बिहार चुनाव में गमछा दुकानदारों ने काटा गदर! बाजार में केसरिया-लाल-हरे की बाढ़ तो नीला-पीला के लिए छीना झपटी
बिहार के बिहिया में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के साथ ही गमछों की मांग बढ़ गई है। भोजपुरी अस्मिता का प्रतीक यह गमछा अब चुनावी रंग में रंगा नजर आ रहा है। अलग-अलग राजनीतिक दलों के समर्थक अपने-अपने पार्टी के रंग के गमछे का इस्तेमाल कर रहे हैं। बाजार में केसरिया, लाल और हरे रंग के गमछों की मांग सबसे ज्यादा है, जिससे दुकानदार खूब मुनाफा कमा रहे हैं।

बिहार चुनाव में गमछा दुकानदारों ने काटा गदर
कौशल कुमार मिश्रा, बिहिया (आरा)। विधानसभा चुनाव का रंग चढ़ने के साथ ही बिहिया बाजार में गमछे की मांग अचानक बढ़ गई है। भोजपुरी अस्मिता का प्रतीक रहा यह गमछा अब चुनावी जोश का हिस्सा बन गया है। उम्मीदवारों के समर्थक से लेकर आम मतदाता तक, हर कोई अपने पसंदीदा दल के रंग का गमछा कंधे पर डालकर सियासी रंग में रंगा नजर आ रहा है।
प्रचार के दौरान प्रत्याशियों और समर्थकों का स्वागत गमछे से किया जा रहा है जिसके कारण इनके यहां गमछों का अंबार लग गया है। तो प्रत्याशी मिल रहे गमछे को समर्थकों को दे दे रहे है। ऐसे में इनके पास भी गमछे की ढ़ेर लग गयी है।
चार से पांच होलसेल दुकानदार गमछा बेच रहे
गमछा पार्टी का पहचान बनने और चुनाव में बिक्री होने की संभावना को भांप दुकानदार भी इसका स्टॉक जमा कर रखे है। बिहिया नगर के बाजार में चार से पांच होलसेल दुकानदार गमछा बेच कर मालामाल हो रहे है।अलग अलग पार्टियां अलग अलग रंग का गमछा इस्तेमाल कर रही है।
राजद के गमछे का रंग हरा,जनसुराज और जनता जनशक्ति पार्टी का पीला, भाजपा का भगवा तो भीम आर्मी और बहुजन समाज पार्टी के गमछे का रंग नीला है। गमछे की कीमत थोक में 60 से लेकर 80 रुपये प्रति गमछा बताई जाती है।
बिहिया के गमछे के थोक व्यवसायी मो. असगर ने बताया कि 10-20 से लेकर थोक में 100 से लेकर 200 पीस गमछा पार्टी के लोग ले जा रहे है। उन्होंने बताया कि लाल, केसरिया और हरे रंग के गमछे सबसे अधिक बिक रहे हैं।
वहीं, नीला रंग का गमछा की मांग कम है। इस रंग के गमछे आमतौर पर बहुजन समाज पार्टी और भीम आर्मी के नेता ले जाते हैं।
भोजपुरी संस्कृति में है गमछा का महत्व
बताते चलें कि हजारों साल से गमछा अलग अलग रूप में हमारी जिंदगी से जुड़ा है। किसी के लिए गमछा शान है तो किसी के लिए आत्मसम्मान। गमछे को कुछ लोग पिछड़े समाज से जोड़ कर देखते है।
गमछे का उपयोग कई मौके पर अहम होता है।कोरोना काल मे भी गमछा लोगों के लिए अहम साबित हुआ था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक ने लोगो से मुंह ढंकने के लिए गमछे का उपयोग करने की अपील की थी।अब तो राजनीति में भी इसकी अहमियत बढ़ गयी है।
छोटे शहरों तथा कस्बो में जब कोई युवा गले मे गमछा डाल कर घर से निकलता है तो अक्सर लोग कहते है नेता बन रहा है। दरअस्ल देश के तमाम हिस्सो खास कर यूपी बिहार में ज्यादातर उभरते या स्थापित नेता गमछा जरूर रखने लगे हैं।

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