Bihar Guest Teachers: होली से पहले अतिथि शिक्षकों की बल्ले-बल्ले, अब सैलरी के लिए नहीं करना पड़ेगा लंबा इंतजार
मानदेय नहीं मिलने का कारण राज्य सरकार द्वारा राशि का आवंटन नहीं होना बताया जाता है। अब तो शिक्षा विभाग ने मानदेय का भुगतान विश्वविद्यालय को करने का निर्देश दे दिया। इससे अतिथि शिक्षक विश्वविद्यालय प्रशासन से मानदेय भुगतान की मांग करेंगे। अधिकांश कॉलेजों में कार्यरत अतिथि शिक्षक हैं। इधर होली के मौके पर अतिथि शिक्षकों को मानदेय भुगतान होने की संभावना बढ़ गई है।
जागरण संवाददाता, आरा। वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय समेत अन्य विश्वविद्यालयों में कार्यरत अतिथि शिक्षकों के लिए अच्छी खबर है। शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालय को आंतरिक स्रोत से अतिथि शिक्षकों के मानदेय देने का निर्देश है। अब अतिथि शिक्षकों को मानदेय के लिए राज्य सरकार से राशि का इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
विश्वविद्यालय के विभिन्न 19 अंगीभूत और पीजी विभाग में कुल 286 अतिथि शिक्षक कार्यरत हैं। शिक्षक विभाग के निर्देश से विश्वविद्यालय के ऊपर प्रत्येक माह में एक करोड़ 43 लाख रुपये का भार बढ़ेगा। अतिथि शिक्षकों का 12 माह का मानदेय बाकी है। दशहरा के समय दो माह का मानदेय कॉलेज की ओर से शिक्षा विभाग के निर्देश पर दिया गया था।
मानदेय नहीं मिलने का कारण राज्य सरकार द्वारा राशि का आवंटन नहीं होना बताया जाता है। अब तो शिक्षा विभाग ने मानदेय का भुगतान विश्वविद्यालय को करने का निर्देश दे दिया। इससे अतिथि शिक्षक विश्वविद्यालय प्रशासन से मानदेय भुगतान की मांग करेंगे। अधिकांश कॉलेजों में कार्यरत अतिथि शिक्षक हैं।
इधर, होली के मौके पर अतिथि शिक्षकों को मानदेय भुगतान होने की संभावना बढ़ गई है। सनद है कि इसके पहले शिक्षा विभाग ने वित्तीय अनुशासनहीनता के तहत सभी कालेजों और विश्वविद्यालय को सीमित बैंक खाता रखने का निर्देश दिया था। इससे वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय प्रशासन सकते में था।
मानदेय के लिए अतिथि शिक्षक डाल सकते हैं दबाव
विश्वविद्यालय में कार्यरत अतिथि शिक्षक मानदेय भुगतान के लिए अब विश्वविद्यालय प्रशासन पर दबाव बना सकते हैं। इससे दोनों के रिश्तों में तनाव भी बढ़ सकता है। प्रत्येक कॉलेज में अतिथि शिक्षकों की संख्या करीब आधे के करीब है। विश्वविद्यालय में कुल नियमित शिक्षकों की संख्या 451 है। जबकि शिक्ष्कों का स्वीकृत कुल पद 944 है। महाराजा कॉलेज में 30 स्थाई और 25 अतिथि शिक्षक हैं। अधिकांश कार्य संपादन अतिथि शिक्षकों के सिर पर रहती है।एचडी जैन कॉलेज में गणित, एसबी कॉलेज मे बाटनी विभाग का प्रभार अतिथि शिक्षक के सिर पर हैं। ऐसी स्थिति में अतिथि शिक्षकों का समूह एकजुट होकर मानदेय भुगतान की मांग करेगा। अभी तक तो विश्वविद्यालय शिक्षा विभाग से राशि नहीं आने के आधार पर टाल देता था। शिक्षा विभाग के नए निर्देश से ऐसा करना संभव नहीं होगा।
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