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Asha Workers Strike: आशा कार्यकर्ता नौ सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर, धरना देकर जताया विराेध

आशा एवं आशा फैसिलिटेटर के संयुक्त मंच के आह्वान पर बुधवार से जिला की तमाम आशा एवं आशा फैसिलिटेटर हड़ताल पर चली गई। इस दौरान विभिन्न प्रखंडों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर आशा एवं आशा फैसिलिटेटर ने धरना दिया एवं अपनी मांगों के समर्थन में नारे भी लगाए। इसी तरह रोहतास औरंगाबाद से भी आशा कार्यकर्ता के धरने-प्रदर्शन और हड़ताल पर जाने की खबरें सामने आई हैं।

By Rajesh TiwariEdited By: Yogesh SahuPublished: Wed, 12 Jul 2023 06:12 PM (IST)Updated: Wed, 12 Jul 2023 06:14 PM (IST)
Asha Workers Strike: आशा कार्यकर्ता नौ सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर

जागरण संवाददाता, बक्सर/रोहतास/औरंगाबाद। आशा एवं आशा फैसिलिटेटर के संयुक्त मंच के आह्वान पर बुधवार से जिले की तमाम आशा एवं आशा फैसिलिटेटर हड़ताल पर चली गईं।

इस दौरान विभिन्न प्रखंडों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर आशा एवं आशा फैसिलिटेटर ने धरना दिया एवं अपनी मांगों के समर्थन में नारे भी लगाए।

इसी क्रम में सदर प्रखंड के आशा एवं आशा फैसिलिटेटर संघ के बैनर तले एक धरने का आयोजन किया गया।

इसकी अध्यक्षता मीरा देवी ने की, जबकि संचालन अरुण कुमार ओझा ने किया। इस दौरान संबोधित करते हुए आशा पुष्पा देवी ने सरकार से कहा कि 2005 से ही हम आंदोलन कर रहे हैं।

लेकिन सरकार इस पर विचार नहीं कर रही है। सरकार को यह सोचना चाहिए कि आशा और आशा फैसिलिटेटर सेवानिवृत्त हो जाएंगी तो क्या करेंगी।

उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री ने पूर्व में घोषणा की थी कि आशाओं का मानदेय बढ़ाया जाएगा। वक्ताओं ने बिहार सरकार से मांग की कि आशा को सरकारी सेवक घोषित किया जाए।

उन्होंने कहा कि जब तक सरकारी सेवक नहीं घोषित किया जाता है 1000 के बदले सबको 10000 मानदेय दिया जाए और आशा फैसिलिटेटर को 20 दिन के बदले 30 दिन 500 रुपया के दर से भुगतान किया जाए।

वक्ताओं ने कहा कि अगर सरकार मांगों को पूरा नहीं करती है तो आने वाले समय में आंदोलन को और तेज करेंगी, जिसकी जवाबदेही स्वास्थ्य प्रशासन की होगी।

मौके पर राजो देवी, संतोषी कुमारी, नीतू कुमारी, माया देवी, मालती देवी, प्रेमशीला, बबिता कुमारी, लक्ष्मी कुमारी आदि मौजूद थे।

रोहतास: मांगों के समर्थन में हड़ताल पर गईं आशा कार्यकर्ता

रोहतास के काराकाट में सरकारी कर्मी का दर्जा व समान वेतन की मांग को लेकर स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से जुड़ी आशा कार्यकर्ता बुधवार को हड़ताल पर चली गईं।

इस क्रम में पहले दिन सीएचसी के मुख्य द्वार पर अपनी नौ सूत्री मांगों के समर्थन में धरना भी दिया। नेतृत्व कर रहीं संघ की जिलाध्यक्ष विद्यावती पांडेय ने कहा कि आज से जिले की सभी आशा कार्यकर्ता हड़ताल पर रहेंगी।

उन्होंने कहा कि आखिर हम कब तक सरकारी कर्मी व समान वेतन की आस में बैठे रहेंगे। आशा कार्यकर्ता मांग पूरी नहीं होने तक हम हड़ताल पर बनी रहेंगी। धरना देने वालों में अर्चना कुमारी, कमला कुमारी, नीलम सिंह, दुर्गावती देवी, सविता देवी समेत सभी आशा कार्यकर्ता शामिल थीं।

औरंगाबाद: 12 जुलाई से हड़ताल का दिया था अल्टीमेटम

औरंगाबाद के देव और हसपुरा में भी आशा कार्यकर्ता एवं फैसिलिटेटर बुधवार से हड़ताल पर चली गईं। इससे पहले देव में सिविल सर्जन कार्यालय के पास प्रदर्शन किया था, तब 12 जुलाई से हड़ताल पर जाने का अल्टीमेटम दिया था। बिहार राज्य जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने भी आशा कार्यकर्ताओं को समर्थन दिया है।

स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के अध्यक्ष श्यमता यादव ने कहा कि सरकार आशा कार्यकर्ताओं के साथ गलत नीति अपना रही है। इनकी मांग पर सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए। प्रखंड अध्यक्ष बिंदु कुमारी, मीना कुमारी, संगीता पाठक, अनिता देवी, ज्ञांति, सुमन, अनीता कुमारी धरने में मौजूद रहीं।

10 हजार रुपये मानदेय के साथ पेंशन दे सरकार

हसपुरा में आशा कार्यकर्ता और फैसिलिटेटर्स ने बुधवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर प्रदर्शन किया। नारेबाजी भी की। उन्होंने कहा कि हमारी मांगें सरकार को माननी होंगी। प्रदर्शन में शामिल अंजू कुमारी, चिंता कुमारी, रौशन खातून, अमिता, कविता एवं पूनम कुमारी ने कहा कि आज से राज्य में आशा कार्यकर्ता एवं फैसिलिटेटर्स हड़ताल पर हैं।

यह आंदोलन राज्य एवं केंद्र सरकार के खिलाफ है। केंद्र सरकार के नौ वर्षों के शासन में हमें न्याय नहीं मिला। पटना उच्च न्यायालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना के दौरान आशा कार्यकर्ता के कार्यों की सराहना की है। जब तक मांगें पूरी नहीं हो जातीं, हड़ताल जारी रहेगी।

आशा को राज्यकर्मी का दर्जा देने, आशा और फैसिलिटेटर को 10 हजार मासिक वेतन, कोरोना महामारी में मृत आशा कार्यकर्ताओं के स्वजन को चार लाख रुपये का मुआवजा, पेंशन योजना बहाल करने के साथ अन्य मांगों पर चर्चा की।

उन्होंने कहा कि हड़ताल पर जाने की पूरी जिम्मेदारी सरकार की है। सरकार हमारी मांगों पर अब तक चुप है। अफसाना खातून, उमा कुमारी, संगीत कुंवर, प्रभा कुमारी धरने में शामिल रहे।


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