इंसानियत अभी भी जिंदा है... नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस हादसे में स्थानीय लोग बने देवदूत; बताया रोंगटे खड़े कर देने वाला मंजर
Bihar Train Accident गुरूवार को हुए नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस हादसे में बचाव दल से पहले स्थानीय लोग देवदूत सामने आए। लोगों ने अपनी मोटर साइकिल और निजी संसाधनों की मदद से घायलों को अस्पताल पहुंचाया। हालांकि बाद में इतने लोग घटनास्थल पर जा पहुंचे कि कि बचाव अभियान में भी परेशानी होने लगी। इस दौरान कुछ लोग सेल्फी लेने में व्यस्थ थे।
By Ranjit Kumar PandeyEdited By: Aysha SheikhUpdated: Fri, 13 Oct 2023 10:09 AM (IST)
रंजीत कुमार पांडेय, डुमरांव (बक्सर)। North East Express Accident: इंसानियत अभी भी जिंदा है। नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस हादसे में स्थानीय लोग देवदूत बनकर सामने आए। हादसे के तुरंत बाद बिना एक मिनट की देरी स्थानीय लोगों ने सबसे पहले बचाव कार्य शुरू किया।
पांच से 10 मिनट के अंदर स्थानीय गांव के उत्साही युवा घरों से सीढ़ियां और अन्य जरूरी सामान लेकर बचाव में जुट गए। युवाओं ने यात्रियों को सांत्वना दी और उन्हें कोच से निकालकर प्लेटफॉर्म की ओर जाने में मदद की।घटनास्थल पर लोगों का लगा जमावड़ा
प्रशासनिक बचाव दल के आने के पहले इस दल ने काफी काम आसान कर दिया था। बाद में इंटरनेट माध्यमों और फोन कॉल के जरिए सूचना प्रसारित हुई, तो आसपास के ही कई गांवों के लोग घटनास्थल पर पहुंचने लगे। घटना के एक घंटे के अंदर मौके पर इतनी भीड़ जमा हो गई कि बचाव अभियान में भी परेशानी होने लगी।
कुछ लोग ले रहे थे सेल्फी
इस दौरान कुछ लोग पीड़ितों की मदद में जुटे दिखे, तो कुछ सेल्फी लेने में व्यस्थ रहे। बाद में जब प्रशासन की टीम पहुंची, तो उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती लोगों को घटनास्थल से बाहर करने की रही। यह समस्या गुरुवार को भी दिनभर रही। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात करते हुए घेराबंदी करानी पड़ी।वॉट्सएप मैसेज के जरिए लोगों से की सहयोग की अपील
स्थानीय युवा जितेंद्र कुमार बताते हैं कि घटना के तुरंत बाद सैकड़ों की संख्या में स्थानीय युवक मौके पर पहुंच गए। जब उन्होंने देखा कि स्थिति बेहद भयावह है, तो उन्होंने वॉट्सएप मैसेज के माध्यम से विभिन्न ग्रुपों में इसकी सूचना डालते हुए लोगों से सहयोग की अपील की।
ट्रेन के दरवाजे खोल कर घायलों को बाहर निकालना शुरू किया। लोगों ने अपनी मोटर साइकिल और निजी संसाधनों की मदद से घायलों को अस्पताल पहुंचाना शुरू कर दिया और यात्रियों के लिए भोजन-पानी की व्यवस्था में लग गए।
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