शिवानंद तिवारी के पिता ने फूंकी थी ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ बिगूल, दो बार बिहार के गृहमंत्री रहे रामानंद तिवारी
Ramanand Tiwari बिहार के भोजपुर के रामानंद तिवारी ने देश को आजाद कराने के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी थी। वे कई साल तक जेल में रहे। उनका पूरा जीवन संघर्ष में बीता। आपातकाल के दौरान भी उन्हें जेल जाना पड़ा।
By Dilip Kumar OjhaEdited By: Roma RaginiUpdated: Wed, 05 Apr 2023 03:08 PM (IST)
दिलीप ओझा, शाहपुर (भोजपुर)। स्वतंत्रता सेनानी और बिहार के पूर्व गृहमंत्री पंडित रामानंद तिवारी की बुधवार को पुण्यतिथि मनाई गई है। पंडित रामानंद तिवारी ने देश की आजादी और सामाजिक न्याय के लिए अपना जीवन अर्पित कर दिया था। वे अलग-अलग समय में करीब आठ साल तक जेल में रहे लेकिन अग्रेंजों के खिलाफ उन्होंने घुटने नहीं टेका।
भोजपुर जिले की शाहपुर की माटी ने देश को एक से बढ़कर एक सपूत दिए। इन्हीं सपूतों में एक पंडित रामानंद तिवारी थे, जो समाज के अंतिम वर्ग के लिए मजबूती से खड़े रहे।
पंडित रामानंद तिवारी का जीवन हमेशा से ही संघर्ष भरा रहा। उनका जन्म भोजपुर जिले के शाहपुर प्रखंड अंतर्गत रमडीहरा गांव के एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ था। तब देश में बंग-भंग आंदोलन अपने चरम पर था। उनके घर की माली हालत ठीक नहीं थी। ऐसे में उनका बचपन काफी मुश्किलों भरा रहा। जिसके कारण उनकी पढ़ाई भी नहीं हो सकी।
उन्होंने जीविकोपार्जन के लिए घर छोड़ दिया और रसोइयों का काम करने लगे। उसके बाद उन्होंने रेलवे स्टेशन पर पानी भी पिलाया और अखबार बेचने का भी काम किया। इसी दौरान ब्रिटिश हुकूमत में वह पुलिस में भर्ती हो गए, जहां से उनके जीवन का एक नया अध्याय शुरू हुआ।
पंडित रामानंद तिवारी ने अंग्रेजी हुकूमत में भारतीयों पर जुल्म देखा तो वे भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान कई अन्य सिपाहियों के साथ आजादी की लड़ाई में कूद गए। बगावत के आरोप में अंग्रेजों ने जेल भेज दिया। करीब चार साल बाद जेल से रिहा हुए। जिसके बाद वो पुलिस मेंस एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे।
आजादी के बाद 1952 में सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर उन्होंने पहली बार अपने गृह क्षेत्र शाहपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और विजय हुए। 1971 तक लगातार क्षेत्र का प्रतिनिधित्व लगातार करते रहे। इस दौरान दो बार बिहार के गृह मंत्री भी बने।
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