ब्रह्मेश्वर सिंह मुखिया हत्याकांड: स्कॉर्पियो से उतरने के बाद पकड़ लिया हाथ, फिर दाग दीं छह-छह गोलियां; ऐसे रची गई थी हत्या की साजिश
Brahmeshwar Mukhiya Murder Case बिहार के बहुचर्चित ब्रह्मेश्वर सिंह मुखिया हत्याकांड की जांच कर रही सीबीआई ने दावा किया है कि उनकी हत्या राजनीतिक प्रतिशोध में की गई। इसमें पूर्व एमएलसी हुलास पांडे का नाम आया है। सीबीआई का कहना है कि सियासी पतन का डर ही हत्या का कारण बना क्योंकि प्रदेश के कई जिलों में ब्रह्मेश्वर मुखिया की लोकप्रियता बढ़ रही थी।
By Deepak SinghEdited By: Arijita SenUpdated: Tue, 19 Dec 2023 10:58 AM (IST)
जागरण संवाददाता, आरा। Brahmeshwar Mukhiya Murder Case : रणवीर सेना सुप्रीमो ब्रह्मेश्वर सिंह मुखिया की हत्या राजनीतिक प्रतिशोध में की गई थी। यह दावा केन्द्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) ने आरा जिला एवं सत्र न्यायालय के सेशन जज-तृतीय के कोर्ट में दायर 63पन्नों के पूरक आरोप-पत्र में किया है।
जांच में पता चला है कि जुलाई, 2011 में जेल से बाहर आने के बाद बक्सर, भोजपुर, रोहतास, जहानाबाद, गया और औरंगाबाद जिलों में विशेष जाति, किसान और मजदूरों के बीच उनकी बढ़ती लोकप्रियता से प्रतिद्वंदी के राजनीतिक करियर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना शुरू हो गया था।
वर्ष 2016 में पकड़ा गया आरोपी फौजी। फाइल फोटो
राजनीतिक पतन का डर बना हत्या का कारण
सीबीआई ने चार्जशीट में कहा है कि ब्रह्मेश्वर मुखिया ने इन क्षेत्रों के किसान और मजदूरों को एकजुट करना शुरू कर दिया था और राष्ट्रवादी किसान संगठन का गठन किया था।साक्ष्य के तौर पर यह भी जिक्र है कि उस समय हुलास पांडेय का समर्थन क्षेत्र भी भोजपुर, बक्सर और रोहतास जिलों में मुख्य रूप से एक ही समुदाय विशेष के बीच था और उन्होंने 2010 में आरा-बक्सर स्थानीय निकाय से एमएलसी का चुनाव जीता था।सीबीआई के मुताबिक, ऐसा लगता है कि अपने राजनीतिक पतन के डर से पूर्व एमएलसी हुलास पांडेय ने अभय पांडेय, नंद गोपाल पांडे उर्फ फौजी, रितेश कुमार उर्फ मोनू सिंह, अमितेश कुमार पांडे उर्फ गुड्डू पांडे, प्रिंस पांडे, बालेश्वर रा मनोज के साथ मिलकर हत्या की साजिश रची है।
डीएसपी वी दीक्षित ने हत्या, आर्म्स एक्ट एवं साजिश अधिनियम के तहत चार्जशीट दाखिल किया है। इधर, इस मामले में सोमवार को तारीख थी, लेकिन जिला सत्र न्यायालय सेशन-3 ने केस में तीन जनवरी को नई तारीख मुकर्रर की है।साल 2012 में हत्या के बाद शोकाकुल स्वजन।
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इस तरह से प्लान को दिया गया था अंजाम
इधर,सीबीआई ने अपने जांच यह खुलासा किया है कि एक जून, 2012 की सुबह चार बजे हुलास पांडेय, अभय पांडेय, नंद गोपाल पांडे उर्फ फौजी, रितेश कुमार उर्फ मोनू, मनोज राय उर्फ मनोज पांडे बालेश्वर राय एक-दूसरे से जुड़े हुए थे। अमितेश कुमार पांडे उर्फ गुड्डु पांडे एवं प्रिंस पांडे कतीरा मोड़ के पास थे। हुलास पांडेय और बालेश्वर राय स्कार्पियो में थे, मनोज राय गाड़ी चला रहे थे। जबकि, अभय पांडे, नंद गोपाल पांडे उर्फ फौज, रितेश कुमार मोनू, अमितेश कुमार पांडे उर्फ गुड्डु पांडे और प्रिंस पांडेय पैदल थे। मुखिया को उनके घर के पास नियमित की तरह टहलते देखा तो मनोज राय उर्फ मनोज पांडेय ने पहले उन्हें स्कार्पियो में बुलाया और फिर ब्रह्मेश्वर सिंह मुखिया को स्कार्पियो की बीच वाली सीट पर बैठाया गया। मारे गए रणवीर सेना सुप्रीमो की निकली शव यात्रा। सीबीआई ने जांच में पाया है कि घर की ओर जाने वाली गली के ठीक आगे स्कार्पियो राेकने के बाद ब्रह्मेश्वर मुखिया और हुलास पांडेय स्कार्पियो से उतरे और शेष पांच अन्य व्यक्ति अभय पांडे, नंद गोपाल पांडे उर्फ फौजी, रितेश कुमार उर्फ मोनू, अमितेश कुमार पांडे उर्फ गुड्डु पांडे और प्रिंस पांडे पैदल ही उनका पीछा करते हुए उनके पास पहुंच गए। नंद गोपाल पांडेय उर्फ फौजी और अभय पांडे ने ब्रह्मेश्वर मुखिया के दोनों हाथ पकड़ लिए और हुलास पांडेय ने अपनी पिस्तौल से मुखिया पर छह राउंड फायर किए। जिससे वे जमीन पर गिर गए। मुखिया की हत्या के बाद बाकी लोग भी घटनास्थल के आसपास थे और गुड्डु पांडे अपने हाथों में एके-47 लेकर सड़क पर खड़ा था। हुलास पांडे और बालेश्वर राय वहां से मनोज राय के साथ स्कॉर्पियो में आरा रेलवे स्टेशन की ओर चले गए और बाकी लोग अभय पांडे, नंद गोपाल पांडे उर्फ फौजी, प्रिंस पांडे, अमितेश कुमार पांडे गुड्डु पांडे और रितेश कुमार उर्फ मोनू वहां से पैदल भाग गए।सीबीआई ने कोर्ट से की यह गुजारिश
इस केस में चार आरोपित अभय पांडेय, नंद गोपाल पांडे उर्फ फौजी, रितेश कुमार उर्फ मोनी और प्रिंस पांडेय पूर्व से जमानत पर हैं। जबकि, चार अन्य आरोपितहुलास पांडे अमितेश कुमार पांडे उर्फ गुड्डू पांडे, बालेश्वर राय और मनोज राय जमानत पर नहीं हैं। सीबीआई के डीएसपी सह अनुसंधानकर्ता वी दीक्षित ने कोर्ट से आग्रह किया है कि आरोपिताें को अदालत में बुलाया जाए और मुकदमा चलाने के लिए आवश्यक प्रक्रिया जारी की जाए।सीबीआई ने 30 लोगों को बनाया गया गवाह
सीबीआई ने ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड को लेकर जो पूरक आरोप-पत्र दाखिलकिया है उसमें कुल 30 लोगों को गवाह बनाया है। इसमें मुखिया पुत्र इंदु भूषण एवं ओम नारायण राय के अलावा करीब 12 आम लोगों, सदर अस्पताल के चार डाॅक्टर एवं एफएसएल के जांच पदाधिकारी समेत पुलिस एवं सीबीआई के सब इंस्पेक्टर एवं डीएसपी से लेकर 13 पदाधिकारी गवाह बनाए गए है। एफएसएल का जांच रिपोर्ट एवं पोस्टमार्टम रिपोर्ट आदि को संलग्न किया गया है।हुलास पांडेय ने पद से दिया इस्तीफा, बोले आरोप -पत्र न्यायसंगत नहीं
इधर, लोजपा (रामविलास) पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष एवं पूर्व विधान पार्षद हुलास पांडेय ने अपने पद से त्यागपत्र पत्र दे दिया है। उन्होंने सीबीआइ के चार्जशीट पर सवाल उठाया है और अपने ऊपर लगे आरोपों को निराधार बताया है । उन्होंने कहा कि आरोप -पत्र न्यायसंगत नहीं है।वे घटना के दिन अपने पटना सरकारी आवास पर थे और सरकारी अंगरक्षक भी उनके साथ थे।ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड: जानें कौन आरोपित कहां के निवासी
- हुलास पांडेय : मूल गांव नावाडीह, काराकाट, रोहतास, वर्तमान पटना
- अभय पांडेय : मूल गांव नंदपुर, ब्रह्मपुर, बक्सर, वर्तमान, कतीरा, आरा
- नंद गाेपाल पांडेय : जोगियां, बिक्रमगंज, रोहतास
- रितेश उर्फ मोनू सिंह : मूल गांव कुरमुरी, सिकरहटा, भोजपुर, वर्तमान जमेशदपुर, झारखंड
- अमितेश पांडेय उर्फ गुड्डू : मूल गांव इमादपुर, भोजपुर, वर्तमान गोला राेड, पटना
- प्रिंस पांडेय : मूल गांव नंदपुर-ब्रह्मपुर, बक्सर, वर्तमान कतीरा, नवादा
- बालेश्वर राय : मूल गांव चासी नारायणपुर, वर्तमान पता तिलक नगर, कतीरा, आरा
- मनोज राय उर्फ मनोज पांडेय : मूल गांव, नावाडीह काराकाट, रोहतास