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Karva Chauth 2024 Date: करवा चौथ की तैयारी में जुटी सुहागिन महिलाएं, जानें सही तारीख और शुभ मुहूर्त

सुहागिन महिलाएं करवा चौथ 2024 की तैयारी में जुट गई हैं। इस साल यह व्रत 20 अक्टूबर रविवार को रखा जाएगा। करवा चौथ के व्रत में चंद्रमा का विशेष महत्व होता है। चंद्रोदय के पश्चात ही रात्रि के समय करवा चौथ का व्रत खोला जाता है। महिलाएं पहले चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं। तत्पश्चात छलनी से चंद्रमा और अपने पति का चेहरा देखती हैं।

By Vijay Ojha Edited By: Rajat Mourya Updated: Tue, 15 Oct 2024 03:28 PM (IST)
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पति व चांद को छलनी से निहारती हैं सुहागिनें, मांगती हैं अखण्ड सौभाग्य (जागरण ग्राफिक)
विजय कुमार ओझा, उदवंतनगर। Karva Chauth 2024 Vrat प्रतिवर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन करवा चौथ (Karva Chauth 2024) का व्रत रखने की परंपरा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष 20 अक्टूबर रविवार को यह व्रत मनाया जाएगा। इस दिन सुहागिनें अपने पति की सलामती और दीर्घायु होने की कामना के साथ दिनभर निर्जला उपवास रखती हैं।

सनातन धर्म में सुहागिनों द्वारा रखे जाने वाला यह व्रत बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन सुहागनें माता पार्वती सहित पूरे शिव परिवार की आराधना करती हैं। कहीं-कहीं कुंवारी कन्याएं भी अच्छे वर की कामना को लेकर करवा चौथ का व्रत रखती हैं।

करवा चौथ के व्रत में चंद्रमा का विशेष महत्व होता है। चंद्रोदय के पश्चात ही रात्रि के समय करवा चौथ का व्रत खोला जाता है। महिलाएं पहले चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं। तत्पश्चात छलनी से चंद्रमा और अपने पति का चेहरा देखती हैं। ऐसा माना जाता है छलनी के माध्यम से पति का चेहरा देखने से पति की आयु उतनी गुणा बढ़ जाती है। उसके बाद पति द्वारा पत्नी को जल पिलाकर व्रत तुड़वाने की परंपरा है।

कब है करवा चौथ?

पंडित विवेकानंद पांडेय ने बताया कि इस वर्ष करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर रविवार को रखा जाएगा। चतुर्थी तिथि का आगमन 20 अक्टूबर रविवार को दिन में 10:46 बजे हो रहा है जो 21 अक्टूबर सोमवार को दिन में 9 बजे तक रहेगा। इस व्रत में चंद्रोदय का विशेष महत्व होता है।

20 अक्टूबर को रात्रि 7:40 बजे चंद्रमा को अर्घ्य प्रदान किया जाएगा। महिलाएं इस दिन कठिन व्रत का पालन करती हैं और विधिवत पूजा अर्चना कर अपने पति की लंबी आयु, सौभाग्य व सलामती की कामना करती हैं। माना जाता है इस व्रत के करने से घर में समृद्धि आती है।

चांद देखकर व्रत खोलने की है परंपरा

  • करवा चौथ के दिन माता पार्वती की पूजा आराधना कर महिलाएं अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मांगने के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।
  • इस दिन शिव, भगवान गणेश व कार्तिकेय की भी पूजा होती है, लेकिन, प्रधानता चंद्रमा की होती है।
  • चंद्रमा को पुरुष रूपी ब्रह्मा का स्वरूप माना जाता है।
चंद्रमा के पास रूप, शीतलता, प्रेम और प्रसिद्धि होती है। साथ ही उन्हें लंबी आयु का वरदान भी प्राप्त है। ऐसे में महिलाएं चंद्रमा की पूजा कर सभी गुण अपने पति में समाहित करने की प्रार्थना करती हैं।

छलनी से करती हैं चंद्रमा और अपने पति का दर्शन

करवा चौथ के व्रत के अंत में महिलाएं चंद्रमा और अपने पति का प्रत्यक्ष दर्शन न कर चलनी से दर्शन करती हैं। मान्यता है कि चलनी में हजारों छेद होते हैं, जिससे चांद के दर्शन करने से छेदों की संख्या जितनी प्रतिबिंब दिखते हैं। अब चलनी से पति को देखते हैं तो पति की आयु भी उतनी गुना बढ़ जाती है। चलनी के प्रयोग बगैर करवा चौथ अधूरा माना जाता है।

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