Bihar Train Accident: गहराती रात में भयंकर आवाज, कांपते यात्रियों की सहायता को दौड़ पड़े गांव के गांव
Bihar Train Accident Updated News अचानक तेज आवाज ने सभी को दहला दिया। किसी अनहोनी की आशंका ने आंखों की नींद गायब कर दी। यह जैसे ही पता चला कि ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हो गई है वहां अफरातफरी का वातावरण। चारों ओर चीख-पुकार। नीचे घुप अंधेरा। समाज क्या होता है मानवता क्या होती है यह दृश्य यहां दिख रहा था जब आसपास पंद्रह-बीस किलोमीटर दूर गांवों से भी लोग दौड़ते-हांफते दिखे।
By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaUpdated: Thu, 12 Oct 2023 05:51 AM (IST)
जयमंगल पांडेय, बक्सर। रात अब गहरा रही थी। पैंट्रीकार के कर्मी यात्रियों को खाना दे चुके थे। लोग खा-पीकर अब सोने की तैयारी में थे। कुछ लोगों ने चादर भी तान ली थी। आनंद विहार से कामाख्या जा रही नार्थ इस्ट एक्सप्रेस पटरियों पर तेज गति में दौड़ती चली जा रही थी कि अचानक तेज आवाज ने सभी को दहला दिया। किसी अनहोनी की आशंका ने आंखों की नींद गायब कर दी। यह जैसे ही पता चला कि ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हो गई है, वहां अफरातफरी का वातावरण। चारों ओर चीख-पुकार। नीचे घुप अंधेरा।
बोगियांं हो चुकी थीं बेपटरी
बोगियां बेपटरी हो चुकी थीं। एसी कोच की हालत यह कि पलटकर डाउन लाइन से अप लाइन पर आ चुकी थी। घटनास्थल रघुनाथपुर स्टेशन की पश्चिमी गुमटी के पास था। चूंकि रात हो चुकी थी, सो पास के बाजार भी बंद हो चुके थे, लेकिन दुर्घटना का समाचार आग की तरह चारों तरफ फैल गया। समाज क्या होता है, मानवता क्या होती है, यह दृश्य यहां दिख रहा था, जब आसपास पंद्रह-बीस किलोमीटर दूर गांवों से भी लोग दौड़ते-हांफते, जिन्हें जो मिला उस साधन से वहां पहुंचने लगे।
दर्जनों लोग मदद के लिए दौड़े
यहां तक कि सहायता के लिए दियारा क्षेत्र से भी लोग पहुंच चुके थे। भरखर, रहथुआ, कांट, कैथी, ढोढनपुर, बाबूडेरा आदि गांवों के लोग बड़ी संख्या में पहुंच चुके थे। घायलों की आंखों में आशा की चमक दिखाई पड़ी। ब्रह्मपुर थानाध्यक्ष रंजीत कुमार यहां सबसे पहले पहुंचे थे। मुख्यालय से प्रशासन की टीम करीब घंटे भर बाद पहुंची। तब तक ग्रामीण यात्रियों को बाहर निकालने में जुट गए थे। यहां घुप अंधेरे के कारण राहत कार्य में परेशानी आ रही थी तो ग्रामीणों ने ही पास से जेनरेटर लाकर वहां रोशनी की व्यवस्था की। कोई पानी लेकर दौड़ रहा है, कोई बच्चों को निकाल रहा है। कोई घायलों को एंबुलेंस पर चढ़ाने पर सहायता कर रहा है। जिससे जो बन पड़ रहा था, वह कर रहे थे। पूर्व मुखिया विनोद ओझा, शैलेश कुमार, विशाल सिंह, आनंद शर्मा आदि दर्जनों लोग सहयोग को दौड़ रहे थे।एक ओर लोगों की जान खतरे में थी, उन्हें बचाने का प्रयत्न और दूसरी ओर कुछ ऐसे भी, जो आपदा में अवसर तलाश रहे थे। एक व्यक्ति किसी यात्री का बैग लेकर भाग रहा था, जिस पर लोगों की नजर पड़ गई। उसके हाथ से बैग छीनकर पुलिस को सौंप दिया। उसमें जेवर आदि थे।
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पुलिस ने उसे फटकारते हुए चेतावनी देकर छोड़ दिया। सभी घायलों को बचाने में लगे थे, लेकिन वह व्यक्ति जैसे अपनी आदत से लाचार हो। वह फिर सामान पर हाथ साफ करते देखा गया। इस बार लोगों ने उसकी जमकर पिटाई की। एक दृश्य यह भी था। यात्रियों के सामान बिखरे हुए, पटरियां उखड़ी हुईं, बोगियां पलटी हुईं।
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