बिहार के अप साइक्लिंग गुरु : आरा के इस इंजीनियर से कोई सीखे कबाड़ की कीमत, विदेश तक में है नाम
आरा के मैकेनिकल इंजीनियर प्रशांत कुमार कबाड़ की कीमत को बहुत अच्छे तरीके से समझते हैं। उन्होंने ई-वेस्ट व अन्य कबाड़ को नया स्वरूप दिया है। इसके बाद बाजार से अच्छी कीमत भी कमाई है। प्रशांत कुमार तीन सालों से प्रशिक्षण सेंटर ऑफ रेजिलिएंस फाउंडेशन के नाम से एक वर्कशॉप चला रहे हैं। यहां वे बाहरी छात्रों को प्रशिक्षण के लिए भी बुलाने लगे हैं।
By Kanchan KishoreEdited By: Aysha SheikhUpdated: Fri, 08 Sep 2023 12:18 PM (IST)
धर्मेंद्र कुमार सिंह, आरा : इलेक्ट्रॉनिक कचरा या ई-वेस्ट से निपटने के लिए नए नियम बनाए गए हैं। केंद्र सरकार ने अब इलेक्ट्रॉनिक व इलेक्ट्रिकल उपकरणों की औसत आयु दो वर्ष से लेकर दस वर्ष तक तय कर दी है।
वन व पर्यावरण मंत्रालय निर्धारित आयु के बाद इन उपकरणों को ई-वेस्ट मानेगा। इस आधार पर उत्पादकों को ई-वेस्ट नष्ट करने का लक्ष्य दिया जाएगा।स्पष्ट तौर पर यह विभिन्न कंपनियों के लिए बड़ी चुनौती होगी, परंतु कबाड़ की वस्तुओं व उपकरणों से नए-नए उत्पाद बनाने वालों के लिए यह अवसर की तरह होगा।
कबाड़ की कीमत बखूबी समझते हैं प्रशांत
आरा के मैकेनिकल इंजीनियर प्रशांत कुमार कबाड़ की कीमत बखूबी समझते हैं। वे लंबे समय से ई-वेस्ट व अन्य कबाड़ को दूसरा जीवन (स्वरूप) देते आ रहे हैं।वे ई-वेस्ट को सजावटी वस्तुओं का रूप देते हैं और बाजार में अच्छी कीमत में बेचते हैं। उनके इस हुनर की ख्याति है। इस कारण उनसे प्रशिक्षण लेने देश-विदेश के विद्यार्थी आरा आते हैं।
मैकेनिकल इंजीनियर प्रशांत कुमार तीन वर्षों से गोढ़ना रोड में प्रशिक्षण सेंटर ऑफ रेजिलिएंस फाउंडेशन के नाम से एक वर्कशॉप चला रहे हैं।
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