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स्‍मार्टफोन से दिल्‍लगी पड़ेगी भारी, सामने आया चौंकानेवाला नतीजा; दो घंटे से ज्यादा इस्‍तेमाल कर लिया तो...

नया दौर है नई आदतें हैं लेकिन हमारी इन्‍हीं कई आदतों ने हमें बीमार बना रखा है। इनमें से एक है स्‍मार्ट फोन का हद से ज्‍यादा इस्‍तेमाल। एक स्‍टडी में यह पाया गया है कि दो घण्टे से ज्यादा स्मार्ट फोन बना रहा दिमाग को चिड़चिड़ा बना रहा है। इससे ब्रेन कैंसर होने तक का खतरा है। स्‍मार्ट फोन का अधिक इस्‍तेमाल मानसिक अस्थिरता को न्‍योता दे रहा है।

By Kanchan Kishore Edited By: Arijita Sen Updated: Wed, 20 Mar 2024 02:40 PM (IST)
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स्‍मार्टफोन का अधिक इस्‍तेमाल मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य के लिए खतरनाक।

नीरज कुमार, कोईलवर(भोजपुर)। मोबाइल से दिल्लगी ज्यादा बढ़ा ली है तो सावधान हो जाइए। स्मार्ट फोन में ज्यादा डूबे रहना मानसिक अस्थिरता को आमंत्रण दे सकता है।

रिल्‍स देखने से बढ़ सकता है तनाव

कोईलवर स्थित बिहार राज्य मानसिक स्वास्थ्य सह सहबद्ध विज्ञान संस्थान में मानसिक और हाइपरटेंशन के मरीजों की केस-स्टडी में यह पाया गया है कि भागदौड़ भरी जिंदगी में मोबाइल का इस्तेमाल ज्यादा करने पर चिड़चिड़ेपन की शिकायत बढ़ रही है। मनोचिकित्सकों ने जो निष्कर्ष निकाला है, उसके मुताबिक तनाव को दूर करने के लिए लगातार जो आप रिल्स देख रहे हैं, वही ज्यादा समय तक देखना तनाव का कारण बन रहे हैं।

स्‍मार्टफोन का अधिक इस्‍तेमाल खतरनाक

बिमहास में ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ रही है, जिनका मानसिक रोग का कोई न तो क्रोनोलाजी है और न ही उनके परिवार में ऐसे मरीज हैं। पटना के एक प्रतिष्ठित संस्थान से कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई कर रहे एक छात्र को हाइपरटेंशन की शिकायत पर स्वजन लेकर आए। जांच में स्मार्ट फोन से जरूरत से ज्यादा जुड़ाव की बात सामने आई।

ब्रेन कैंसर होने तक का है खतरा

मनोचिकित्सक डा नित्यानन्द सिंह बताते हैं कि यह कोई एक मामला नहीं है, स्मार्ट बनने की चाहत में लोग स्मार्ट फोन को अपनी जिंदगी से जोड़ लिए हैं, जिससे शारीरिक से लेकर मानसिक बीमारी तक की समस्या उत्पन्न हो रही है। उन्होंने कहा कि दो घण्टे से ज्यादा स्मार्ट फोन के उपयोग करने वाले इसकी चपेट में आ रहे हैं।

डा.नित्या बताते हैं कि जापान में एक शोध के दौरान पता चला है कि स्मार्ट फोन का ज्यादा उपयोग से ब्रेन कैंसर होने का खतरा बढ़ गया है। मोबाइल पर इंटरनेट के प्रयोग के कारण समाज से दूर हो गये है। जिससे ऐसे लोगो के बीच चिड़चिड़ापन बढ़ गया है, किसी बात पर उतेजित हो जा रहे हैं। मनोचिकित्सक ने इससे बचने के उपाय के बारे में कहा कि सोने की जगह से छह फीट दूर मोबाइल को रखें और 7-8 घंटे अच्छी नींद ले।

बच्चों को यथा संभव रखें मोबाइल से दूर

बिमहास के क्लीनिकल साइकोलाजिस्ट डा.विनोद पांडेय कहते हैं कि बार-बार मोबाइल का उपयोग न्यूरो केमिकल सोच के व्यवहार को कंट्रोल करता है। जिसके बढ़ने-घटने पर मानसिक रोग उतपन्न होता है।

मोबाइल फोन के कारण संयुक्त परिवार भी एकल जैसा हो गया है। एक घर में दादा-दादी, पति-पत्नी, बच्चे अलग अलग हो गए हैं, जिससे दिमाग भी अकेला पड़ गया है और लोगों में मानसिक विकृति बढ़ गयी है।

उन्होंने कहा कि पहले दस हजार लोगों में एक व्यक्ति चिड़चिड़ापन, उग्रता, यादाश्त में कमी की जैसी बीमारी के शिकार होता था, अब हर 10वां व्यक्ति आंशिक अथवा वृहत रूप से इससे पीड़ित है, जो बेहद चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि बच्चो को किसी हालत में मोबाइल नहीं दें और हो सके तो सप्ताह में एक दिन उपवास की तरह स्मार्ट फोन से भी दूरी बनाएं।

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