Bihar Bullet Train: बिहार में बुलेट ट्रेन की राह आसान नहीं! इन जिलों के लोगों को जमीन जाने का सता रहा डर
किसानों का मानना है कि सरकार भले ही कुछ मुआवजा देगी लेकिन मुआवजे की राशि से घर नहीं बन सकेगा। बाजार दर से मुआवजा मिले तो घाव पर महरम का काम करें। कृषि आधारित भूमि का अधिग्रहण उचित नहीं है। स्ट्रक्चरल व सोशियो सर्वे कर रहे एजेंसी के रमेश कुमार यादव ने बताया कि किसान सहमति देने में आनाकानी कर रहे हैं।
क्या कहते हैं ग्रामीण?
हम लोग विकास के विरोधी नहीं हैं, लेकिन घर उजाड़कर विकास करना कैसा न्याय है। अगर ट्रेन रूट को 200 मीटर इधर-उधर कर दिया जाए तो एक भी घर नहीं टूटेगा। हम लोग सरकार से गुहार लगाएंगे। न्याय नहीं मिला तो आंदोलन को बाध्य होंगे। - सिराज सिंह, ग्रामीण
गड़हा गांव में लघु व सीमांत किसान हैं। किसी किसी किसान की पूरी जमीन बुलेट ट्रेन परियोजना में जा रही है। अगर जमीन ही चली जाएगी तो हम बुलेट ट्रेन का क्या करेंगे? - राज कुमार सिंह, किसान
घर उजाड़कर विकास करना न्यायोचित नहीं है। विकल्प उपलब्ध है। मात्र दो सौ मीटर हटाकर बनाने से घर टूटने से बच जाते, यह एजेंसी को बताया भी गया है। - हरेंद्र सिंह, मुखिया प्रतिनिधि, सोनपुरा पंचायतएक-एक तिनका जोड़ कर घर बनाया था व जमीन खरीदी थी। परियोजना ऐसी हो कि हमलोग बेसहारा नहीं हों और हमारा घर बचा रहे। - बदन साह, ग्रामीण