ने से गंगा दिखने लगी है। पुल की बियरिंग के भी खराब होने की आशंका है। एनएच भागलपुर प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता ने मुख्य अभियंता को अवगत कराया। विशेषज्ञों से जांच कराने का आग्रह किया है।

By Alok Kumar Mishra Edited By: Mukul Kumar Updated: Sun, 22 Sep 2024 01:41 PM (IST)
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प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर
जागरण संवाददाता, भागलपुर। पूर्वी बिहार की लाइफ लाइन विक्रमशिला सेतु के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। क्षमता से अधिक भारी वाहनों के परिचालन और पुल पर आए दिन जाम लगने से इसके एक्सपेंशन ज्वाइंट का गैप पांच से छह इंच तक बढ़ गया है।

इसके कारण सेतु के पोल संख्या 89, 113, 125, 141, 148, 128 सहित 12-13 जगहों पर गैप से गंगा दिखाई देने लगी है। पुल की बियरिंग के भी खराब होने की आशंका जताई जा रही है।

इसकी वजह से भारी वाहनों के गुजरने से पुल पर अत्यधिक कंपन महसूस होने लगता है। जो अच्छा संकेत नहीं है। रखरखाव के अभाव में सेतु की सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं।

रेलिंग भी हो क्षतिग्रस्त हो गया है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए एनएच भागलपुर प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता वृजनंदन कुमार ने मुख्य अभियंता को वस्तुस्थिति से अवगत करा दिया है। मुख्य अभियंता ने भी बिहार राज्य पुल निर्माण निगम को पत्र लिख विशेषज्ञों से जांच कराने का आग्रह किया है।

जरूरी फैक्ट्स

  • पुल पर भारी वाहनों के गुजरने से होने लगा है अत्यधिक कंपन
  • गैप बढ़ने से ज्वाइंट के बीच से दिखाई देने लगी है गंगा नदी
  • सड़क पर बन गए हैं बड़े-बड़े गड्ढे, पुल का रेलिंग भी हो चुका है क्षतिग्रस्त
  • एनएच भागलपुर प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता ने मुख्य अभियंता को कराया अवगत
  • 24 साल पूर्व इस पुल पर शुरू हुआ था वाहनों का परिचालन
  • 2016-17 में 15 करोड़ की लागत से कराया गया था दुरुस्तीकरण कार्य

कहां-कहां बढ़ा है एक्सपेंशन ज्वाइंट का गैप

पोल संख्या 89, 113, 125, 141, 148, 128 सहित 12-13 जगहों पर एक्सपेंशन ज्वाइंट का गैप ज्यादा बढ़ गया है।

हवा-हवाई साबित हुए अभियंताओं के दावे

2016-17 में 15 करोड़ की लागत से मुंबई की एक एजेंसी से पुल के दुरुस्तीकरण का कार्य कराया गया था। यह काम पुल निर्माण निगम, खगड़िया की देखरेख में हुआ था। एक्सपेंशन ज्वाइंट, बियरिंग बदलने के साथ-साथ खोद कर नए सिरे से सेतु सड़क का निर्माण कराया गया था। सड़क पर मास्टिक बिछाई गई थी।

दावा किया गया था कि अगले 20 साल तक सेतु में कुछ नहीं होगा। 10 साल तक सड़क की मरम्मत की जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन अभियंताओं के दावे हवा-हवाई साबित हुए। सात साल में ही सेतु के दुरुस्तीकरण की दरकार पड़ गई। सेतु ही नहीं इसका पहुंच पथ भी खराब हो गया है।

यातायात टीओपी के पास बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं। पुलिस का कहना है कि इसकी जानकारी पुलिस ग्रुप में शेयर कर दी गई है। खराब सड़क के कारण आए दिन दो पहिया और तीन पहिया वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं।

प्रतिदिन 15 से 20 हजार गाड़ियों का होता है परिचालन

बताया गया कि जिस समय इस सेतु का निर्माण कराया गया था उस समय वाहनों का दबाव काफी कम था। वर्तमान में प्रतिदिन साढ़े चार हजार भारी वाहन सहित 15 से 20 हजार गाड़ियों पुल से गुजरती हैं। 40 से 50 टन या इससे अधिक लोड वाले वाहनों का परिचालन हो रहा है।

इससे पुल पर दवाब बढ़ रहा है। लिहाजा, एक्सपेंशन ज्वाइंट का गैप बढ़ने लगा है। पुल में मेजर प्राब्लम है। इसलिए सेतु के जल्द मरम्मत की जरूरत है। जल्द ठीक नहीं कराने पर बुरा असर पड़ सकता है।

ओवरलोड के कारण यह समस्या खड़ी हुई है। पुल के दुरुस्तीकरण के लिए मुख्य अभियंता और बिहार राज्य पुल निर्माण निगम के निदेशक को प्रस्ताव भेजा गया है। - बृजनंदन कुमार, कार्यपालक अभियंता, एनएच

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