Bihar News: पपीते की खेती से भरेगी किसानों की झोली; सब्सिडी के लिए पहले आओ, पहले पाओ ऑफर चला रहा उद्यान विभाग
Bhojpur News जिला उद्यान पदाधिकारी दिवाकर भारती ने बताया कि चतुर्थ कृषि रोड मैप अंतर्गत मुख्यमंत्री बागवानी मिशन के तहत पपीता विकास योजना के लिए दो वर्षों से विभाग द्वारा राशि जारी की जा रही है। पपीता का रकबा बढ़ाने का मतलब उत्पादन व उत्पादकता में वृद्धि कर किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी करना है। योजना में पहले आओ पहले पाओ की तर्ज पर किसानों को लाभ मिलेगा।
जागरण संवाददाता, आरा। अब किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर उद्यानिक फसलें लगाने पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि पारंपरिक खेती की तुलना में उद्यानिक फसलें लगाने से किसानों को काफी फायदा हो रहा है। विभाग के अनुसार, पपीते की खेती किसानों की झोली भर रही है।
जगदीशपुर प्रखंड के किसान गौतम ने बताया कि चार बीघे जमीन में पपीते के साथ अन्य उद्यानिक फसलों की खेती से पांच लाख रुपये की आमदनी हो रही है। कृषि विभाग को पपीते की खेती का रकबा बढ़ाने का लक्ष्य प्राप्त हो गया है।
उद्यान विभाग के सहयोग से पपीते की खेती का रकबा बढ़ेगा। इस साल आठ हेक्टेयर में पपीते की खेती होगी। विगत साल में पांच हेक्टेयर से अधिक रकबे में पपीते की खेती हो रही है। एक किसान को न्यूनतम 0.1 हेक्टेयर और अधिकतम चार हेक्टेयर का लाभ दिया जाएगा।
पहले आओ, पहले पाओ की तर्ज पर किसानों को लाभ मिलेगा। इस बार उन्नत प्रकार की खुबियों से भरपूर रेड लेडी प्रजाति के पपीते के पौधे किसानों को उपलब्ध कराए जाएंगे। जिला उद्यान पदाधिकारी दिवाकर भारती ने बताया कि चतुर्थ कृषि रोड मैप अंतर्गत मुख्यमंत्री बागवानी मिशन के तहत पपीता विकास योजना के लिए दो वर्षों से विभाग द्वारा राशि जारी की जा रही है।
पपीता का रकबा बढ़ाने का मतलब उत्पादन व उत्पादकता में वृद्धि कर किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी करना है। किसानी के लिए आनलाइन आवेदन शुरू हो गया है। किसानों की सेंटर आफ एक्सीलेंस से पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे।
साढ़े छह रुपये प्रति पौधा मिलेगा अनुदान
जिला उद्यान पदाधिकारी दिवाकर ने बताया कि एक किसान को कम से कम 250 और अधिकतम 10 हजार पौधे मिलेंगे। पौधे लगाने के लिए किसान खेतों की जोताई के बाद दो-दो मीटर की लाइन और एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी दो मीटर रख सकते हैं।
इसके बाद मेड़ बनाकर एक एक फीट गड्ढा खोदकर उर्वरक देकर पौधे लगाकर सिंचाई की जाती है। उन्होंने बताया कि अनुदान के रूप में किसानों को साढ़े छह रुपये प्रति पौधे मिलेंगे। दूसरे साल साढ़े चार रुपये वापस दिया जाएगा। इसके लिए पौधा बचाकर रखना होगा।
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