Bihar Bhumi Survey 2024: भूमि सर्वे के बीच आ गई बड़ी बाधा, जमीन मालिक हुए परेशान; सरकार के सामने चुनौती
बक्सर जिले में भूमि सर्वेक्षण में कैथी भाषा के पुराने अभिलेख एक बड़ी बाधा हैं। कैथी भाषा में लिखे गए पुराने खतियान जमीन की रजिस्ट्री और जमींदारों के हुकुमनामे आदि को पढ़ने-लिखने वाला कोई नहीं है। इससे भूमि स्वामित्व और वंशावली से मिलान करने में कई तरह की समस्याएं आती हैं। जमीन मालिक कैथी भाषा में लिखे गए भूमि अभिलेख को लेकर काफी परेशान हैं।
संवाद सहयोगी, ब्रह्मपुर (बक्सर)। कैथी भाषा के सरकारी अभिलेख भूमि सर्वेक्षण (Bihar Land Survey) में सबसे बड़ी बाधा हैं। बक्सर जिले के पुराने खतियान, जमीन की रजिस्ट्री और जमींदारों के हुकुमनामा आदि कई कागजात कैथी भाषा में ही लिखे गए हैं, लेकिन भूमि सर्वेक्षण विभाग, प्रशासन या आम लोगों में इस भाषा को पढ़ने-लिखने वाला कोई नहीं है। यहां कई मौजे ऐसे हैं, जहां आज भी रैयतों के पास भूमि स्वामित्व के पुराने खतियान ही हैं।
शाहाबाद संप्रति बक्सर जिले में पहली बार वर्ष 1909-10 में भूमि का सर्वेक्षण किया गया। उसे सर्वेक्षण के खतियान कैथी भाषा में ही लिखे गए हैं। तब अंग्रेजी शासन काल में कैथी भाषा को आधिकारिक रूप से सरकारी और न्यायालय में कामकाज करने के लिए लागू कर दिया गया था, इसलिए पहले के कैडस्टल सर्वे के खतियान, जमीन की रजिस्ट्री, जमींदारों द्वारा किसानों को दिया गया हुकुमनामा या पटा, दान पत्र, जमीन की बदलेन, पुराना लगन रसीद आदि कागजात कैथी भाषा में ही लिखे गए हैं।
जमीन मालिक परेशान
दूसरी ओर, अब यह भाषा उपयोग में नहीं है। सर्वे (Bihar Bhumi Survey 2024) करने वाले अधिकारी या अमीन को भी इस भाषा की जानकारी नहीं है। इस समस्या को लेकर वैसे रैयत काफी परेशान हैं, जिनकी 1970 के पहले खरीदी गई जमीन का सर्वे नहीं हुआ है। जमीन पर स्वामित्व या वंशावली से मिलान करने में कई तरह की समस्या या प्रश्न उठ खड़े होंगे। रैयत परंपरा से अपने कागजात के बारे में जानकारी रखते हैं और खुद वह पढ़ और लिख नहीं पाते हैं। जरूरत पड़ने पर किसान अनुवाद कराते हैं और इसके लिए उन्हें काफी पैसा खर्च करना पड़ता है।ब्रह्मपुर अंचल के नैनीजोर, महुआर, चक्की आदि पंचायत के कई मौजों में पुराने सर्वे का ही खतियान, राजस्व अभिलेख, जमीन रजिस्ट्री के दस्तावेज कैथी भाषा में ही है, क्योंकि 1970 में इसका सर्वे नहीं हुआ था। बहुत से रैयत की भूमि 1970 के सर्वे में गड़बड़ी कर बिहार सरकार या किसी दूसरे व्यक्ति के नाम से कर दिया गया। वैसे लोगों के पास सबूत के तौर पर 1909 वाला पुराना खतियान है, जो कैथी भाषा में ही लिखा गया है। ऐसी स्थिति में जमीन सर्वे में दावा समझने में परेशानी होगी।
अधिवक्ता प्रभाकर पांडे और राजेंद्र प्रसाद बताते हैं कि आजादी के बाद लगभग छठे दशक तक सरकारी कामकाज में कैथी भाषा का प्रयोग होता रहा और उस समय तक के सर्वाधिक सरकारी कागजात कैथी भाषा में ही लिखे गए हैं। न्यायालय में कैथी भाषा के अभिलेख आने पर अनुवाद कराया जाता है। इस जिले में ऐसे दो-तीन ही जानकार लोग हैं।
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बक्सर में रिविजनल सर्वे हो गया है तथा उसका खतियान हिंदी में है। कैथी भाषा का खतियान पढ़ने के लिए किसी कैथी भाषा के जानकार व्यक्ति से संपर्क करना होगा। - कृष्ण सिंह, जिला सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी, बक्सर