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Uttarkashi Tunnel: उत्तरकाशी की सुरंग से कभी भी बाहर आ सकते हैं मजदूर, भोजपुर के श्रमिक की मां बोली- अल्लाह ने कबूल की दुआ

उत्तरकाशी की सुरंग से कभी भी 41 मजदूरों को बाहर निकाला जा सकता है। भोजपुर का भी एक मजदूर सुरंग में है। कभी भी उसे बाहर निकाला जा सकता है। इस बीच उसकी मां ने कहा है कि अल्लाह ने उनकी दुआ कबूल कर ली है। उन्होंने कहा कि उन्होंने दिन रात यही दुआ की है कि सभी के बच्चे सही सलामत वापस आ जाएं।

By Kanchan KishoreEdited By: Rajat MouryaUpdated: Tue, 28 Nov 2023 04:50 PM (IST)
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उत्तरकाशी की सुरंग से कभी भी बाहर आ सकते हैं मजदूर

कंचन किशोर, आरा। 12 नवंबर को जब सबाह अहमद का पूरा परिवार गांव के लोगों के साथ दीपावली की तैयारी में जुटा हुआ था, तब उत्तरकाशी से आई एक खबर उनके जीवन में अंधेरा लेकर आई। उत्तरकाशी में निर्माणाधीन भूगर्भ सुरंग के धंसने से 41 मजदूर फंस गए। सुरंग में भोजपुर के सहार प्रखंड के पेउर गांव के सबाह अहमद उर्फ सैफ भी शामिल हैं। हालांकि, अब कभी भी वह सुरंग से बाहर आ सकते हैं।

बता दें कि पिछले 17 दिनों से सबाह के पिता मिस्बाह अहमद अपने भाइयों और स्वजनों के साथ घर के दरवाजे पर ही अधिकांश समय इस उम्मीद से गुजार रहे थे कि कोई कामगारों के सुरंग से बाहर निकलने की अच्छी खबर उन्हें सुनाए।

बेटे के तस्वीर को सीने से लगाए सबाह के पिता। फोटो- जागरण

मंगलवार की सुबह सिंक्यारा टनल के पास मौजूद सबाह के चचेरे भाई नैयर ने दिन में किसी भी समय खुशखबरी आने की सूचना दी, उसके बाद से ही पूरा परिवार टीवी के सामने इस इंतजार में बैठा रहा कि कब सबाह का चेहरा दिख जाए। मां शहनाज बेगम कह रहीं थीं, "अल्लाह ने सुन ली, यही प्रार्थना करती थी कि सबके बच्चे सलामत वापस आएं।"

सबाह के लिए दुआ करते हुए चचा मुख्तार अहमद। फोटो- जागरण

गांववालों और अपने भाइयों के साथ घर के दरबाजे पर बैठे मो. मिस्बाह अहमद बताते हैं कि उनका बेटा 32 वर्षीय सबाह उत्तराखंड में सड़क परियोजना में काम कर रही नव योगा कंपनी में सुपरवाइजर के पद पर है। टनल हादसे की खबर आई तो परिवार में कोहराम मच गया। सुकून मिला जब अगले ही दिन वॉकी-टॉकी की रिकार्डिंग की गई। उनके बेटे की आवाज उन्हें घटनास्थल के पास से मोबाइल पर सुनाई गई। तब उन्हें भरोसा दिया गया कि एक से दो दिन में सभी कामगार सुरक्षित बाहर आ जाएंगे।

सबाह के घर के दरबाजा पर अच्छी खबर की इंतजार करतीं मां के साथ अन्य महिलाएं। फोटो - जागरण

पिता कहते हैं कि जब इंतजार लंबा होने लगा तो उनका सब्र भी जवाब देने लगा। सबाह की मां शहनाज बेगम अल्ला से बस यही प्रार्थना कर रहीं थीं कि उनका बेटा के साथ वहां फंसे सभी मां की बेटा सुरक्षित अपने घर लौटे। मंगलवार को वह बेसब्री से अपने बेटे की आवाज सुनने के लिए बेचैन थीं।

सबाह के लिए दुआ करने के बाद चाचा मुख्तार अहमद ने बताया कि वे लोग सरकार और बचाव दल में शामिल सभी लोगों के शुक्रगुजार हैं, जिनकी वजह से उनका बेटा आज दुर्घटनाग्रस्त सुरंग से वापस आ रहा है।

चचेरा भाई दे रहा था पल-पल की खबर

सबाह का चचेरा भाई नैयर भी उसी कंपनी में दूसरी जगह काम करता है, सबसे पहले वही सुरंग वाली जगह पर पहुंचा। उसी से गांव में स्वजनों को वहां की गतिविधियों की जानकारी हो रही थी। सबाह नव योगा कंपनी में पिछले 12 साल से काम कर रहे हैं और दो साल पहले इस परियोजना से जुड़े थे।

सबाह की शादी वर्ष 2016 में बिहिया थाना के रामपुर गांव की सबीहा खातुन से हुईं थीं। दोनों से तीन बच्चे साढ़े चार वर्ष का पुत्र मोकर्रम, तीन वर्षीय पुत्री फातमा और एक वर्ष का अर्श है। चाचा मुख्तार अहमद, अफजाल अहमद, समशाद अहमद सभी स्वजन एक साथ बैठकर ईश्वर से अच्छी खबर आने की प्रार्थना कर रहे हैं।

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