Move to Jagran APP

Buxar News: अब बिहार में घट जाएगी ट्रेनों में भीड़, भारतीय रेल उठाना जा रहा बड़ा कदम; झाझा तक होने जा रहा काम

दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन से पटना के रास्ते तक झाझा तक तीसरी और चौथी रेल लाइन बिछाने की योजना पर काम जल्द शुरू हो जाएगा। यह योजना इस इलाके में एक नए युग का सूत्रपात करेगी। इस काम के बाद बिहार की ट्रेनों में भीड़ घटेगी और यात्रा आरामदेह हो सकेगी। बता दें कि पटना से डीडीयू तक दोहरी रेल लाइन का निर्माण 1870 में ही पूरा हो गया था।

By Shubh Narayan Pathak Edited By: Sanjeev Kumar Published: Thu, 27 Jun 2024 04:42 PM (IST)Updated: Thu, 27 Jun 2024 04:44 PM (IST)
अब बिहार में घट जाएगी ट्रेनों में भीड़ (जागरण)

शुभ नारायण पाठक, बक्सर। Buxar News: दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन (पुराना नाम मुगलसराय) से पटना के रास्ते तक झाझा तक तीसरी और चौथी रेल लाइन बिछाने की योजना पर काम जल्द शुरू होने की उम्मीद है। यह योजना इस इलाके में एक नए युग का सूत्रपात करेगी।

भारतीय रेलवे के इसी अति व्यस्त रेलखंड को दो लाइन से बढ़ाकर चार लाइन करने से नई ट्रेनों को चलाने का मार्ग प्रशस्त होगा। इससे बिहार की ट्रेनों में भीड़ घटेगी और यात्रा आरामदेह हो सकेगी। शाहाबाद गजेटियर के मुताबिक वर्ष 1870 तक पटना से डीडीयू के बीच रेलवे लाइन के दोहरीकरण का कार्य पूरा हो गया था।

इस प्रकार बीते 154 साल से अप और डाउन की एक-एक लाइन के सहारे इस मार्ग पर ट्रेनों का परिचालन हो रहा है। वर्ष 1943 की रेलवे समयसारिणी बताती है कि तब इस रेलखंड से लंबी दूरी की केवल चार यात्री ट्रेनें ही गुजरा करती थीं। यह संख्या अब बढ़कर 130 जोड़ी के करीब पहुंच गई है।

त्योहारों के समय स्पेशल ट्रेनों की संख्या और बढ़ जाती है। वर्ष 2024-25 के केंद्रीय बजट में डीडीयू-झाझा के बीच करीब 383 किलोमीटर लंबी तीसरी-चौथी लाइन की स्थापना के लिए करीब 17 हजार करोड़ रुपए का प्रविधान किया गया है।

1855 में शुरू हुआ था रेल लाइन का निर्माण

पटना से डीडीयू तक दोहरी रेल लाइन का निर्माण वर्ष 1870 में ही पूरा हो गया था। इस इलाके में रेल लाइन का निर्माण 1855 में शुरू हुआ। यह कार्य गति पकड़ता, तब तक पहला स्वतंत्रता आंदोलन शुरू हो गया। यह आंदोलन शांत होने के बाद काम में तेजी आई और 1862 में इकहरी रेल लाइन यातायात के लिए खोल दी गई।

सबसे पुराना रेल पुल, जो चालू है

डीडीयू-झाझा रेलखंड पर ही भोजपुर जिले के कोईलवर के पास सोन नदी पर इस इलाके का पहला बड़ा रेल पुल बना था। इसका निर्माण 1862 में पूरा हुआ। यह देश में सबसे पुराना और चालू रेलवे पुल है, हालांकि इस पुल से सड़क यातायात भी होता है। जब यह बना, तब पांच से 10 कोच की छोटी ट्रेनें चला करती थीं, जिनकी गति भी आज के मुकाबले आधी थी।

आज इस पुल से 24 कोच की सुपरफास्ट ट्रेनें धड़धड़ाते हुए गुजर जाती हैं। यह पुल ब्रिटिश काल में हुए निर्माण में गुणवत्ता की कहानी बयान करता है। इस पुल को बनाने की योजना 1851 में आई और इसका काम 1856 में शुरू हुआ। करीब 1.44 किलोमीटर लंबा यह दो लेन रेलवे ट्रैक और रोड वाला पुल वर्ष 1900 तक भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे बड़ा पुल था।

कुछ दिलचस्प तथ्य

Buxar News: वर्ष 1864 में दिल्ली (शाहदरा) से कोलकाता तक के लिए पहली बार ट्रेन सेवा शुरू हुई थी। तब यात्रियों को यात्रा पूरी करने के लिए प्रयागराज (पुराना नाम इलाहाबाद) और दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन पर ट्रेन बदलनी पड़ी थी।

1999 से 2002 के बीच डीडीयू से पटना के बीच रेलखंड का विद्युतीकरण हुआ। पहले चरण में फतुहा से दानापुर और डीडीयू से दिलदारनगर के बीच और दूसरे चरण में दिलदारनगर से दानापुर के बीच विद्युतीकरण हुआ।

130 किलोमीटर प्रति घंटे है पटना से डीडीयू के बीच अधिकतम स्वीकृत गति। एक दशक पहले तक चलने वाली नीले रंग की आइसीएफ कोच वाली एक्सप्रेस ट्रेनों की अधिकतम गति 110 किलोमीटर प्रति घंटे थी। ऐसी कुछ ट्रेनें अभी भी चलती हैं।

1952 में हुई थी ईस्टर्न रेलवे की स्थापना, कोलकाता में है इसका मुख्यालय। बिहार तब इसी का हिस्सा था। इससे पहले 1845 में ईस्ट इंडियन रेलवे की स्थापना हुई थी। एक अक्टूबर 2002 को बिहार का बड़ा हिस्सा नवगठित जोन पूर्व मध्य रेलवे का बन गया।

ये भी पढ़ें

Prashant Kishor: ये 6 दिग्गज लिख रहे प्रशांत किशोर की सियासी पटकथा, कोई पूर्व IAS तो कोई रह चुके हैं IPS

Samrat Chaudhary: सम्राट चौधरी ने कह दी लालू के दिल पर चोट लगने वाली बात, सियासत हुई तेज; अब क्या करेगी RJD?


This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.