Bihar News: बक्सर में नवजात शिशु पर टूट रहा कहर, छह माह में भर्ती हुए 566 बच्चे, 15 की हुई मौत
Bihar News नवजात एवं शिशुओं के इलाज के लिए सदर अस्पताल में एसएनसीयू एवं एनआरसी की व्यवस्था मौजूद है। वहां बच्चों को भर्ती कर उनका इलाज किया जाता है। इन दोनों यूनिट में पिछले छह माह में अप्रैल से अक्टूबर के बीच कुल 566 बच्चे इलाज के लिए भर्ती हुए। इनमें से 15 नवजात ने दम तोड़ दिया हालांकि कुछ बच्चे स्वस्थ होकर घर भी लौटे।
By Rajesh TiwariEdited By: Sanjeev KumarUpdated: Sat, 02 Dec 2023 05:24 PM (IST)
जागरण संवाददाता, बक्सर। नवजात एवं शिशुओं के इलाज के लिए सदर अस्पताल में एसएनसीयू एवं एनआरसी की व्यवस्था मौजूद है। वहां बच्चों को भर्ती कर उनका इलाज किया जाता है। इन दोनों यूनिट में पिछले छह माह में अप्रैल से अक्टूबर के बीच कुल 566 बच्चे इलाज के लिए भर्ती हुए।
इनमें से 15 नवजात ने दम तोड़ दिया, जबकि शेष बच्चों को इलाज के बाद वहां से स्वस्थ कर घर ले जाने के लिए छुट्टी दे दी गई।
गौर करने लायक बात यह है कि इस बीच जिन नवजात ने सदर अस्पताल में दम तोड़ा उनकी उम्र शून्य से 28 दिन की थी। यहां बता दें कि एसएनसीयू (स्पेशल न्यूबोर्न केयर यूनिट) में जन्म लेने के बाद 28 दिन तक के बच्चों को ही भर्ती किया जाता है।
इनमें अधिकतर बच्चे वैसे होते हैं, जिन्हें प्रसव के दौरान की जटिलताओं का सामना करना पड़ता है। कुछेक प्रसव के बाद बीमार पड़ जाते हैं, उन बच्चों को भर्ती किया जाता है। दूसरी तरफ एनआरसी(न्यूट्रीशन रीहैबिलिटेशन सेंटर) में शून्य से पांच साल तक के बच्चों को दाखिल किया जाताहै। इसमें कमजोर एवं कुपोषित बच्चों को भी भर्ती किया जाता है।
ध्यान देने वाली बात यह कि इसमें इन छह माह में ज्यादा बच्चे भर्ती नहीं हुए। इस दौरान एसएनसीयू में जहां 522 बच्चे एडमिट हुए वहीं, एनआरसी में केवल 44 बच्चों को भर्ती किया गया। गौरतलब यह कि इनमें यहां भर्ती होने वाले 44 में सभी बच्चे स्वस्थ हैं। सिविल सर्जन डा. सुरेश चंद्र सिन्हा ने बताया कि बगैर शिशु रोग विशेषज्ञ के उपलब्ध संसाधन में अस्पताल में बेहतर सेवा देने का प्रयास किया जाता है।
अस्पताल में एसएनसीयू एवं एनआरसी मौजूद पर चिकित्सक नहीं
यहां गौर करने लायक बात यह है कि सदर अस्पताल में एसएनसीयू(स्पेशल न्यूबोर्न केयर यूनिट) एवं एनआरसी(न्यूट्रीशन रीहैबिलिटेशन सेंटर) दोनों मौजूद है, लेकिन कोई शिशु रोग विशेषज्ञ नहीं है। ऐसे में सामान्य चिकित्सक ही बच्चों का भी इलाज करते हैं। या यूं कहें कि एसएनसीयू एवं एनआरसी में मौजूद जीएनएम एवं नर्स ही उनका देखभाल करती हैं।
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