Buxar Crime News अपनी ही सगी बच्चियों से दुष्कर्म क यह मामला राजपुर थाना के एक गांव का है। विशेष पॉक्सो कोर्ट ने दो नाबालिग बच्चियों से सामूहिक दुष्कर्म के मामले में उनके पिता और तांत्रिक को उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही मां और मौसी को 20-20 साल कैद की सजा सुनाई है। इनके अलावा एक और व्यक्ति को सात साल कैद की सजा हुई है।
By Shubh Narayan PathakEdited By: Prateek JainUpdated: Tue, 12 Sep 2023 06:58 PM (IST)
जागरण संवाददाता, बक्सर: अपनी ही दो बेटियों से सामूहिक दुष्कर्म के मामले में माता-पिता और मौसी के अलावा दो और लोगों को न्यायालय से कड़ी सजा मिली है। वर्ष 2022 में जब यह मामला लोगों के सामने आया, तो जिसने भी सुना स्तब्ध रह गया।
पॉक्सो कोर्ट के विशेष लोक अभियोजक सुरेश कुमार सिंह ने बताया कि मामला राजपुर थाना के एक गांव का है। दोनों बच्चियां 2012 से ही यौन शोषण का शिकार हो रही थीं, उनका शोषण करने वालों में पिता भी शामिल था और मां-मौसी की इसमें सहमति थी।
कोर्ट ने पांचों दोषियों को सुनाई सजा
विशेष पॉक्सो कोर्ट ने दो नाबालिग बच्चियों से सामूहिक दुष्कर्म के मामले में उनके पिता और तांत्रिक को उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही मां और मौसी को 20-20 साल कैद की सजा सुनाई है। इनके अलावा एक और व्यक्ति को सात साल कैद की सजा हुई है।यह मामला वर्ष 2022 में पुलिस के सामने आया था और उसी साल 28 अप्रैल को महिला थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। दोनों बच्चियों ने बताया था कि उनके साथ बीते कई साल से ऐसा हो रहा था। स्पीडी ट्रायल के तहत मामले की सुनवाई कर कोर्ट ने मंगलवार को फैसला सुना दिया है।
यह है अंधविश्वास में सगी बच्चियों से दुष्कर्म की कहानी
दरअसल, बच्चियों के माता-पिता को एक पुत्र की चाह थी, उनकी पहचान के जयलाल नाम के एक व्यक्ति ने स्थानीय तांत्रिक अजय कुमार से मिलने की सलाह दी।
तांत्रिक से मिलने पर उसने कहा कि बेटा होने में दोनों बेटियां ही बाधक हैं। इस बाधा को दूर करने के लिए पिता को बेटियों से ही शारीरिक संबंध बनाना होगा। पिता ने ऐसा ही किया और इसके बाद संयोग से दंपती को पुत्र हो भी गया।
इसके बाद तांत्रिक का हौसला बढ़ गया और उसने बच्चे पर खतरा बताते हुए एक विशेष धार्मिक अनुष्ठान कराने को कहा। इसमें दोनों बच्चियों को बुलाया।
इस दौरान पिता और तांत्रिक दोनों ने बच्चियों से सामूहिक दुष्कर्म किया। बाद में यह सिलसिला हमेशा चलने लगा। बहुत दिनों तक प्रताड़ना का शिकार होने के बाद बच्चियां जब थोड़ी बड़ी हुईं, तो उन्हें इन चीजों का मतलब समझ आने लगा।
दोनों ही बच्चियां किसी तरह जिला मुख्यालय पहुंचीं और एक व्यक्ति के जरिए पुलिस से मिलीं। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक नीरज कुमार सिंह को इसकी जानकारी हुई, तो तत्काल 28 अप्रैल को महिला थाना में केस दर्ज किया गया और तत्काल सभी आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया।
न्यायालय ने भी इस मामले की तेजी से सुनवाई की और आखिरकार सभी पांचों आरोपितों को दोषी पाते हुए उन्हें सजा भी सुना दी है।
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