Bhojpur: तीन दोस्तों ने किया कमाल, बत्तख और चूजे बेच हुए मालामाल; कोरोना काल में शुरू किया था व्यवसाय
Bihar News कोईलवर के तीन दोस्त पटना रह कर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। कोरोना काल में तीनों ने स्वरोजगार करने का संकल्प लेकर डक फार्मिंग का व्यवसाय शुरू किया। शुरू के साल संघर्ष भरे रहे लेकिन अब उनकी पहल मुनाफे का व्यवसाय साबित हो रही है। व्यवसाय से जुड़ तीनों दोस्त मिलकर प्रतिवर्ष 10 से 12 लाख रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं।
By Kanchan KishoreEdited By: Aysha SheikhUpdated: Thu, 31 Aug 2023 11:30 AM (IST)
नीरज कुमार, कोइलवर (भोजपुर) : यह कोरोना को अवसर में बदलने का तीन दोस्तों का प्रयास है, जो अब महामारी के तीन सालों बाद उनकी सफलता की कहानी बनकर उद्यमियों को प्रेरित कर रहा है।
कोईलवर में कोरोना काल में तीन दोस्तों ने स्वरोजगार करने का संकल्प लेकर डक फार्मिंग का व्यवसाय शुरू किया। शुरू के साल संघर्ष भरे रहे, लेकिन अब उनकी पहल मुनाफे का व्यवसाय साबित हो रही है।इस व्यवसाय से जुड़ तीनों दोस्त मिलकर प्रतिवर्ष 10 से 12 लाख रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं। कोईलवर के रहने वाले तीनों दोस्तों में अभिषेक कुमार ने सूचना तकनीक की पढ़ाई की है, जबकि निर्भय कुमार और अनुज कुमार बीएड के डिग्री धारक हैं।
लॉकडाउन के बाद स्वरोजगार करने का सोचा
तीनों दोस्त पटना रह कर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। वर्ष 2020 में जब कोरोना का प्रकोप बढ़ा, तो तीनों अपने घर आ गए। लॉकडाउन के बाद उन्होंने स्वरोजगार करने का सोचा।शुरू में छोटी पूंजी से बत्तख पालन और अंडा उत्पादन का व्यवसाय शुरू किया। बत्तख पालन के साथ तीनों दोस्तों ने हेचरी की मशीन लगा ली और हेचरी से निकलने वाले चूजों को दूसरे राज्यों और नेपाल तक भेजने लगे।
दूसरे राज्यों से खूब मिल रहे ऑर्डर
बिहार डक फॉर्म एवं हेचरी के नाम से कंपनी चला रहे तीनों दोस्तों में से एक अभिषेक ने बताया पहले अंडे व चूजों के लिए दूसरे राज्यों में जाना पड़ता था। अब अंडे व चूजों के लिए मध्य प्रदेश, उतर प्रदेश, झारखंड, बंगाल, उड़ीसा और छतीसगढ़ तक से आर्डर आ रहे है।उनकी हेचरी में समयानुसार खाकी कैम्बल प्रजाति के बत्तख, कड़कनाथ मुर्गा, लेयर्स सोनाली, फ्रिजल क्रोस, बटेर के चूजे तैयार किये जाते है। फार्म में चार हेचरी हैं, जिनमें एक हेचरी की क्षमता 15 हजार अंडे से चूजे तैयार करने की है।
निर्भय ने बताया कि यहां बत्तख पालन या इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए कोई अनुदान नहीं मिलता है। हालांकि, झारखंड और उड़ीसा में कृषि विभाग से अनुदान दिया जाता है।
अनुज ने बताया कि इस व्यवसाय से प्रत्यक्ष रूप से गांव के दर्जनों लोगों को रोजगार मिला है। प्रखण्ड समेत जिले के कई गांव में छोटे किसान बीस से तीस बत्तख पालन कर अंडे बेचते है, जो बत्तखें तीन साल तक रोजाना एक-एक अंडे देती हैं।
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