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वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय को 'सेंटर ऑफ एक्सिलेंस' बनाने की शुरू हुई कवायद, 70 हजार से अधिक स्टूडेंट्स को मिला मूल प्रमाण पत्र

बिहार के आरा में स्थित वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय की चर्चा पहले जहां लेट सत्र के लिए होती थी। वहीं अब यह विश्वविद्यालय सत्र को नियमित करने के अपने प्रयासों में पूरे बिहार के लिए नजीर बन गया है। कुलपति प्रो. शैलेंद्र कुमार चतुर्वेदी के नेतृत्व में विश्वविद्यालय अब सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में जगह बनाने की तैयारी शुरू कर चुका है।

By rana amresh singhEdited By: Mukul KumarUpdated: Sun, 22 Oct 2023 04:35 PM (IST)
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वीकेएसयू के बढ़ते कदम ने किया स्मार्ट गवर्नेंस का सफर
राणा अमरेश सिंह, आरा। वर्ष 1992 में स्थापित वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय शाहाबाद के जिलों में उच्च शिक्षा के लिए मील का पत्थर साबित हुआ। भोजपुर, रोहतास, कैमूर और बक्सर जिले में जहां बेटियां मैट्रिक के बाद उच्च शिक्षा से वंचित रह जातीं थीं, वहां वीकेएसयू ने उनके लिए सफलता के द्वारा खोले।

पहले वीकेएसयू की चर्चा लेट सत्र के लिए होती थी। अब यह विश्वविद्यालय सत्र को नियमित करने के अपने प्रयासों में पूरे बिहार के लिए नजीर बन गया है। कुलपति प्रो. शैलेंद्र कुमार चतुर्वेदी के नेतृत्व में विश्वविद्यालय अब सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में जगह बनाने की तैयारी शुरू कर चुका है।

स्मार्ट गवर्नेंस और डिजिटल डिलिवरी जैसी याेजनाओं को धरातल पर उतारना बाकी है, लेकिन इसके प्रयास हो रहे हैं। अंगीभूत कॉलेजों के साथ संबद्ध कॉलेजों में नामांकन और परीक्षा शुल्क आदि का भुगतान ऑनलाइन किया गया।

गुणवत्ता पूर्ण उच्च शिक्षा पहली प्राथमिकता

कुलपति ने कहा कि गुणवत्ता पूर्ण उच्च शिक्षा पहली प्राथमिकता है। इन्होंने अल्प अवधि में प्रबंधन, पारदर्शिता, परिश्रम की मिसाल पेश की है। उन्होंने कहा कि शोध के साथ विश्वविद्यालय कीर्तिमान स्थापित करें और कोचिंग संस्थान से विद्यार्थी कॉलेज और विश्वविद्यालय की कक्षाओंं में अधिक दिखे, यह प्राथमिकता में ऊपर है।

उन्होंने कहा कि शिक्षक की प्रोन्नति, अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति, पेंशन भुगतान के मामलोंं का निस्तारण, स्नातक के 70,896 छात्र-छात्राओं के लंबित डिग्री निर्गत करना, अनुकंपा समिति के आश्रितों को योगदान कराना, न्यायालय के मामलों को निस्तारण, कालेजों में प्रभारी प्राचार्य की नियुक्ति में पारदर्शिता, संबद्ध कालेजों के बारे में नियम संगत निर्णय लेने जैसे कई कार्य किए गए।

शैक्षणिक सत्र सुधारने की दिशा में कवायद जारी है। अगले माह तक स्नातक और अगले साल के जून तक स्नातकोत्तर का सत्र पटरी परल लौट आएगा।

70,896 विद्यार्थियों को मिला मूल प्रमाण-पत्र

तीन सालों से लंबित स्नातक, सत्र 2015-18, 2016-19 व 2017-20 की डिग्री देने के प्रस्ताव को कुलपति की कवायद से सिडिंकेट से पास किया गया। इन्हीं की कवायद से सभी विश्वविद्यालय के दो लाख 73 हजार छात्र-छात्राओं की मूल डिग्री मिलना संभव है।

विश्वविद्यालय में सर्टिफिकेट के लिए भटक रहे 70,896 छात्र-छात्राओें को डिग्री जारी करने का रास्ता साफ हुआ। इससे उन्हें प्रतियोगी परीक्षा और साक्षात्कार में शामिल होने का मौका मिलेगा।

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