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Bihar Rain Forecast: बिहार में कब होगी झमाझम बारिश? सामने आया मौसम विभाग का ताजा अपडेट

माना जाता है कि सूर्य के आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करते ही वर्षा ऋतु यानी मानसून की शुरुआत हो जाती है। ऐसे में इस साल 22 जून से 6 जुलाई तक सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में रहेगा और इस नक्षत्र में वर्षा धान की खेती कर रहे किसानों के लिए बहुत जरूरी है। फिलहाल मृगशिरा नक्षत्र पूरी तरह से तप रहा है। भीषण गर्मी से परेशान हैं।

By Girdhari Agrwal Edited By: Rajat Mourya Published: Mon, 10 Jun 2024 04:13 PM (IST)Updated: Mon, 10 Jun 2024 04:13 PM (IST)
बिहार में कब होगी झमाझम बारिश? सामने आया मौसम विभाग का ताजा अपडेट (फाइल फोटो)

जागरण संवाददाता, बक्सर। Bihar Monsoon Rain Update 2024 नक्षत्रों की बात करें तो अभी मृगशिरा नक्षत्र चल रहा है, जो तपाने वाला होता है। कृषि विशेषज्ञ भी बताते हैं की मृगशिरा नक्षत्र को आरंभ में तपना चाहिए और अंतिम में बरसना चाहिए। इसके बाद चढ़ते आद्रा नक्षत्र को बरसना चाहिए।

प्रकृति का यह रूप आगे अच्छी बारिश और कृषि का संकेत देता है। जो भी हो अभी की पड़ रही प्रचंड गर्मी से सभी परेशान हैं। पिछले तीन दिनों से तापमान लगातार 44 डिग्री से अधिक रह रहा है। इसके साथ ही उष्ण लहर की गर्म हवा शरीर को झुलसा रही है।

दो दिन नहीं मिलेगी राहत

मौसम विज्ञान विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक अभी दो दिन इससे राहत नहीं मिलने वाली है। बता दें की मृगशिरा नक्षत्र में सूर्य का प्रवेश 6:52 पर पिछले आठ तारीख को हुआ है। इसके बाद 22 जून को आद्रा नक्षत्र चढ़ेगा।

कब आएगा मानसून?

माना जाता है कि सूर्य के आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करते ही वर्षा ऋतु यानी मानसून की शुरुआत हो जाती है। ऐसे में इस साल 22 जून से 6 जुलाई तक सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में रहेगा और इस नक्षत्र में वर्षा धान की खेती कर रहे किसानों के लिए बहुत जरूरी है।

फिलहाल, मृगशिरा नक्षत्र पूरी तरह से तप रहा है। यद्यपि इसका असर लोगों की जीवनशैली पर पड़ रहा है और लोग शरीर झुलसाने वाली लू और भीषण गर्मी से परेशान हैं। बल्कि पिछले साल की तुलना में इस साल मई से 10 जून तक गर्मी अच्छी पड़ी है।

सोमवार को कृषि विज्ञान केंद्र से प्राप्त जानकारी के मुताबिक मौसम का न्यूनतम तापमान जहां 29.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। वहीं अधिकतम तापमान 44 डिग्री सेल्सियस के करीब दर्ज किया गया है।

कृषि विज्ञानी डॉ. देवकरण का कहना है की मई और जून की गर्मी जनमानस के लिए अत्यंत कष्टदायक व घातक जरूर है, पर खेती के लिए यह गर्मी लाभदायक है। इसमें खर-पतवार के पौधे एवं बीज, कीट व इसके अंडे, फफूंद, सूत कृमि (नेमाटोड), प्यूपा आदि सूखकर समाप्त हो जाते हैं। रोग-व्याधि का प्रकोप कम हो जाता है, इससे खरीफ फसल को लाभ होता है।

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