Bihar Land Survey: क्या जमीन के कागजात में बेटियों का नाम भी दर्ज कराना होगा? पढ़ें बिहार सरकार के नियम
बिहार सरकार ने विशेष सर्वेक्षण में बेटियों को बराबर का हिस्सेदार मानते हुए खतियान में नाम दर्ज करने का आदेश जारी किया है। अब गेंद बेटियों के पाले में है कि वे पिता की संपत्ति पर अपना हक जताएंगी अथवा अपनी रजामंदी देकर अपने भाइयों को पिता की संपत्ति का एकाधिकार दिलाएंगी। वंशावली अथवा खतियान में अब बेटों के साथ-साथ बेटियों का नाम भी दर्ज होगा।
विजय ओझा, आरा। बहुप्रतीक्षित भूमि सर्वे (Bihar Land Survey News) अब धरातल पर आकार लेने लगा है। गांव-गांव ग्राम सभाएं होने लगी हैं। आम व खास इस सर्वे के संबंध में अधिक से अधिक जानना चाहता है। घर से दफ्तर तक सर्वे में बेटियों के अधिकार को लेकर ही अटकलें लगाई जा रही हैं।
चाय की दुकान पर लोग नीर क्षीर विवेकी की तरह बेटियों की पैतृक संपत्ति में अधिकार पर अपना पक्ष रखते देखे जा सकते हैं। हालांकि, वैसे लोग जो बेटियों को पैतृक संपत्ति का हिस्सेदार नहीं मानते उनके लिए नींद उड़ानें वाली खबर सामने आई है।
जमीन खतियान में दर्ज कराना होगा बेटियों का नाम
बिहार सरकार ने विशेष सर्वेक्षण में बेटियों को बराबर का हिस्सेदार मानते हुए खतियान में नाम दर्ज करने का आदेश जारी किया है। अब गेंद बेटियों के पाले में है कि वे पिता की संपत्ति पर अपना हक जताएंगी अथवा अपनी रजामंदी देकर अपने भाइयों को पिता की संपत्ति का एकाधिकार दिलाएंगी।हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम
वर्ष 2005 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा छह में संशोधन कर पैतृक संपत्ति में पुत्री को पुत्र के बराबर हक दिया गया है। इसी को केंद्र मानकर बिहार सरकार ने भूमि सर्वेक्षण में बेटियों के अधिकार को सुनिश्चित किया है।
वंशावली अथवा खतियान में अब बेटों के साथ-साथ बेटियों का नाम भी दर्ज होगा। इस संबंध में बिहार सरकार के राजस्व विभाग ने आदेश जारी कर रखा है। अंचलाधिकारी ने भी इस आदेश का अनुपालन करने का निर्देश सभी राजस्व कर्मचारी को दे रखा है।
सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी गौरव मौर्या ने बताया कि जारी निर्देशानुसार में बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त अधिनियम 2011 के दौरान अधिकार अभिलेख के निर्माण में पुत्र के साथ-साथ पुत्री का नाम भी प्रविष्टि कर खाता खोलने का आदेश दिया गया है।
वहीं, पूर्व में वंशावली में पुत्री का नाम दर्ज करने के मामले में विधि विभाग द्वारा मंतव्य जारी किया गया था। संयुक्त हिंदू परिवार में सहदायिक की पुत्री, पुत्र की तरह ही अपने अधिकार में जन्मत: सहदायिक हो जाएगी। पुत्र की तरह ही उसे अधिकार और दायित्व प्राप्त होंगे।
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