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Bihar Politics: बक्सर की राजनीति का अलग है हिसाब... धन बल और ध्रुवीकरण बन गया है जीत का फार्मूला

Buxar News बक्सर के डुमरांव से पूर्व विधायक रामाश्रय सिंह बताते हैं कि 1985 के आसपास राजनीति में बड़े बदलाव हुए। उन्होंने 2002 में ही बदलते हालात को देखते हुए राजनीति से दूर होने का निर्णय कर लिया था। वह आज केसठ प्रखंड के एक छोटे से गांव कुलमनपुर में गुमनामी में जी रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री हरिहर सिंह को समाजवादी रामाश्रय सिंह ने हराया था l

By Sanjeev Kumar Edited By: Sanjeev Kumar Updated: Wed, 03 Apr 2024 08:39 AM (IST)
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बक्सर की राजनीति का अलग है समीकरण (जागरण)
रंजीत कुमार पांडेय, डुमरांव (बक्सर)। Buxar News: राजनीति अब धन बल का खेल हो गई है। आम आदमी की रोजी-रोटी से जुड़े मुद्दे गायब हैं। जाति और धर्म के नाम पर ध्रुवीकरण कर चुनाव जीते जा रहे हैं। ऐसी चीजें हमारे समय में नहीं थीं या कम थीं। डुमरांव के पूर्व विधायक समाजवादी नेता रामाश्रय प्रसाद सिंह अपनी पीड़ा इन्हीं शब्दों में बयान करते हैं।

लगभग 79 वर्ष के हो चुके पूर्व विधायक पर अब उम्र का असर है। उन्हें कम सुनाई देता है। उनसे बात करने के लिए लिखकर देना पड़ता है। फिर वे पढ़कर जवाब देते हैं।

वह 1977 में सरदार हरिहर सिंह को चुनाव हराकर विधानसभा पहुंचे थे। हरिहर सिंह पहले आम चुनाव यानी 1952 से 1977 तक लगातार विधायक रहे और 1969 में अल्प अवधि के लिए मुख्यमंत्री भी बने। उनकी बड़ी शख्सियत को केवल 32 साल के युवक ने परास्त कर दिखाया था। वह इसके बाद भी कई चुनाव लड़ते रहे। हालांकि कभी मामूली तो कभी बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा।

रामाश्रय सिंह ने बदलती राजनीति को देखकर सियासत से बना ली दूरी

रामाश्रय सिंह बताते हैं कि 1985 के आसपास राजनीति में बड़े बदलाव हुए। उन्होंने 2002 में ही बदलते हालात को देखते हुए राजनीति से दूर होने का निर्णय कर लिया था। वह आज केसठ प्रखंड के एक छोटे से गांव कुलमनपुर में गुमनामी में जी रहे हैं।

चुनाव दर चुनाव गांव में अपनी खपरैल दालान में बैठकर प्रचार में आने वाले नेताओं व कार्यकर्ताओं के रंग ढंग का आंकलन करते रहे हैं। वह कहते हैं कि पहले लोग समाजसेवा की भावना से राजनीति में आते थे, लेकिन अब यह कम समय में अधिक से अधिक मुनाफा कमाने वाला व्यवसाय बन गई है।

पूर्व सीएम हरिहर सिंह को रामाश्रय सिंह ने हराया था

पूर्व मुख्यमंत्री हरिहर सिंह को 32 की उम्र में समाजवादी रामाश्रय सिंह ने हराया था l राजनीति में बदलते हालात देखकर 2002 से हो गए हैं तटस्थ lकहा, राजनीति अब कम समय में अधिक से अधिक मुनाफा का व्यवसाय बन गया।

रामाश्रय सिंह का परिवार बेहद साधारण जीवन जीता है: 

पेंशन बढ़ी तो मजदूरी करने विदेश गए बेटे को गांव बुलाया रामाश्रय प्रसाद सिंह का परिवार बेहद साधारण जीवन जीता है। इनके घर की हालत देखकर नई पीढ़ी को शायद ही विश्वास हो कि यहां कोई पूर्व विधायक रहते हैं। क्योंकि, इससे अधिक शान-शौकत से आज कल के पंचायत प्रतिनिधि रहते हैं।

सरकार से मिलने वाली पेंशन से भरण-पोषण होता है। बताया कि तीन पुत्रियों की शादी कर चुके हैं। परिवारवादी राजनीति से दूर एक बेटा पटना में वेल्डिंग कारीगर है। दूसरा बेटा विदेश में मजदूरी करने गया था। कुछ वर्ष पहले पूर्व विधायकों की पेंशन बढ़ी तो उसे वापस घर बुला लिया। अब वह गांव में ही रहकर खेती-बारी करता है।

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