Move to Jagran APP

केके पाठक Vs राजेंद्र आर्लेकर: शिक्षा विभाग और राजभवन के बीच पिस रहे विश्वविद्यालय, इनके वेतन पर लग गई रोक

जब राजभवन बैठक बुलाता है तो उच्च शिक्षा के अपर मुख्य सचिव केके पाठक शामिल नहीं होते हैं। यही कारण है कि बैठक में शामिल नहीं होने का खमियाजा कुलपति कुलसचिव और परीक्षा नियंत्रक भुगत रहे हैं। सभी के वेतन निकासी पर भी रोक लगा दी गई है। दोनों के अहम की लड़ाई में विश्वविद्यालय को दिक्कत हो रही है। होली जैसे त्योहार में वित्तीय संकट पैदा हो गया है।

By Kanchan Kishore Edited By: Rajat Mourya Updated: Mon, 25 Mar 2024 07:04 PM (IST)
Hero Image
शिक्षा विभाग और राजभवन के बीच पिस रहे विश्वविद्यालय, इनके वेतन पर लग गई रोक (फाइल फोटो)
जागरण संवाददाता, आरा। मौसम के मिजाज के साथ-साथ शिक्षा विभाग और राजभवन के मिजाज का पारा चढ़ रहा है। दोनों के चाक में वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय समेत सूबे के सभी विश्वविद्यालय पिस रहे हैं। एक बैठक बुलाता है तो दूसरा उसमें शामिल होने से मना करता है।

जब राजभवन बैठक बुलाता है, तो उच्च शिक्षा के अपर मुख्य सचिव केके पाठक शामिल नहीं होते हैं। यही कारण है कि बैठक में शामिल नहीं होने का खमियाजा कुलपति, कुलसचिव और परीक्षा नियंत्रक भुगत रहे हैं। सभी के वेतन निकासी पर भी रोक लगा दी गई है।

दोनों के अहम की लड़ाई में विश्वविद्यालय को दिक्कत हो रही है। होली जैसे त्योहार में वित्तीय संकट पैदा हो गया है। चौथी बार उच्च शिक्षा विभाग द्वारा विश्वविद्यालय के अधिकारियों की दो दिवसीय 28 और 29 मार्च की बैठक बुलाई गई है। इसमें कुलपति, प्रति कुलपति, कुलसचिव, वित्तीय परामर्शी, वित्त पदाधिकारी, परीक्षा नियंत्रक को बुलाया गया है।

यह बैठक होटल मौर्या, गांधी मैदान, पटना में आयोजित की गई है। वहीं, आवासन की भी व्यवस्था है। कार्यक्रम में महत्वपूर्ण बिन्दु यथा विश्वविद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, शैक्षिक सत्रों को समय पर पूरा करके परीक्षा का आयोजन, विभिन्न न्यायालीय वादों का ससमय निबटारा, विश्वविद्यालयों में लेखा- संधारण अथवा वित्तीय प्रबंधन तथा अन्य महत्वपूर्ण प्रशासनिक एवं अकादमिक विषयों पर उन्मुखीकरण एवं विमर्श किया जाएगा। चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, पटना के कुलसचिव सीपी सिंह को कार्यक्रम के नोडल पदाधिकारी बनाया गया है।

पहले भी बुला चुका है तीन बार बैठक

28 और 29 मार्च के पहले शिक्षा विभाग तीन बार विश्वविद्यालय के अधिकारियों की बैठक बुला चुका है। 28 फरवरी, नौ मार्च और 15 मार्च को तीन बैठक बुलायी जा चुकी है। नौ मार्च की बैठक को स्थगित कर दिया था। शेष दो बैठकों में विश्वविद्यालय के एक अथवा दो अधिकारी शामिल हुए, क्योंकि राजभवन सचिवालय ने शामिल होने रोक दिया।

जानकार लोगों का कहना है कि राजभवन सचिवालय विश्वविद्यालय की निगरानी करता है, इसलिए शिक्षा विभाग इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता। जबकि शिक्षा विभाग का कहना है कि जब वह विश्वविद्यालय को वेतन और विकास के लिए फंड देता है तो वह निगरानी क्यों नहीं कर सकता? शिक्षा विभाग हर बार अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा और संतुष्ट नहीं होने पर वेतन भुगतान पर रोक लगा दी।

ये भी पढ़ें- KK Pathak के आदेश को छात्रों ने हवा में उड़ाया, शिष्यों की राह ताकते रहे गुरु जी; स्कूलों में छाया रहा सन्नाटा

ये भी पढ़ें- Bihar Teacher News: ऐसी गलती भूलकर भी ना करें शिक्षक, वरना हाथ से चली जाएगी अच्छी-खासी नौकरी! सैलरी भी नहीं मिलेगी

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।