Bhojpur News: जजों के आशियाने पर अंचल के बाबुओं ने लगाया ग्रहण, कर्मचारियों की गलतियों से बढ़ी परेशानी
भोजपुर जिले में जजों के आवास निर्माण में लापरवाही के कारण देरी हो रही है। अंचल कार्यालय के कर्मचारियों ने खाता-खेसरा-रकबा और नक्शे में गलतियां की हैं जिससे निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पा रहा है। डीएम ने भी पत्र लिखकर गलतियों को सुधारने के निर्देश दिए थे लेकिन फिर भी वही गलतियां दोहराई गई हैं। इस मामले ने लोगों में आक्रोश पैदा कर दिया है।
धर्मेंद्र कुमार सिंह, आरा। भोजपुर जिले में अंचल कार्यालय वाले किसी को नहीं छोड़ते हैं, वो चाहे आम हो या खास। समाज का अधिकांश तबका इनकी कारगुजारी से वाकिफ और पीड़ित है। जिले में ताजा मामला न्याय पालिका से जुड़ा हुआ है। वर्ष 2021 से जिला मुख्यालय में जज आवास बनाने के लिए शुरू हुई प्रक्रिया अंचल कर्मियों के खाता-खेसरा- रकबा, नक्शा में गलती करने के कारण अब तक पूरी नहीं हो पा रही है। इस कारण कार्य भी शुरू नहीं हो पा रहा है।
इस वर्ष जनवरी में ही टेंडर और राशि का आवंटन होने के बाद भी कर्मियों की लापरवाही के पेच में फंसकर आवास बनाने का मामला रह गया है। एक बार तो डीएम भी पत्र लिखकर इनकी गलती को सुधरवा चुके हैं, लेकिन हद तो तब हो जाती है, जब फिर उसी तरह की गलती के कारण एक बार फिर अब तक निर्माण कार्य जनवरी में टेंडर होने के बाद भी शुरू नहीं हो पाया है।बड़ी गलती पकड़े जाने पर उसे मानवीय भूल बता ये आराम से अपनी बात को विभाग में दबवा भी देते हैं। मालूम हो जल संसाधन विभाग कार्यालय परिसर में स्थित जमीन पर जी प्लस फाइव के आकार का मजिस्ट्रेट एवं जिला सत्र न्यायाधीश तथा परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश का आवास के लिए भवन बनना है।
इस भवन के बन जाने से एक तरफ जहां मजिस्ट्रेट और न्यायाधीश को रहने में सुविधा होगी वही सभी आसानी से एक परिसर के में रह सकते हैं जिस कारण कई अन्य प्रकार की सुविधा जिला और पुलिस प्रशासन के साथ अन्य लोगों को मिलने लगेगा।
जानिए, आरा सदर अंचल के कर्मियों ने कहां की बड़ी गलती?
जल संसाधन विभाग के जमीन जिसका थाना नंबर 237, खाता 1767, खेसर 2990 और रकबा 0.50 एकड़ पर जजों का आवास बनना पहले तय हुआ था। लिखित रूप से अंचल कार्यालय से इसकी जब रिपोर्ट वर्ष 2021 में दी गई तो खाता नंबर 1767 के बदले 1766 और रकबा 0.50 एकड़ के बदले 0.50 डिसमिल कर दिया गया था। इस भूल को मानवीय भूल बताते हुए डीएम ने विभाग को पत्र लिख संशोधित पत्र भेजा था। अब दूसरी बार टेंडर होने के बाद एक बार फिर नक्शा में गड़बड़ी हो गई है।
जमीन में स्थित तालाब के एक तरफ की जमीन नक्शा में दिखाई गई है, परंतु दूसरे तरफ की जमीन नक्शा में नहीं दिखाई गई है। तालाब के दोनों तरफ नक्शा में जमीन दिखाते हुए उसे अंचल और डीएम के द्वारा फिर एक बार राज्य मुख्यालय भेजे जाने की कार्रवाई की जा रही है। उधर, से वास्तुविद के द्वारा नक्शा सही कर शुद्धि पत्र देने के बाद सभी कागजात सही हो पाएंगे। इसमें विलंब होने से इनकार नहीं किया जा सकता है।
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