समूह में कितनी ताकत होती है यह बीते दो साल से फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी बनाकर खेती कर रहे भोजपुर के चार प्रखंड बड़हरा बिहिया कोईलवर व शाहपुर के 309 किसानों को अनुभव हो रहा है। इन अन्नदाताओं ने अब व्यावसायिक खेती की ओर कदम बढ़ा दिया है। अबतक ये निजी कंपनी के फ्रोजेन मटर के लिए अपनी गुणवत्तापूर्ण उपज रांची भेज रहे थे।
राणा अमरेश सिंह, आरा। समूह में कितनी ताकत होती है, यह गत दो वर्ष से फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी बनाकर खेती कर रहे भोजपुर जिले के चार प्रखंड बड़हरा, बिहिया, कोईलवर व शाहपुर प्रखंड के 309 किसानों को अनुभव हो रहा है। अब इन अन्नदाताओं ने व्यावसायिक खेती की ओर कदम बढ़ा दिया है।
अब तक ये किसान निजी कंपनी के फ्रोजेन मटर के लिए अपनी गुणवत्तापूर्ण उपज रांची भेज रहे थे। गुणवत्ता का बाजार में मोल समझ में आया तो स्वयं बाजार में उतरने की तैयारी में जुट गए हैं।
उद्यान विभाग द्वारा भोजपुर जिले के कोईलवर में स्थापित पैकेजिंग इकाई की क्षमता वृद्धि कर मटर का अपना ब्रांड प्रस्तुत करेंगे। यहां अन्य सब्जियों की ग्रेडिंग एवं पैकेजिंग की भी योजना है। पैसे के अभाव में प्रगति रूकी हुई थी।
अगले सीजन में लाएंगे खुद का फ्रोजेन मटर ब्रांड
पहले उद्यान विभाग ने मना किया, बाद में किसानों का हौसला देख प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के तहत ऋण के तौर पर वित्तीय मदद करने को सहमत हो गया है।
सब कुछ ठीक रहा तो किसानों का अपना फ्रोजेन मटर का ब्रांड अगले सीजन में बाजार में होगा। एफपीसी के अध्यक्ष कौशल सिंह ने बताया कि अभी ब्रांड का नाम नहीं सोचा गया है, यह सदस्यों की सहमति से तय होगा।
‘एक जिला-एक उत्पाद’ योजना के तहत शुरू किया काम
किसानों को सरकार का समर्थन ‘एक जिला-एक उत्पाद’ योजना के तहत भोजपुर के मटर के चयन के कारण मिला। प्रगतिशील किसान कौशल सिंह ने 309 मटर उत्पादक किसानों को इकट्ठा संगठन बनाया और कंपनी एक्ट से इसका निबंधन कराया।
2022 में अत्याधुनिक तकनीक व गुणवत्ता वाले मटर बीज की प्राप्ति के लिए निजी कंपनी से एफपीसी का एमओयू (मेमोरेंडम आफ अंडरस्टैंडिंग) कराया। बीज मिला तो एफपीसी से जुड़े किसान 438 एकड़ से अधिक भूमि में मटर की आधुनिक तरीके से खेती करने लगे।बीज उपलब्ध काने वाली कंपनी ही बड़ी खरीदार बनी। उसकी शर्त यह थी कि मटर के दानों का आकार लगभग समान रहे एवं गुणवत्ता बेहतर रहे, जिसे किसानों ने पूरा कर दिखाया।
(बिहार में भोजपुर के खेत में मटर तोड़ती महिलाएं।)
महज एक महीने में निजी कंपनी को भेजे 20 टन मटर
गत जनवरी माह में 20 टन मटर निजी कंपनी की रांची इकाई को भेजे गए। मूल्य बाजार भाव से 20 प्रतिशत अधिक मिला। लाभ बढ़ा तो कंपनी के पांच सदस्यीय निदेशक मंडल व अन्य किसानों ने सर्वसम्मति से स्वयं बाजार में उतरने का निर्णय किया है।
क्या कहते हैं कंपनी के अध्यक्ष?
कंपनी के अध्यक्ष कौशल सिंह ने बताया कि कोईलवर प्रखंड के बिशुनपुर में उद्यान विभाग ने पैक हाउस बनवाया है, लेकिन इसकी क्षमता कम है। इस कारण लागत अधिक पड़ती है। अब ऋण लेकर इसकी क्षमता प्रतिदिन तीन मीट्रिक टन की जा रही है।
12 सौ एकड़ में होती मटर की खेती
भोजपुर जिले में मटर की खेती कुल 1200 एकड़ में होती है। यह सब्जी वाली मटर होती है। इसको फ्रोजेन नहीं किया जाए तो ज्यादा दिन टिकता नहीं है।कृषि विज्ञान केंद्र के निदेशक डा. पीके द्विवेदी ने बताया कि भोजपुर में पी-3, जी-10 एवं हरिभजन प्रजाति के मटर उपजाए जाते हैं। इसे धूप में सुखा कर नहीं रखा जा सकता है।
उन्होंने आगे बताया कि पैक हाउस की क्षमता वृद्धि के बाद मटर निर्धारित तापमान में फ्रीज करके पैक किए जा सकेंगे। इससे किसानों को मटर का बढ़ा मूल्य मिल सकेगा, सीजन में औने-पौने भाव में बेचने की विवशता नहीं रहेगी।
सबसे अधिक बड़हरा में होती मटर की खेती, सिंचाई का साधन नहीं
जिले में मटर की खेती सुबसे अधिक बड़हरा प्रखंड में 611 हेक्टेयर में होती है। कोईलवर प्रखंड में 165, शाहपुर में 274 और उदवंतनगर में 88 हेक्टेयर में होती है। बड़हरा, कोईलवर और शाहपुर प्रखंड में सिंचाई का साधन नहीं है। जनवरी में हल्की वर्षा से यह फसल लहलहाने लगती है।
इस मटर में खास स्वाद है। इसलिए फरवरी के पहले सप्ताह में इसे मुंबई, बेंगलुरु जैसे शहरों में अधिक कीमत मिलती है। यह असिंचित प्रखंडों की अर्थव्यवस्था में मुख्य भूमिका निभा रहा है। इससे जिले में चार लाख से अधिक किसान जुड़े हैं। इसकी बुआई में कम खर्च है। किसान जैविक उर्वरक का उपयोग करके अपनी फसल में खास स्वाद भी भर रहे हैं।
क्या कहते हैं उद्यान विभाग के अधिकारी?
कोईलवर प्रखंड के बिशुनपुर में मटर फ्रोजन के लिए 13 लाख 26 हजार की लागत से पैक हाउस बनाया गया है और पांच सौ प्लास्टिक कैरेट अनुदानित दर पर उपलब्ध कराए गए हैं। वहां काम अच्छा चल रहा है, शीघ्र ही फ्रोजेन पैकिंग के लिए जरूरी उपकरण निदेशालय उपलब्ध कराएगा।
-दिवाकर कुमार भारती, सहायक निदेशक, उद्यान विभाग।
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