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Bihar News : भोजपुर के किसान शुरू करेंगे स्टार्टअप, मार्केट में उतारेंगे खुद का ब्रांड

बिहार के भोजपुर की मटर अब किसी ब्रांड की तरह बाजारों में उपलब्ध होगी। भोजपुर के तीन सौ किसान संगठन बनाकर सामूहिक खेती करते हैं लेकिन अपना पैकेजिंग इकाई नहीं होने के कारण मटर को रांची भेजते हैं। अपना प्रासंस्करण इकाई बनाने की ओर किसान संगठन अग्रसर हैं और जल्द ही प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना से राशि मिलने के बाद किसान अपना ब्रांड बाजार में उतार सकते हैं।

By rana amresh singh Edited By: Mohit Tripathi Updated: Wed, 21 Feb 2024 04:49 PM (IST)
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भोजपुर के किसान मार्केट में उतारेंगे खुद का ब्रांड। (फाइल फोटो)
राणा अमरेश सिंह, आरा। बिहार के भोजपुर की मटर अब किसी ब्रांड की तरह बाजारों में उपलब्ध होगी। भोजपुर के तीन सौ किसान संगठन बनाकर सामूहिक खेती करते हैं, लेकिन अपना पैकेजिंग इकाई नहीं होने के कारण मटर को रांची भेजते हैं।

अपना प्रासंस्करण इकाई बनाने की ओर किसान संगठन अग्रसर हैं और जल्द ही प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना से कर्ज के रूप में राशि मिलने के बाद किसान अपना ब्रांड बाजार में उतार सकते हैं।

किसान उत्पाद संगठन के अध्यक्ष कौशल सिंह के मुताबिक, अगले सीजन में उन लोगों का सपना पूरा हो सकता है। हालांकि, अभी ब्रांड का नाम नहीं सोचा गया है, यह सदस्यों की सहमति से तय होगा।

जिले के चार प्रखंड बड़हरा, बिहिया, कोईलवर व शाहपुर प्रखंड के 309 किसान संगठन बना कर मटर की बुआई प्रमुखता से करते हैं।

इन प्रखंडों के 438 एकड़ से अधिक खेत में मटर की बुआई की जाती है। नवाचार के तहत अत्याधुनिक तकनीक, गुणवत्ता वाले मटर बीज उपलब्ध कराने के लिए मदर डेयरी से फार्मर प्रड्यूसर कंपनी से उन्होंने एमओयू (मेमोरेंडम आफ अंडरस्टैंडिंग) पर हस्ताक्षर किया है।

परिणाम है कि किसानों की आय बढ़ गई है। इसके कारण किसान उत्साहित हैं। कोईलवर प्रखंड के बिशुनपुर में 14.74 लाख रुपए की लागत से पैक हाउस का निर्माण किया किया गया है, लेकिन इसकी ामता कम है। इसकी वजह से लागत अधिक पड़ती है।

कौशल सिंह बताते हैं कि इसकी क्षमता प्रति दिन तीन मीट्रिक टन की जा रही है। पैक हाउस में सब्जियों की ग्रेडिंग एवं पैकेजिंग की योजना है। हालांकि, पैसे के अभाव में प्रगति रूकी हुई थी।

पहले उद्यान विभाग की ओर से इंकार किया गया, लेकिन किसानों का हौसला देखकर विभाग कर्ज के रूप में वित्तीय मदद पर सहमत हुआ है।

फिलहाल, एफपीसी से जुड़े किसानों के मटर को पैकेजिंग करने के लिए रांची में मटर डेयरी भेज दिया। जनवरी माह में 20 टन मटर रांची भेजे गए हैं। यह मटर बाजार भाव से 20 प्रतिशत अधिक कीमत भेजा गया। शर्त यही थी कि दाने के साइज में क्वालिटी उसकी बेहतर थी।

12 सौ एकड़ में होती है मटर की खेती

भोजपुर जिले में मटर की खेती कुल 1200 एकड़ में होती है। यह सब्जी वाली मटर होती है। यह नकदी फसल में आता है। इसको फ्रोजेन नहीं किया गया तो यह खराब हो जाएगा।

कृषि विज्ञान केंद्र के निदेशक डा. पीके द्विवेदी ने बताया कि यह पी-3, जी-10 और हरिभजन प्रजाति का मटर है। इसे सूखा करके नहीं रखा जा सकता है।

यहां पैक हाउस बनने के बाद जो काम रांची में हो रहा है, उस तरह की पैकेजिंग यहीं होने लगेगी। इससे किसानों को मुनाफे के साथ उचित मूल्य मिल सकेगा।

एक जिला-एक उत्पाद के तहत चयनित है मटर

एक जिला-एक उत्पाद कार्यक्रम का चयन प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के तहत किया गया है। एक जिला-एक उत्पाद कार्यक्रम में भोजपुर में मटर की खेती का चयन किया गया है। इसके अंतर्गत जिले के इकलौते पैक हाउस का निर्माण किया जा रहा है।

इन किसानों को मिलाकर फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी (एफपीसी) बनाया गया है। इसके पांच निदेशक मंडल हैं। इनमें कौशल सिंह, राकेश सिंह, बंटी सिंह, अनिल सिंह एवं गोलू सिंह शामिल हैं।

क्या कहते हैं उद्यान विभाग के अधिकारी ?

कोईलवर में मटर फ्रोजन के लिए 13 लाख 26 हजार की लागत से पैक हाउस बनाया गया है और पांच सौ प्लास्टिक कैरेट अनुदानित दर पर उपलब्ध कराया गया है। वहां काम अच्छा हो रहा है और जल्द जरूरी उपकरण भी निदेशालय उपलब्ध कराएगा। -दिवाकर कुमार भारती, सहायक निदेशक, उद्यान विभाग।

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