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Bihar News: विक्रमगंज जेल के कक्षपाल की हेराफेरी हुई फेल, काटेगा जेल

बिहार के भागलपुर में विक्रमगंज जेल का कक्षपाल मनोज कुमार सिंह स्नातक की फर्जी डिग्री के जरिए सहायक जेल अधीक्षक बन गया। हालांकि उसकी हेराफेरी ज्यादा दिन तक छुपी नहीं रह सकी। जेल आईजी ने मामला पकड़ लिया। जिसके बाद जेल अधीक्षक ने मनोज की विशेष केंद्रीय कारा भागलपुर में हुई प्रतिनियुक्ति को रद्द कर दिया। अब उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।

By Kausal Mishra Edited By: Mohit Tripathi Updated: Sun, 19 May 2024 03:26 PM (IST)
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कक्षपालक की हेराफेरी हुई फेल, काटेगा जेल। (फाइल फोटो)

कौशल किशोर मिश्र, भागलपुर। विक्रमगंज जेल के कक्षपाल मनोज कुमार सिंह स्नातक की फर्जी डिग्री के जरिए सहायक जेल अधीक्षक बन गए। पर उनकी यह हेराफेरी अधिक दिनों तक छुपी न रह सकी। जेल आइजी प्रणव कुमार ने मामला पकड़ लिया। जिसके बाद जेल अधीक्षक ने मनोज की विशेष केंद्रीय कारा, भागलपुर में हुई प्रतिनियुक्ति रद्द कर दी। अब उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।

क्या था मामला?

बंदियों की सुरक्षा और सहायक जेल अधीक्षक के रिक्त पदों को भरने के लिए कक्षपालों को प्रोन्नत कर नई जिम्मेदारियां दी गई थी। पर उसमें मनोज कुमार सिंह शातिर निकला। सहायक जेल अधीक्षक बनने के लिए उसने स्नातक की फर्जी डिग्री बनवा ली। जब जेल आइजी ने डिग्री की जांच की तो वह फर्जी निकली।

नतीजा, उसकी प्रोन्नति को तत्काल प्रभाव से रद करते हुए उसे विक्रमगंज जेल में कक्षपाल पद पर योगदान देने का निर्देश दिया गया। कारा मुख्यालय सूत्रों की मानें तो मनोज कुमार सिंह के विरुद्ध धोखाधड़ी समेत अन्य गंभीर आरोप में केस भी दर्ज किया जा सकता है।

प्रोन्नति के बाद पसंदीदा जेल में करा ली थी प्रतिनियुक्ति

मनोज ने कक्षपाल पद से न सिर्फ प्रोन्नति पा ली बल्कि अपने पसंदीदा जेल विशेष केंद्रीय कारा, भागलपुर में सहायक जेल अधीक्षक पद के प्रभार में प्रतिनियुक्ति भी करा ली।

बहरहाल, विभागीय कार्रवाई में अब मनोज बताएगा कि उसने स्नातक की फर्जी डिग्री कैसे और कहां से हासिल की थी। सवाल यह भी उठेगा कि कक्षपाल की नौकरी के लिए भी तो कहीं उसने गलत तरीका नहीं अपनाया था।

कक्षपाल पद से 19 कर्मियों को मिली थी उच्चतर जिम्मेदारी

कारा मुख्यालय ने कार्यालय व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए कक्षपाल संवर्ग के कुल 19 कर्मियों को सहायक अधीक्षक के उच्चतर पद का प्रभार दिया था। इनमें मनोज कुमार सिंह भी शामिल थे। उसके स्नातक की डिग्री की जांच हुई तो विश्वविद्यालय ने उसे फेक करार दिया।

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