Chhath Puja 2023: बेलाउर सूर्य मंदिर में सबकी मनोकामना होती है पूरी, छठ पर विदेश से भी आते हैं हजारों श्रद्धालु
बेलाउर सूर्य मंदिर आस्था का महत्वपूर्ण केंद्र है। यहां हर साल 50 हजार से ज्यादा बिहारवासी और प्रवासी छठव्रती सूर्य को नमन करने पहुंचते हैं। यहां आने वाले सभी व्रतधारियों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है। मंदिर का निर्माण 1449 ई में बावन सूबे के जमींदार जो उस समय बावन सूबा के राजा के नाम से जाने जाते थे उनके द्वारा कराया गया था।
By Vijay Kumar OjhaEdited By: Mohit TripathiUpdated: Thu, 16 Nov 2023 05:32 PM (IST)
विजय ओझा, उदवंंतनगर। मध्य बिहार के प्रसिद्ध सूर्य तीर्थों में शुमार बेलाउर सूर्य मंदिर में हर साल 50 हजार से ज्यादा बिहारी व प्रवासी छठव्रती सूर्य को नमन करने पहुंचते हैं। यहां आने वाले सभी व्रतधारियों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है। बेलाउर सूर्य मंदिर का का निर्माण 1449 ई में बावन सूबा के जमींदार जो उस समय बावन सूबा के राजा के नाम से जाने जाते थे, उनके द्वारा कराया गया था।
आरा जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर प्रसिद्ध बेलाऊर सूर्य मंदिर पहुंचने के लिए सड़क मार्ग सबसे सुगम है। यह आरा-अरवल मुख्य मार्ग पर स्थित है। सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन आरा व उदवंंतनगर है।
मन्नत पूरी होने पर छठ करने आते हैं श्रद्धालु
मंदिर प्रबंधन समिति सदस्यों ने बताया कि स्थानीय लोगों के साथ ही बिहार के विभिन्न हिस्सों व अन्य प्रदेशों से श्रद्धालु छठ करने आते हैं।मन्नत पूरी होने पर विदेश में रह रहे लोग भी छठ करने आते हैं। तालाब के बीच मकराना के संगमरमर पत्थर से बनी भगवान भास्कर की प्रतिमा बड़ी ही मनोहारी है।मंदिर में सात घोड़े वाले रथ पर सवार भगवान भास्कर की प्रतिमा ऐसी लगती है, मानों साक्षात धरती पर उतर रहे हों। प्रतिमा पूर्वाभिमुख न हो कर पश्चिमभिमुख है जो आकर्षण व आस्था का केंद्र है।
'राजा' बावन सूबा ने कराया था 208 पोखरों का निर्माण
बेलाउर निवासी विनय बेलाउर,मंटू चौधरी, संटू चौधरी,मधेसर शर्मा आदि ने बताया कि 'राजा' बावन सूबा ने सिंचाई व्यवस्था को लेकर 52 गंडा अर्थात 208 छोटे बड़े पोखर का निर्माण कराया था।अभी भी दर्जन भर से अधिक पोखर अस्तित्व में हैं। उनमें एक भैरवानंद पोखरा भी है, जिसमें राजा ने 1449 ई में भव्य सूर्य मंदिर बनवाया था। हालांकि, हालांकि इसका कोई दस्तावेजी प्रमाण नहीं है।
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