Chhath Puja 2024: सात समंदर पार से खींच लाई छठ पर्व की आस्था, इंग्लैंड से आरा पहुंचा परिवार
छठ पूजा का समय आते दुनिया के किसी भी कोने में रहने वाले बिहारी के मन में बस एक ही ख्याल आता है कि अब घर लौट चलें। उदवंतनगर प्रखंड के नवादावेन गांव में रहने वाले रजनीश परिवार के साथ इंग्लैंड में रहने के 14 साल बाद छठ पूजा के लिए अपने घर वापस लौटे हैं. वो अपने बच्चों को भी संस्कृति की झलक दिखाना चाहते हैं।
जागरण संवाददाता, उदवंतनगर(आरा)। छठी मईया की महिमा देश ही नहीं विदेश में रह रहे प्रवासियों के मन में भी हलचल पैदा कर देता है। जब बात बिहार की सांस्कृतिक परंपरा छठ पूजा की हो तो एक बिहारी अपने आप को कैसे रोक सकता है। ऐसा ही कुछ उदाहरण देखने को मिला उदवंतनगर प्रखंड के नवादावेन गांव में, जहां 14 साल बाद एनआरआइ परिवार छठ पर्व के लिए अपने गांव लौटा।
इंग्लैंड से एक एनआरआइ परिवार अपनी सांस्कृतिक समृद्धि व परंपराओं को देखने तथा अपने बच्चों को संस्कार से रूबरू कराने उदवंतनगर प्रखंड के नवादावेन गांव पहुंचा है। ये परिवार 14 वर्षों बाद अपने वतन लौटा है और दीपावली व छठ पूजा मनाई। नवादावेन गांव निवासी रजनीश कुमार सिंह की तरह अनेकों प्रवासी लोक आस्था का महापर्व छठ में सूर्य उपासना करने अपने गांव पहुंचे हैं।
लंदन में एक्शन टू डू संस्था के माध्यम से वंचित व कमजोर बच्चों को शिक्षा देने वाली मिताली ने बताया कि मायके में हमारी मां पूरे परिवार के साथ छठ करती थीं। पूरे घर में उत्सवी माहौल होता था। हम लोगों ने बचपन से छठ को महसूस किया है। भारत में जैसे ही दुर्गा पूजा बीतता है, विदेश में रह रहे प्रवासियों के मन में छठ पूजा की याद सताने लगती है।
वीडियो कॉल से जुड़ देखती थी छठ पूजा
हर वर्ष आ नहीं सकती तो वीडियो कॉल के माध्यम से घर की पूजा से जुड़ती थीं। शादी के बाद मैं लंदन में पति और बच्चों के साथ रहने लगी। छठ के समय आज भी शारदा सिन्हा का छठ गीत कानों में स्वतः गूंज उठता है।
मिताली ने बताया कि कई बार प्रयास किया लेकिन भारत नहीं आ सकी। इस बार अपने ससुराल दीपावली के पहले लौटी हूं। अपने स्वजनों के साथ छठी मैया की पूजा के साथ ही इसका सुखद अनुभव करना चाहती हूं तथा बच्चों को अपनी परंपरा से अवगत कराना चाहती हूं।
छठी मइया के बुलावे पर पहुंचे देश
लंदन में फाइनेंस सेक्टर में काम करने वाले एनआरआई रजनीश कुमार सिंह ने बताया कि इस बार छठी मैया ने अपने वतन बुलाया है। अपनी महान परंपरा को देखने के लिए आंखें तरस रही थी। 14 वर्षों से हम परिवार सहित स्थाई रूप से लंदन में रहते हैं। हम लोग अब लंदन वाले हो गए हैं,लेकिन हम आज भी सभ्यता और संस्कृति से जुड़े हैं।
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