Bihar Roads: 3 NH को जोड़ेगी एक सड़क, घट जाएगी दूरी और समय की भी होगी बचत; खास तकनीक से निर्माण की तैयारी
Bihar Road Construction शाहपुर से जगदीशपुर तक बनने वाली सड़क अब नई फुल डेप्थ रेक्लेमेशन (एफडीआर) तकनीक से बनेगी। यह तकनीक पर्यावरण के अनुकूल है और पुरानी सड़क की गिट्टी समेत अन्य चीजों का इस्तेमाल दोबारा सड़क बनाने में किया जाता है। इस सड़क के बनने से शाहपुर बिहिया और जगदीशपुर प्रखंड के करीब छह लाख लोगों को फायदा होगा।
दिलीप ओझा, शाहपुर। तीन राष्ट्रीय राजमार्गों को जोड़ने वाली शाहपुर से बनाही स्टेशन, महुआंव व शिवपुर होते हुए जगदीशपुर तक जाने वाली सड़क नई फुल डेप्थ रेक्लेमेशन(एफडीआर) तकनीक से बनेगी। यह सड़क शाहपुर से होकर गुजरने वाली एनएच 84, आरा-बक्सर फोरलेन एनएच 922 तथा आरा-मोहनियां एनएच 30 को आपस मे जोड़ेगी।
इससे शाहपुर, बिहिया तथा जगदीशपुर प्रखंड के करीब छह लाख की आबादी को फायदा होगा। साथ ही दूरी भी घटेगी व समय की भी बचत होगी। लगभग 11 किलोमीटर में बनने वाली इस सड़क के लिए सरकार द्वारा करीब 10 करोड़ 38 लाख रुपये आवंटित की गई है।
पिछले दो वर्षों से यह महत्वपूर्ण सड़क पुरानी तकनीक और नई तकनीक से निर्माण करने की पेंच में फंसी हुई थी। अब निविदा निकल जा चुकी है। फाइनेंसियल बीड खुलने का इंतजार है। इस सड़क के बनने की कवायद कई सालों से हो रही है।
जल जमाव वाले क्षेत्र में होने के कारण इसे एफडीआर तकनीक से बनाने की निर्णय लिया गया। इसके बाद नए सिरे से प्राक्कलन तैयार कर इसका टेंडर निकाला गया है। इस तकनीक से सड़क की ऊंचाई नहीं बढ़ेगी, वह पहले जैसी ही रहेगी।
आर डब्ल्यू डी के सहायक अभियंता धीरज कुमार के अनुसार नई तकनीक के तहत ही सड़क निर्माण के लिए निविदा प्रक्रिया पूरी हो चुकी हैं। फाइनेंसियल बीड खुलते ही संवेदक द्वारा निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
स्थानीय विधायक राहुल तिवारी ने कहा कि इस सड़क के बन जाने के बाद शाहपुर व बिहिया प्रखंड के लोगों को जगदीशपुर जाने में काफी सहूलियत होगी।
क्या है एफडीआर तकनीक
फुल डेप्थ रेक्लेमेशन तकनीक यानी एफडीआर के जरिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत निर्माण कार्य कराया जा रहा है। यह तकनीक पूरी तरह से पर्यावरण अनुकूल है।
इसके निर्माण में तारकोल का प्रयोग नहीं होता है। साथ ही पुरानी सड़क की गिट्टी समेत अन्य चीजों का इस्तेमाल दोबारा सड़क बनाने में किया जाता है। ऐसे में ट्रांसपोर्टेशन पर खर्च नहीं होता है। इस तकनीक से बनी सड़क की लाइफ भी काफी ज्यादा होती है।
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