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बिहार में धान-गेहूं की खेती छोड़ किसानों ने उगाई ये फसल, हर माह लाखों रुपये का हो रहा मुनाफा; महानगरों से आ रही मांग

Bihar News किसान अरविंद माली ने 5 साल पहले परंपरागत खेती छोड़कर फूलों की खेती शुरू कर दी। गेंदा और गुलाब की फसल से जहां खेत चमन बने तो वहीं किसानों की जिंदगी में भी बहार आ गई। फूलों की खेती से अच्छी कमाई होने लगी। यह देख आसपास के अन्य किसानों ने भी परंपरागत खेती छोड़ फूलों की खेती शुरू कर दी है।

By Kanchan Kishore Edited By: Deepti Mishra Updated: Fri, 02 Feb 2024 04:30 PM (IST)
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परंपरागत खेती से हटकर नए-नए प्रयोग करने वाले आरा के किसान अरविंद माली।
रितेश चौरसिया, आरा। परंपरागत खेती से हटकर नए-नए प्रयोग करने वाले किसान सफलता के नए आयाम गढ़ रहे हैं। कोईलवर प्रखंड के खनगांव के रहने वाले अरविंद माली इसकी मिसाल हैं। इलाके के अन्य किसान भी इसी राह पर चल पड़े हैं।

किसान अरविंद माली ने 5 साल पहले परंपरागत खेती छोड़कर फूलों की खेती शुरू कर दी। गेंदा और गुलाब की फसल से जहां खेत चमन बने तो वहीं किसानों की जिंदगी में भी बहार आ गई। फूलों की खेती से अच्छी कमाई होने लगी। यह देख आसपास के अन्य किसानों ने भी परंपरागत खेती छोड़ फूलों की खेती शुरू कर दी है। आज इनके यहां उपजे फूलों की आपूर्ति आरा से पटना तक के बाजारों में हो रही है।

किसान अरविंद बताते हैं कि शुरुआत में परेशानी हुई थी, लेकिन जब बाजार में सप्लाई-चेन बन गई तो फिर अच्छी कमाई होने लगी। फिलहाल, वे 12 बीघा खेत में फूलों की खेती करते हैं, जिससे प्रतिमाह औसत एक लाख रुपये के फूलों की बिक्री होती है। इसमें से 70 से 75 हजार रुपये शुद्ध मुनाफा होता है।  फूलों को गूंथकर माला बनाने का काम परिवार के अन्‍य सदस्‍य करते हैं।

पटना मंडी में मिला 'आइडिया'

अरविंद का कहना है कि पहले वह गेहूं और धान की खेती करते थे। पांच साल पहले वह पटना की फूल मंडी में गए, जहां एक व्यापारी ने उन्हें फूलों की मांग के बारे में जानकारी दी। व्यापारी ने बताया कि वे लोग कोलकाता की मंडी से इसे लाते हैं, जिससे परिवहन महंगा पड़ता है। व्यापारी से बात करते हुए ही फूलों की खेती करने का फैसला ले लिया।

वह बताते हैं कि परंपरागत खेती छोड़कर फूलों की खेती करना आसान नहीं था। शुरुआत में आसपास के किसानों में मजाक भी बनाया। जब गेंदा और गुलाब के फूलों की खेती से मुनाफा शुरू हो गया तो आसपास के किसान इस खेती को करने लगे। किसान ने बताया कि शादी के सीजन से लेकर दशहरा, दीपावली, भाई दूज, गोवर्धन पूजा, छठ, क्रिसमस और न्यू ईयर तक फूलों की मांग बनी रहती है।

अरविंद माली का कहना है कि प्रति एकड़ उसे तीन से चार लाख रुपये का मुनाफा हो रहा है। फूलों की खेती शुरू करने वाले किसान मनोज भगत का कहना है कि अब आसपास के किसान भी सीखने आ रहे हैं। उनका कहना है कि कोई भी किसान जिसके पास एक एकड़ या उससे अधिक जमीन है, वह आस-पास के शहरों में उपलब्ध बाजार के आधार पर फूलों की खेती शुरू कर सकता है। 

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