इजरायली केले... ताईवानी पपीते, बिहार के इस किसान ने ढाई गुना तक बढ़ाई इनकम; कलेक्टर ने भी की तारीफ
Buxar News बक्सर जिले के डुमरांव में रहने वाले किसान अभय रंजन ने परंंपरागत खेती छोड़ इजरायली केले और ताईवानी पपीते की खेती करने का फैसला लिया और उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई। अभय ने बताया कि शुरूआत में थोड़ी परेशानी हुई लेकिन बाद में उनकी इनकम में बढ़ोतरी हो गई। साथ ही वे जिस सिंचाई प्रणाली का उपयोग कर रहे हैं उसमें पानी भी कम लगता है।
रंजीत कुमार पांडेय, डुमरांव (बक्सर)। खेती को नुकसान का सौदा बताने वाले किसानों के लिए डुमरांव के प्रगतिशील किसान प्रेरणा के स्त्रोत बन गए हैं। अपनी देसी जमीन पर जब इजराइल का केला और ताईवान का पपीता उपजाकर नया रास्ता दिखा रहे हैं।
तकरीबन पांच-छह एकड़ जमीन पर लहलहाते केला की खेती देखने लायक है। परंपरागत खेती को जिंदगी का आधार बनाने वाले लोगों का यहां आकर नजरिया बदल जाता है।
कृषि कार्य को अपना करियर बनाकर खेती की नई इबारत लिखने वाले किसान अभय रंजन बताते हैं कि सात-आठ एकड़ जमीन पर पारंपरिक खेती छाेड़कर उन्होंने विदेशी फलों की खेती शुरू की।
इसके लिए महाराष्ट्र से टिशू कल्चर का जी-9 केले और ताइवान के रेड लेडी पपीता के पौधे मंगाए। शुरुआत में थोड़ी परेशानी हुई, लेकिन पहली फसल से ही लागत छोड़कर दो-ढाई गुना कमाई हुई। इसके बाद परिवार के लोग भी उनके साथ आ गए।
खेत का कोई भाग नहीं छोड़ते खाली
किसान अभय का प्रबंधन गजब का है। उन्होंने अपने सात एकड़ से अधिक बड़े फार्म को आवारा पशुओं से बचाने के लिए कंटीले तारों से तारबंदी की है।पपीता की खेत में पौधों की दो लाइनों के बीच ढाई से तीन फुट का फासला होता है और जगह ऐसे ही खाली पड़ी रहती थी। अब इसमें भी उन्होंने बेहतर प्रजाति के करैला की पौधा लगाने की तैयारी कर रहे हैं।
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