Ara News: आखिर अंधेरे में क्यों डूबा आरा शहर? ये बड़ी लापरवाही आ रही सामने; लोग हो रहे परेशान
Ara News स्मार्ट सिटी के नाम पर शहर में काम तो कई हो रहे हैं लेकिन इनका रखरखाव ठीक से नहीं हो पा रहा। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बस स्टैंड से बिहारी मिल के बीच लगाई गईं 500 से अधिक तिरंगा एलईडी बंद हो गई हैं। इनकी मरम्मत तक नहीं की गई है। लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
रीतेश चौरसिया, आरा। Ara News: स्मार्ट सिटी के नाम पर शहर में काम तो कई हो रहे हैं, लेकिन इनका रखरखाव ठीक से नहीं हो पा रहा। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बस स्टैंड से बिहारी मिल के बीच लगाई गईं 500 से अधिक तिरंगा एलईडी बंद हो गई हैं। इनकी मरम्मत तक नहीं की गई है। नगर निगम के द्वारा शहरी क्षेत्र में प्रत्येक बिजली के खंभे पर एलईडी लाइट और जगह-जगह हाईमास्ट लाइट लगाया है। लेकिन, मानसून आने के पहले ही शहर अंधेरे में डूब गया है।
शनिवार की रात्रि में 9:30 से 10:50 तक शहर में पड़ताल की गई तो शहर के अंतिम छोर पर कही भी लाइट का नामो निशान नही दिखा। शहर में प्रवेश करते ही लगता ही नही की कभी पूर्व ऊर्जा मंत्री के क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं। धोबीघटवा मोड़ पर अंधेरा छाया था। इसके आगे स्टेशन से बिहारी मिल तक एक भी पोल पर एलईडी का लाइट नही जल रहा था। अंधेरे में वाहन के लाइट के सहारे लोग पैदल चल रहे थे। ऐसे में इन सुनसान इलाको में छिनतई का डर सताने लगता है।
पश्चिमी ओवरब्रिज पर एक भी लाइट नही लगा था। उबर खाबड़ ओवरब्रिज के सड़क पर कभी भी बड़े हादसा का निमंत्रण दे रहा था। पूर्वी ओवरब्रिज पर तिरंगा लाइट एक साल में ही खराब हो गया। स्थानीय लोगों ने बताया कि नगर आयुक्त ने करीब 10 लाख की लागत से दो साल के मेंटेनेंस पर तिरंगा लाइट को लगावाया था। पर, बस स्टैंड से शिवगंज तक शितलटोला मे अंधेरा पसरा था। वही बस स्टैंड से धरहरा तक एक भी पोल पर लाइट नही जल रही थी।
शहर के विभिन्न वार्डों में करीब चार हजार से अधिक एलईडी लाइट की दुधिया रोशनी भी बारिश के पहले बुझ गई है। आलम यह है कि शाम ढलते ही शहर का चौक-चौराहा और मुहल्ला अंधेरे में डूब जाता है। आम लोगों के साथ ही स्थानीय वार्ड पार्षद भी नगर आयुक्त से खराब लाइट ठीक कराने की गुहार लगा रहे हैं। शहर में ईसीएल लाइट लगाया है। पर, उससे जब वार्ड पार्षद संपर्क कर रहे हैं तो वे भी टाल मटोल करते हैं। इस संबंध आरा नगर निगम के नगर आयुक्त से उनका पक्ष जानने के लिए उनके मोबाइल फोन पर संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने काल रिसीव नहीं किय।
एक साल के अंदर 10 लाख का तिरंगा लाइट हुआ खराब
शहर को तिरंगा रंग में रंगने की योजना के तहत पूर्वी ओवरब्रिज पर लगे स्ट्रीट लाइट के खंभों पर तिरंगे रंग की एलईडी का शुभारंभ किया था। हालांकि पहले ही कुछ माह में कई खंबों की एलईडी नहीं जली थी। इसके बावजूद किसी ने भी इनके रखरखाव की ओर ध्यान नहीं दिया। स्थिति यह है कि आठ महीना बाद से ही 100 से अधिक लाइटें बंद हो गई थी। अब यह स्थिति है, कि पूरी तरह तिरंगा लाइट बुझ गया।इससे निगम प्रशासन की मंशा पर पानी फिरता दिख रहा है। यही नहीं, नगर निगम में तिरंगा लाइट संबंधी कोई रिकार्ड भी मौजूद नहीं है। जबकि एक-एक तिरंगा लाइट की की कीमत 2600 रुपये है। इन तिरंगा लाइटों में आर्थिक अनियमितता का बड़ा खेल होने की आशंका जताई जा रही है। जानकारी के मुताबिक निगम के एक बड़े साहब की पटना में खास फर्म है। उसी फर्म से आनन-फानन में तिरंगा लाइटें मंगवा ली गईं थी।
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