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Bihar News: 'मैडम की मर्जी से खुलता है कार्यालय का ताला', सरकारी अधिकारियों की लेटलतीफी से जनता त्रस्त

बिहार के बक्सर जिले में अधिकारियों की लेटलतीफी से आम जनता त्रस्त हो चुकी है। अधिकारियों और कर्मचारियों की कार्य प्रणाली पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। मन में आया तो कार्यालय आए अन्यथा जिला या फिर अनुमंडल मुख्यालय में मीटिंग का हवाला देकर गायब रहते हैं। ऐसी स्थिति में जहां काफी हद तक सरकारी कार्य प्रभावित हो रहा है।

By Srikant Dubey Edited By: Rajat Mourya Updated: Fri, 05 Jan 2024 04:54 PM (IST)
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'मैडम की मर्जी से खुलता है कार्यालय का ताला', सरकारी अधिकारियों की लेटलतीफी से जनता त्रस्त
संवाद सहयोगी, सिमरी (बक्सर)। सरकार के लाख प्रयास के बावजूद अधिकारियों एवं कर्मचारियों की कार्य प्रणाली में अब तक कोई गुणात्मक सुधार नहीं हुआ। आज भी उनकी सारी गतिविधि पुराने ढर्रे पर ही संचालित हो रही हैं। मन में आया तो कार्यालय आए, अन्यथा जिला या फिर अनुमंडल मुख्यालय में मीटिंग का हवाला देकर गायब रहते हैं। ऐसी स्थिति में जहां काफी हद तक सरकारी कार्य प्रभावित हो रहा है।

वहीं, आम जनता को भी परेशानियां झेलनी पड़ रही है। शुक्रवार को कुछ ऐसा ही नजारा प्रखंड मुख्यालय स्थित आपूर्ति, श्रम प्रवर्तन एवं कल्याण विभाग के कार्यालय में देखने को मिला। पूरे दिन इन तीनों कार्यालयों के ताले नहीं खुले। राशन की समस्या को लेकर चार पांच लोगों के अलावा कुछ महिलाएं मैडम के आने के इंतजार में इधर-उधर घूम रही थी, परंतु उनका दर्शन नहीं हुआ।

'कार्यालय का ताला मैडम की मर्जी से खुलता है'

एक महिला ने तो यहां तक कहा कि आपूर्ति कार्यालय का ताला मैडम की मर्जी से खुलता है। चूंकि इसका संचालन वह डुमरांव स्थित अपने आवास से करती हैं। सुमन देवी, विरेन्द्र यादव सहित कई अन्य लोगों का कहना था कि जिला एवं अनुमंडल स्तरीय अधिकारियों द्वारा समय समय पर जांच नही करने के कारण तीनों विभागों के अधिकारी अपने मनमर्जी से कार्यालय का संचालन कर रहे हैं और इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है।

इस संबंध में जब प्रखंड विकास पदाधिकारी शशिकांत शर्मा से संपर्क स्थापित किया गया तो उन्होंने कहा कि श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी एवं कल्याण पदाधिकारी को दो प्रखंडों का प्रभार है, लेकिन आपूर्ति पदाधिकारी का नियमित कार्यालय नहीं आना चिंता का विषय है। बहरहाल, इस मामले में प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी प्रीति अरोड़ा से संपर्क स्थापित करने की कोशिश की गई, लेकिन संपर्क नहीं हो पाने के कारण उनका पक्ष ज्ञात नहीं हो सका।

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