Bhojpur News: भोजपुर के लोगों की बल्ले-बल्ले, 100 एकड़ में बनेगा सोन बायोडायवर्सिटी पार्क; मिलेंगी 5 खास सुविधाएं
Bhojpur News भोजपुर के लोगों के लिए अच्छी खबर सामने आई है। यहां सरकार ने 100 एकड़ में बायोडायवर्सिटी पार्क बनाने का फैसला लिया है। इस बायोडायवर्सिटी पार्क में कई तरह की सुविधाएं मिलेंगी। छात्र-छात्राओं को रिसर्च करने का भी मौका मिलेगा। अब प्रोजेक्ट को बस मुख्यालय से हरी झंडी मिलने की देरी है। मिट्टी के कटाव को रोकने में मदद मिलेगी।
जागरण संवाददाता, आरा। Bhojpur News: भोजपुर जिले के सोन नद के छाड़न में सोन बायोडायवर्सिटी पार्क का निर्माण किया जाएगा। यह साै एकड़ में होगा। इसमें विभिन्न प्रजातियों के फूल, बटरफ्लाई गार्डन, रीवर रिसर्च सेंटर, रेस्टोरेंट, लेक, विभिन्न प्रजातियों के औषधीय पौधे, मछली तालाब, कमल पाड, फव्वारे और आकर्षक मैदान होगा। सोन नद में गैर कानूनी तरीके से हो रहे बालू खनन से विलुप्त हो रहे जीव व बनस्पितयों का संबर्द्धन किया जाएगा।
भूगोल, बाटनी और जूलाजी के छात्र-छात्राएं विभिन्न प्रजातियों के जीव व पौधे के साथ अध्ययन करेंगे। इसके अलावा ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। पार्क में म्यूजिकल फाउंटेन आकर्षक का केंद्र होगा। पार्क में म्यूजिकल फाउंटेन आकर्षण का केंद्र होंगें। वन विभाग के डीएफओ विकास अहलावत ने बताया कि सोन बायोडायवर्सिटी पार्क का प्रोजेक्ट बनाकर शासन को भेजा गया है, इसकी सहमति मिलते ही इस पर काम शुरू किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि सोन के किनारे के गांव प्रदूषण और बेरोजगारी की समस्या को झेल रहे हैं। जिला पदाधिकारी राज कुमार की देखरेख में डीपीआर तैयार कराया जा रहा है। मुख्यालय का प्रोजेक्ट पर मुहर लगने के बाद जगह को चिह्नित किया जाएगा और उसका राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण-पत्र लेकर योजना को मूर्त रूप दिया जाएगा।
पार्क में विविध विलुप्त जैव समुदाय होंगे शामिल
इसमें विभिन्न वातावरण में रहने वाले अलग-अलग प्रजातियों के जीव को शामिल किया जाएगा। विविध जैव समुदाय को शामिल किया जाएगा। खासकर वह जैव समुदाय और प्रजातियां जो सोन नद में प्रदूषण और कटाव के कारण लुप्त होते जा रहे हैं। उन सभी की पहचान करके संरक्षित किया जाएगा। इसको रीवर स्टडी सेंटर के रूप में विकसित किया जाएगा। जिसमे विभिन्न बनस्पितयों का संग्रह होगा। यह संदेश प्रखंड के पास बनाने की योजना है।
मिट्टी कटाव को रोकने और उपयोगी जीव का होगा संरक्षण
सोन नदी में बेतरतीब बालू के खनन से पर्यावरण और जी जंतुओं को क्षति हुई है। उसको पार्क में संरक्षित किया जाएगा। वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो. सीएस चौधरी ने बताया कि सोन नद के बीच से बालू का खनन नहीं करके किनारे से गहरा किया जा रहा है।इसके कारण फाइवरस कोटि यानी सरकंडा जैसे पौधे नष्ट हो गए है। यह पौधा जमीन को पकड़ कर रखता है और कटाव को रोकता है। जूलाजी विभाग के वरीय प्रोफेसर डा. दीनानाथ पंडित ने बताया कि सोन नदी में गहराई कम होने से रोहू व कतला मछली कम हो गई है। पानी में गंदगी के कारण डाल्फिन पहले से गायब हो चुकी है।
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