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Pitru Paksha 2024 Date: 17 या 18 सितंबर, कब से शुरू हो रहा पितृपक्ष? एक क्लिक में दूर करें कन्फ्यूजन

पितृपक्ष की शुरुआत 18 सितंबर से हो रही है। इस दौरान लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध तर्पण और पिंडदान करेंगे। पितृपक्ष में गया श्राद्ध का विशेष महत्व है। मान्यताओं के अनुसार गया में श्राद्ध कर्म करने से पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है। स्वयं भगवान राम और माता सीता गया जी आए थे और पिता महाराज दशरथ को श्राद्ध तर्पण और पिंडदान किया था।

By Vijay Ojha Edited By: Rajat Mourya Updated: Fri, 13 Sep 2024 03:51 PM (IST)
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पूर्णिमा से दो अक्टूबर को अमावस्या तक पितृपक्ष, तीन से नवरात्र
संवाद सूत्र, उदवंतनगर। Pitru Paksha Date 2024 पूर्वजों को समर्पित पितृपक्ष भाद्रपद पूर्णिमा 18 सितंबर बुधवार से शुरू हो रहा है। इस दौरान लोग पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करेंगे।

शास्त्रों के अनुसार, श्राद्ध से तृप्त होकर पितृ गण समस्त कामनाओं को पूर्ण करते हैं। इसके अतिरिक्त, श्राद्धकर्ता से विश्वेदेव गण, पितृ गण, मातामह, तथा कुटुंबजन सभी संतुष्ट रहते हैं। पितृ पक्ष में पितृ लोग स्वयं श्राद्ध लेने आते हैं तथा श्राद्ध मिलने पर प्रसन्न होते हैं।

पितृपक्ष में गया श्राद्ध का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यताओं के अनुसार, गया में श्राद्ध कर्म, तर्पण और पिंडदान करने से व्यक्ति पितृ ऋण से मुक्त हो जाता है। स्वयं भगवान राम और माता सीता गया जी आए थे और पिता महाराज दशरथ को श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किया था। तब से परंपरा चली आ रही है। भाद्रपद की पूर्णिमा से आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक पूरे 15 दिन पूर्वजों के लिए तर्पण करने का विधान है।

कब से कब तक पितृपक्ष?

पं. विवेकानंद पांडेय ने बताया कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा का आगमन 17 सितंबर मंगलवार को दिन में 11 बजे हो रहा है, जो 18 सितंबर बुधवार को दिन में 8.41 बजे समाप्त हो जाएगा। इसी दिन यानी 18 सितंबर दिन से महालया शुरू होगा व लोग पितरों को तर्पण देना शुरू करेंगे। पूर्णिमा से अमावस्या तक 15 दिन जल देने का विधान है।

गया श्राद्ध से पितरों को मिलता है मोक्ष

पंडित दिनेश पाण्डेय ने बताया कि पितृऋण से उद्धार के लिए गया श्राद्ध जरूरी है। गया श्राद्ध करने से पितरों को मोक्ष मिलता है। पूर्वजों का आशीर्वाद पूरे कुटुंब को मिलता है।

पंच कोसम गया क्षेत्रम कोस एकम गया सिर:,उदरेत कुल गोत्रानाम एक बिनसूतरम शतम् अर्थात पांच कोस के गया क्षेत्र व एक कोस गया सिर में जो मनुष्य अपने पूर्वजों का पिण्ड दान करता है, वह इक्कीस पीढ़ी तक के पुर्वजों का तरण तरण कर देता है।

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