Deaf Bank Account: अपने बैंक अकाउंट को एक्टिव रखना बहुत जरूरी, वरना हो सकता है भारी नुकसान...
दस सालों तक खाते में लेनदेन नहीं होने पर उसे डेफ खाता मान लिया जाता है और राशि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को स्थानांरित हो जाती है। कई उपभोक्ता अपने बैंक अकाउंट का इस्तेमाल नहीं करते हैं तो बैंक आपके अकाउंट में पड़े पैसे को एक तरह से ब्लॉक कर देता है और उसे निकालने के लिए आपको लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।
जागरण संवाददाता, आरा। क्या आपने भी लंबे समय से अपने बैंक खाते की सुध नहीं ली है, तो सावधान हो जाएं। जिले में चार लाख डेफ खाते हैं, जिनमें लगभग 300 करोड़ रुपये पड़े हैं। यह आंकड़ा इस साल जनवरी तक का है। डेफ खाते को बैंकों में आम बोलचाल की भाषा में बहरा खाता भी कहा जाता है। इन खातों में 20 साल के अंतराल में इतनी रकम फंसी है।
नियमों के मुताबिक, दस सालों तक खाते में लेनदेन नहीं होने पर उसे डेफ खाता मान लिया जाता है और राशि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को स्थानांरित हो जाती है। कई उपभोक्ता अपने बैंक अकाउंट का इस्तेमाल नहीं करते हैं तो बैंक आपके अकाउंट में पड़े पैसे को एक तरह से ब्लॉक कर देता है और उसे निकालने के लिए आपको लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।
डेफ अकाउंट में या किसी की मृत्यु हो जाती है या भूल जाने, हस्ताक्षर, फोटो ना मिलना के कारण बैंक से 10 साल बाद यह रुपया आरबीआई में चला जाता है। इसके बाद बैंक इस पैसे को एक तरह से जब्त कर लेती है और फिर एक प्रक्रिया को फॉलो करते हुए इस अमाउंट को वापस निकलवाना पड़ता है।
क्या होता है डेफ खाता?
लंबे समय तक लेनदेन नहीं होने वाले खाते को "डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड" यानी डेफ खाता कहा जाता है। बैंकों में जो पैसा 10 साल से अनक्लेम्ड है, उसे इस फंड में डाल दिया जाता है। अगर 10 साल के बाद भी कोई इसका क्लेम करता है तो उसे उसका पैसा इंटरेस्ट के साथ वापस कर दिया जाता है।
पहले दो साल तक खाते में कोई भी ट्रांजेक्शन ना होने पर इसे इनएक्टिव किया जाता है और 10 साल तक भी कुछ ट्रांजेक्शन नहीं होता है तो इसे डेफ में डाल दिया जाता है।
आरा शहर के गोला मुहल्ला के राज कुमार का वर्ष 2000 ई में केनरा बैंक में अकाउंट था। भूल जाने के कारण उनका रुपया करीब 17 हजार फंसा पड़ा है। उनको अपना अकाउंट नंबर भी मालूम नही है। बैंक में जाकर परेशान हो रहे हैं।कहते हैं एलडीएम पंजाब नेशनल बैंक के लीड बैंक के एलडीएम राजेश चौधरी ने कहा कि अगर किसी का डेफ अकाउंट में पैसा फसा है, तो परिजन क्लेम कर सकते है। बैंक में जाकर केवाईसी करना होगा। तब जाकर आरबीआई से पैसा वापस होता है। खाता का 10 साल बाद आरबीआई में पूरी राशि चली जाती है।
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