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Buxar Lok Sabha Result 2024: पूर्व IPS ने भाजपा के साथ कर दिया खेला‍, डेढ़ लाख वोटों का हिसाब लगा पाएगी BJP?

बक्सर लोकसभा सीट (Buxar Lok Sabha Election Result 2024) पर भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा है। बक्सर (Bihar Lok Sabha Election Result 2024) से भाजपा प्रत्याशी मिथिलेश तिवारी 30 हजार वोटों से हार गए हैं। भाजपा की हार यूं तो केवल 30091 मतों से ही हुई है लेकिन भाजपा को हार की सही समीक्षा के लिए इस बार करीब डेढ़ लाख मतों का हिसाब जोड़ना होगा।

By Shubh Narayan Pathak Edited By: Mohit Tripathi Published: Wed, 05 Jun 2024 07:03 PM (IST)Updated: Wed, 05 Jun 2024 07:03 PM (IST)
बक्सर में पूर्व आईपीएस ने भाजपा के साथ कर दिया खेल। (फाइल फोटो)

जागरण संवाददाता, बक्सर। बक्सर लोकसभा सीट (Buxar Lok Sabha Election Result 2024) पर भाजपा की हार यूं तो केवल 30,091 मतों से ही हुई है, लेकिन भाजपा को हार की सही समीक्षा के लिए इस बार करीब डेढ़ लाख मतों का हिसाब जोड़ना होगा।

ऐसा इसलिए क्योंकि बीते दो लोकसभा चुनावों (Bihar Lok Sabha Election Result 2024) में भाजपा इस सीट पर क्रमश: 1,17,609 और 1,32,338 मतों से जीत हासिल हुई थी। भाजपा के लिए इस बार करीब सवा लाख मतों की बढ़त खत्म हुई तो दूसरी तरफ पार्टी 30 हजार मतों से पीछे चली गई। कुल मिलाकर देखें तो भाजपा का वास्तविक नुकसान डेढ़ लाख मतों का है।

मत प्रतिशत के अनुसार देखें तब भी भाजपा को एक लाख से अधिक मतों का सीधा नुकसान हुआ है। वहीं, राजद ने बीते चुनाव के मुकाबले करीब मत प्रतिशत के अनुसार करीब 50 हजार मत अधिक पाए हैं।

मत प्रतिशत के अनुसार, यह गणना कुल मतदाताओं की संख्या में वृद्धि के आधार पर सापेक्षिक है। अगर मतदाताओं की संख्या में वृद्धि को नजरअंदाज भी कर दिया जाए, तब भी भाजपा को बीते चुनाव के मुकाबले 64,799 मत कम मिले हैं, वहीं राजद को 82,901 मतों की बढ़त है।

हार के कारण अलग, गिरावट के अलग

अगर भाजपा केवल चुनाव में हार के कारण खोजती है, तो उसे केवल 30 हजार मतों का हिसाब ही देखना होगा। इस लिहाज से पूर्व आइपीएस निर्दलीय प्रत्याशी आनंद मिश्र को भाजपा की हार की वजह माना जा रहा है।

भाजपा के प्रत्याशी मिथिलेश तिवारी ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस ओर इशारा भी किया। पूर्व आइपीएस को 47,409 मत मिले हैं।

माना जा रहा है कि इसमें कम से कम 30 हजार मत बीते तीन दशक से संसदीय क्षेत्र में भाजपा का कोर वोटर बने हुए ब्राह्मणों के हैं। यह संख्या अधिक भी हो सकती है।

भाजपा का मानना है कि अगर पूर्व आइपीएस मैदान में नहीं होते, तो कड़े मुकाबले के बावजूद उनका उम्मीदवार जीत जाता। लेकिन इस गणित में उन मतों का कोई आकलन नहीं है, जिनकी बदौलत पिछली बार भाजपा ने शानदार बढ़त बनाई थी।

नतीजे स्पष्ट करते हैं कि भाजपा को पूर्व आइपीएस से तो नुकसान हुआ ही है, लेकिन उनके कम से कम 50 हजार मत उठकर राजद की तरफ गए हैं। इन्हीं मतों ने राजद को बढ़त और भाजपा को पराजय दिलाई है। 50 हजार मतों के इधर से उठकर सीधे उधर चले जाने का भाजपा पर असर एक लाख मतों के बराबर हुआ।

मामूली उलटफेर से पलटा खेल

बक्सर संसदीय सीट के नतीजों पर काराकाट के असर की भी बात कही जा रही है। कहा जा रहा है कि इससे कुशवाहा ने भाजपा का साथ छोड़ दिया। इसी तरह स्वजातीय प्रत्याशी होने के कारण राजपूत मतदाताओं के साथ छोड़ने की बात भी हो रही है।

लेकिन इन दोनों में से कोई भी दावा पूरी तरह सही नहीं हो सकता है। क्योंकि राजपूत और कुशवाहा अगर भाजपा को पूरी तरह छोड़ देते, तो भाजपा का नुकसान दो लाख से भी अधिक मतों का हो सकता था। इन सभी चीजों के पीछे पार्टी के अंदर जबर्दस्त खिंचतान पहला कारण रही, जिसे खुद प्रत्याशी ने भी महसूस किया।

राजद को मिला हर वर्ग का साथ

बक्सर सीट पर राजद की बढ़त बहुत बड़ी नहीं रही, लेकिन इस बार समाज के हर वर्ग से उनके प्रत्याशी को कुछ न कुछ मत जरूर मिल गए। राजद के माय समीकरण के अलावा, कुछ हद तक बसपा के कैडर वोट में भी राजद ने सेंध लगाई।

इसी तरह कांग्रेस के साथ की वजह से भाजपा से नाराज ऊंची जातियों के कुछ मतदाता भी राजद की तरफ गए। राजपूत प्रत्याशी की वजह से स्वजातीय मतों का एक हिस्सा राजद को पहले भी मिलता ही रहा है।

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